Homeपरमार्थी साखियाँहज़रत जुनैद और घायल कुत्ता

हज़रत जुनैद और घायल कुत्ता

जब हज़रत जुनैद बग़दादी काबा को जा रहा था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा, जो ज़ख्मी हालत में पड़ा था| उसके चारों पाँव पर से गाड़ी गुज़र गयी थी और वह चल नहीं सकता था| फ़क़ीर को रहम आया लेकिन सोचा कि मैं तो क़ाबे को जा रहा हूँ इसको कहाँ लिये फिरूँगा, दूसरे यह पलीत जानवर हैं| फिर ख़याल आया कि यहाँ इसका कौन है? मन में दया आ गयी| कुत्ते को किसी कुएँ पर ले जाने के लिए उसे उठा लिया ताकि पानी से उसके ज़ख्मों को धोकर उस पर पट्टी कर दे| उसने इस बात की कोई चिन्ता न की कि कुत्ते के ज़ख्मों से बहते ख़ून से उसके कपड़े ख़राब हो जायेंगे|

उस समय वह एक रेगिस्तान से गुज़र रहा था| जब वह नख़लिस्तान पहुँचा तो वहाँ उसने एक वीरान कुआँ देखा| परन्तु उसके पास कुएँ से पानी निकालने के लिए कोई रस्सी और डोल वग़ैरा नहीं थे, उसने दो-चार पत्ते इकट्ठे करके एक दोना बनाया| पगड़ी से बाँधकर उसे कुएँ में लटकाया| पानी नीचे था, दोना वहाँ तक पहुँच न सका| साथ में क़मीज़ बाँध ली, लेकिन दोना फिर भी पानी की सतह तक न पहुँचा| इधर-उधर देखा, कोई नज़र नहीं आया| फिर सलवार उतारकर साथ बाँधी| तब पानी तक दोना पहुँचा| दो-चार दोने पानी निकालकर पिलाया| कुत्ते को होश आ गया और उसने कुत्ते के ज़ख़्मों को साफ़ किया और उन पर पट्टी बाँधी| वह कुत्ते को उठाकर चल पड़ा| रास्ते में एक मस्जिद थी| उसने मुल्ला से कहा कि तुम इस कुत्ते का ख़याल रखना, मैं क़ाबे को जा रहा हूँ| आकर ले लूँगा| जब रात को सोया तो बशारत (आकाशवाणी) हुई कि तूने मेरे एक जीव की रक्षा की है, तेरा हज्ज क़ुबूल है| अब चाहे हज पर जा या न जा, तेरी मर्ज़ी है|

सो बे-ज़बान पर तरस करना बहुत ऊँची गति की बात है|

मेरे समपूर्ण पवित्र पर्वत पर न वे किसी को चोट पहुँचायेंगे न
नष्ट करेंगे, क्योंकि धरती यहोवा (प्रभु) के ज्ञान से भरपूर रहेगी
जैसे समुद्र पानी से भरा रहता है| (इसायाह)

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आधी रात