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परमार्थी साखियाँ

परुषों और महिलाओं, दोनों में ऊँचे दर्जे के सन्त हुए हैं| राबिया बसरी भी ऊँचे दर्जे की एक ऐसी फ़क़ीर हुई हैं| एक बार उनके पास दो फ़क़ीर आये|

एक बार सत्संग के दौरान एक आदमी ने खड़े होकर बड़े महाराज जी से विनती करते हुए अपनी किसी भूल की क्षमा माँगी|

ढिलवाँ गाँव का ज़िक्र है| एक स्त्री शरीर छोड़ने लगी तो अपने घरवालों को बुलाकर कहा, “सतगुरु आ गये हैं, अब मेरी तैयारी है|

जब बड़े महाराज जी कोहमरी में थे, वे एक गाँव में गये| वहाँ नया थाना बना था| आप वहाँ के बिल चैक करने गये थे| रहने के लिए आपको एक चौबारेवाला कमरा दिया गया|

बाबू बृजलाल पोठोहार के रहनेवाले एक सत्संगी थे| बड़े महाराज जी को नम्बर आठ माउण्टेन बैटरी पर मिले थे|

रावलपिण्डी का जिक्र है, एक बंगाली बाबू एक दफ्तर में नौकर था, बहत प्रेमी और अभ्यासी था| एक बार जब बड़े महाराज जी ने उससे पूछा कि क्या मन वश में आया? मन अन्दर शब्द के साथ जुड़ता है?

जब बड़े महाराज जी रावलपिण्डी में थे तो वहाँ उनके एक दोस्त ने यह वाक़या सुनाया:

लुधियाना का एक स्कूल-मास्टर था| उसे नाम अभ्यास का बहुत शौक़ था| एक दिन वह प्यार के साथ दीवाने-हाफ़िज़ पढ़ता-पढ़ता बाहर सैर को चल पड़ा और गुरु के प्यार में इतना मस्त हो गया कि तेरह मील दूर एक गाँव में पहुँच गया|

बड़े महाराज जी ने अपना देखा हुआ एक वाक़या बयान किया| तब आप मरी पहाड़ पर बतौर सब-डिवीज़नल अफ़सर काम करते थे|

जब बड़े महाराज जी डेरे में बाबा जैमल सिंह जी के पास आये तो वहाँ कोई मकान नहीं था, सिर्फ़ एक छोटी-सी कोठरी थी, जिसके आस-पास बाड़ लगी थी| पानी का कोई इंतज़ाम नहीं था| पानी दरिया से वड़ाइच गाँव के कुएँ से लाना पड़ता था|

जब बड़े महाराज जी फ़ौज में इंजीनियर थे तो एक बार उनका तबादला रावलपिण्डी हो गया| वहाँ का इंचार्ज एक एस. डी. ओ. था|

एक पादरी हमेशा बड़े महाराज जी के साथ बहस करता रहता था| एक बार जब आप व्यास स्टेशन पर उतरे, तो वह बोला कि एक सवाल का जवाब दो|

डेरे में ठाकुर सिंह नाम का एक सत्संगी रहता था| उसको लोगों के घर में खाने की आदत थी| जीवन के आख़िरी दिनों में उसे प्लेग की बीमारी हो गयी|

बडे महाराज जी ने एक बार बताया कि लड़ाई के समय उनके साथ एक सेना-अधिकारी था जिसने जानवरों के राशन में से क़रीब एक लाख रुपया चुरा लिया था|

जब बड़े महाराज जी एस. डी. ओ. थे, तो एक बार आप पहाड़ी इलाके में जा रहे थे कि एकाएक आपके दिल में ख़ुशी छा गयी| आप समझ न सके कि वह ख़ुशी किस बात की थी|

हजर स्वामी जी महाराज के वक़्त दो-चार प्रेमी बीबियाँ थीं: उनमें एक बीबी शिब्बो थी| एक बार वह स्नान करने लगी तो एक योगी उसके घर के पास से गुज़रा|

स्वामी जी महाराज को तुलसी साहिब से परमार्थ की रोशनी मिली थी| तुलसी साहिब स्वामी जी महाराज के घर आया करते थे|

एक अभ्यासी सत्संगी ने एक पेड़ की ओर इशारा करते हुए बड़े महाराज जी से पूछा, “अच्छे कर्म करने से क्या यह पेड़ भी मनुष्य-देह प्राप्त कर सकता है?”

लक्खा सिंह अमृतसर में एक प्रेमी सत्संगी था| एक बार वह दक्षिण में नांदेड़ शहर गया| वहाँ उसको एक बूढ़ा व्यक्ति मिला|

बाबा जी महाराज के वक़्त का ज़िक्र है कि डेरे में हुकम सिंह नाम का एक सत्संगी रहता था| वह एक मिनट भी बेकार नहीं बैठता था| रात को भजन करता और दिन में सेवा करता|

एक दिन जब बड़े महाराज जी बाबा जी महाराज के पास आये, तो वे मंडाली गांव के दो जाट सत्संगियों – मच्छर और रामदित्ता – से मिले| वे अच्छे प्रेमी थे|

एक बार बाबा जैमल सिंह जी के पास कुछ पण्डित आये| शास्त्रों के कुछ अर्थ को लेकर उनकर आपस में विवाद था|

एक बार का ज़िक्र है, बाबा जैमल सिंह जी महाराज अम्बाला शहर तशरीफ़ ले गये| वहाँ मोतीराम दर्ज़ी प्रेमी सत्संगी थे, उन्होंने बाबा जी महाराज से सत्संग के लिए अर्ज़ की|

बहुत समय पहले का ज़िक्र है| एक बार बड़े महाराज जी शिमला गये| दो सत्संगी भाई काहन सिंह और भाई मग्घर सिंह आपके साथ थे| कुछ लोग आये और सत्संग में बैठ गये|

हुज़ूर महाराज सावन सिंह जी को संगत प्रेम से बड़े महाराज जी कहती है| उनके पिता जी सूबेदार मेजर थे| उन्हें साधुओं से मिलने का शौक़ था|

जब शुकदेव गुरु धारण करके, नाम लेकर उसके आदेशानुसार कमाई करके अपने पिता वेदव्यास के पास गया, तो उसने पूछा, “गुरु कैसा है?” शुकदेव चुप!

एक शिष्य अपने गुरु के साथ जंगल में रहता था| एक बार सर्दियों की अँधेरी रात में ज़ोर की वर्षा होने लगी और झोंपड़ी की छत से पानी टपकने लगा|

एक दिन बसरा की महात्मा राबिया बसरी फूट-फूट कर रो रही थी, मानो उसका हृदय फट रहा हो| उसको दुःख से व्याकुल देखकर उसके पड़ोसी उसके चारों ओर इकट्ठे हो गये|

एक बार ख़ुदा के सच्चे प्रेमी बायज़ीद बुस्तामी को आकाशवाणी हुई और उसने गै़बी (दैवी) आवाज़ यह कहती हुई सुनी, “तुझे जो माँगना है, माँग ले, तेरी इच्छा पूरी हो जायेगी|”

एक बार एक ज़िक्र है कि महान सूफ़ी दरवेश शम्स तब्रेज़ में परमात्मा के आगे सच्चे दिल से दुआ की, “हे कुल-मालिक! मुझे अपने ऐसे प्यारे का साथ दे, जिसके साथ मैं तेरे प्रेम की बातें कर सकूँ और जिसको तेरी जुदाई की असह्य पीड़ा तथा तेरे मिलाप के अकथनीय आनन्द की कथा सुना सकूँ|”

गुरु नानक साहिब के समय संगत का नियम था कि वह सुबह-सवेरे गुरु साहिब की हुजूरी में भक्ति-भाव के शब्द पढ़ती थी|

फ़रीदुद्दीन अत्तार, जो बाद में ईरान का महान सूफ़ी सन्त बना और जिसका फ़ारसी का कलाम संसार में मशहूर है, पहले इत्र बेचने की दूकान किया करता था|

मेवाड़ की रानी मीराबाई पन्द्रवहीं शताब्दी के मशहूर सन्त गुरु रविदास जी की शिष्या थीं| उनकी सखियाँ-सहेलियाँ गुरु रविदास जी पर नाक-मुँह चढ़ाती थीं|

कबीर साहिब कहते हैं कि मालिक के नाम का सुमिरन ऐसी एकाग्रता से करना चाहिए जैसे एक कीड़ा भृंगी की आवाज़ में अपने आप को लीन करके उसी का ही रूप धारण कर लेता है|

मनुष्य के अन्दर दो बड़े गुण हैं| एक भय और दूसरा भाव यानी डर और प्यार| जिसको परमात्मा का डर है, उसको परमात्मा से प्यार भी है| जिसको परमात्मा से प्यार है, उसको परमात्मा का डर भी है|

जल्हण नौशहरा में एक अच्छा कमाई वाला महात्मा हुआ है| ज़िक्र है कि उसके एक लड़की थी|

एक महात्मा था जिसको अहंकार हो गया कि दुनिया में उसके मुक़ाबले कोई दूसरा महात्मा नहीं| उसने ख़ुदा से कहा कि अगर कोई मुझसे बड़ा है तो मुझे बताओ|

एक बार उद्धव ने भगवान् कृष्ण से कहा कि इन जीवों को आप अपने देश क्यों नहीं ले चलते? आप सर्व-समर्थ हैं और जो चाहो कर सकते हैं|

‘तज़करात-उल-औलिया’ मुसलमानों की एक रूहानी पुस्तक है| उसमें एक छोटी-सी कहानी आती है कि एक बार एक फ़क़ीर जब सफ़र पर निकला तो उसने साथ में रोटी बाँध ली कि वह रास्ते में खायेगा|

राजा परीक्षित ने वेदव्यास से प्रश्न किया कि क्या मेरे बुज़ुर्ग मन के इतने ग़ुलाम थे कि इसे क़ाबू करने में असमर्थ रहे?

भाई मंझ बड़ा अमीर आदमी था, बल्कि अपने गाँव का सबसे बड़ा ज़मींदार था| वह सुलतान सखी सरवर का उपासक था|

ज़िक्र है कि बुल्लेशाह बड़ा आलिम-फ़ाज़िल था| चालीस साल खोज की, बहुत-से शास्त्र और धार्मिक किताबें पढ़ीं, अनेक महात्माओं और नेक लोगों से वार्तालाप किया लेकिन कुछ हासिल न हुआ|

ज़िक्र है कि एक मुसलमान फ़क़ीर एक दिन बाज़ार से गुज़र रहा था| रास्ते में एक हलवाई की दुकान थी|

शेख़ फ़रीद को बहुत कम आयु में ही रूहानियत की गहरी लगन थी| उन्होंने ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का नाम सुना हुआ था जो राजस्थान के एक शहर अजमेर में रहते थे|

ऋषि वेदव्यास का पुत्र शुकदेव जिसको गर्भ में ही ज्ञान था, राजा जनक को गुरु धारण करने के लिए उसके दरबार में तेरह बार गया| शुकदेव के पिता ने उसे यह बताया था कि इस समय राजा जनक ही पूर्ण गुरु हैं, इसलिए गुरु धारण करने के लिए उसके पास जाओ|

किसी महात्मा के पास दो आदमी नाम लेने आये| उनमें से एक अधिकारी था, दूसरा अनाधिकारी|

हज़रत यूसुफ़ जिसको बाइबल में जोसफ़ कहा गया है, बहुत सुन्दर और बुद्धिमान था| उसके बड़े भाई उससे ईर्ष्या करते थे|

धर्मदास एक अमीर व्यापारी था और कबीर साहिब के काफ़ी निकट था क्योंकि पिछले कई जन्मों में भी उन का साथी रह चुका था| कबीर साहिब उसे मुक्त करना चाहते थे|

एक स्त्री थी| उसके रिश्तेदारों में एक अच्छा कमाई वाला महात्मा था| कुछ तो कमाई और कुछ बेफ़िक्री और बेपरवाही के फलस्वरूप उसके चेहरे पर हमेशा रौनक़ और ख़ुशी रहती थी|

महमूद ग़ज़नवी ने हिन्दुस्तान पर सत्रह हमले किये और बहुत सा धन-दौलत, सोना-चाँदी, हीरे-जवाहरात लूटकर ग़ज़नी ले गया|

दिल्ली में एक महाजन था| उसे साधु-सन्तों के सत्संग सुनने का बहुत शौक़ था| वह रोज़ सत्संग में जाता और अपने लड़के को दुकान पर छोड़ जाता|

एक दिन कबीर साहिब गंगा के किनारे घूम रहे थे| उन्होंने देखा कि एक पपीहा प्यास से निढाल होकर नदी में गिर गया है|

कहते हैं कि एक बार अकबर बादशाह और बीरबल कहीं जा रहे थे| कुछ फ़ासले पर उन्हें एक जाट आता नज़र आया|

राजा पीपा एक धनी राजपूत था और कुछ वर्षों से राज-गद्दी पर बैठा था| एक बार उसके दिल में परमार्थ का चाव पैदा हुआ क्योंकि उसे जीवन में ख़ालीपन-सा महसूस होने लगा था|

एक बार का ज़िक्र है कि एक भेषी साधु को गुरु नानक साहिब के साथ रहने का इत्तफ़ाक़ हुआ|

एक फ़क़ीर था जो अपने आप को पैग़म्बर समझता था| एक बार उसके मन में ख़याल आया कि मैं पैग़म्बर हूँ, ख़ुदा मुझसे ख़ुश है; मुझसे बढ़कर उसका कोई और प्यारा नहीं|

अमीर ख़ुसरो, निज़ामुद्दीन औलिया का शार्गिद और मुलतान के हाकिम का मुलाज़िम था|

कहा जाता है कि जब प्राचीन भारत के एक राजा गोपीचन्द ने दुनिया की ऐशो-इशरत से तंग आकर अपना राज्य छोड़ दिया और गोरखनाथ के पास योगी बनने के लिए चला गया तो गोरखनाथ ने उसे योग की दीक्षा दे दी|

राबिया बसरी एक बहुत मशहूर फ़क़ीर हुई है| जवानी में वह बहुत ख़ूबसूरत थी| एक बार चोर उसे उठाकर ले गये और एक वेश्या के कोठे पर ले जाकर उसे बेच दिया| अब उसे वही कार्य करना था जो वहाँ की बाकी औरतें करती थीं|

चार अलग-अलग मुल्कों के आदमी इकट्ठे हुए| उन्होंने मिलकर सलाह की कि कोई काम करें| उन्होंने कुछ ज़मीन ख़रीद ली| उनमें से एक मध्य भारत का था|

एक बार जब कृष्ण जी विदुर के घर गये, उस समय वह घर पर नहीं थे| उनकी पत्नी नहा रही थी| द्वार पर कृष्ण जी ने आवाज़ दी|

गुरु अर्जुन साहिब के वक़्त दो व्यक्ति, पिता और पुत्र, अच्छे प्रेमी और शब्द के अभ्यासी थे| पिता का नाम संमन और पुत्र का नाम मूसन था|

गुरु अमर दास जी के समय का वृत्तान्त है| आप बाईस बार गंगा-स्नान के लिए गये|

एक बार भाई गुरदास ने ये पंक्तियाँ लिखीं और पढ़कर गुरु हरगोबिन्द साहिब को सुनायीं|

मजनूँ लैला का आशिक़ था| लैला का बाप फ़ारस का बादशाह था|

सत्ता और बलवंडा, गुरु अर्जुन देव जी के दरबार में कीर्तन किया करते थे|

एक बार का जिक्र है कि एक बहुत बड़ा चोर था| जब वह मरने लगा तो उसने अपने बेटे को बुलाकर नसीहत दी कि अगर तुझे चोरी करनी है तो किसी गुरुद्वारा, धर्मशाला या धर्म-स्थान में न जाना, बल्कि इनसे दूर ही रहना|

शुक्रदेव ऋषि वेदव्यास का पुत्र था| चौदह कला सम्पूर्ण था और उसे गर्भ में ही ज्ञान हो गया था|

शिव जी के लड़के कार्तिकेय और गणेश जी ने एक दिन शिव जी से पूछा कि आप अपनी गद्दी किसको देंगे?

एक मिरासी ग़लती से मस्जिद में जा पहुँचा| वहाँ पाँच नमाज़ी मौजूद थे| उन्होंने कहा कि आओ, वुज़ू करके नमाज़ पढ़ें| मिरासी ने पूछा, “नमाज़ से क्या फ़ायदा होता है?”

जब राजा जनक स्थूल शरीर को त्यागकर अपने धाम की ओर जा रहे थे, रास्ते में क्या देखते हैं कि नरकों में जीव चल रहे हैं और चीख़-पुकार कर रहे हैं|

गुरु गोबिन्द सिंह जी का दरबार लगा हुआ था| सिक्खी का मज़मून चल रहा था| गुरु साहिब ने कहा कि गुरु का शिष्य कोई-कोई है, बाक़ी सब अपने मन के ग़ुलाम हैं या स्त्री और बच्चों के ग़ुलाम हैं|

एक बार राजा जनक ने चाहा कि मैं परम-पद हासिल करूँ|

ज़िक्र है कि मुसलमानों की हुकूमत के दिनों में एक ऐसा समय आया जब गुरु गोबिन्द सिंह जी को मजबूरन आनन्दपुर छोड़ना पड़ा|

शेख शिबली के पास दो आदमी बैअत होने (नाम लेने) के लिए आये| आपने अन्तर्दृष्टि से देखा कि उनमें से एक अधिकारी है और एक अनाधिकारी|

एक बार का ज़िक्र है, गुरु नानक साहिब के पास आपके बड़े लड़के श्री चन्द जी बैठे थे| आधी रात का समय था|

जब हज़रत जुनैद बग़दादी काबा को जा रहा था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा, जो ज़ख्मी हालत में पड़ा था|

जब गुरु गोबिन्द सिंह साहिब पहली बार मालवा गये, वह उजाड़ इलाक़ा था, बारिश की कमी के कारण वहाँ गेहूँ नहीं होता था, जौ और चने होते थे|

भागवत में एक कथा आती है कि एक बीमार और कमज़ोर बकरी अपने घर से भटककर दूर किसी घने जंगल में चली गयी|

एक बार धृतराष्ट्र ने भगवान् कृष्ण से पूछा कि मैं अन्धा क्यों हूँ| मुझे पिछले सौ जन्मों की तो ख़बर है| इन सौ जन्मों में मैंने ऐसा कर्म नहीं किया जिसके कारण मैं जन्म से अन्धा हूँ|

 

एक बार एक शेरनी बच्चे को जन्म देकर शिकार को चली गयी| पीछे से भेड़ चरानेवाला पाली आ गया| उसने बच्चे को उठा लिया और भेड़ का दूध पिला-पिला कर उसे पाल लिया| अब वह बच्चा बड़ा हो गया|

एक बार एक मुसलमान फ़क़ीर एक पेड़ की ठंडी छाया में बैठे थे और उनके आस-पास उनके शिष्य तथा बहुत से और लोग भी थे|

 

एक बार अकबर बादशाह आगरा के आस-पास के गाँव में घुड़-सवारी करता-करता सैर को निकला|

उत्तरी भारत के एक गाँव में एक बुज़ुर्ग फ़क़ीर रहते थे| गाँवों के लोग अकसर उन से सलाह लेने जाते थे|

गुरु अर्जुन साहिब के समय में सुथरा नामक एक कमाईवाला ला-धड़क फ़क़ीर हुआ है|

एक बार का ज़िक्र है, एक स्त्री किसी महापुरुष की सेवा किया करती थी| महात्मा का डेरा नदी के पार था| उसका यह नियम था कि हर रोज़ महात्मा के लिए दूध ले जाना, सत्संग सुनना और वापस आ जाना|