Homeपरमार्थी साखियाँमालिक सब देखता है

मालिक सब देखता है

किसी महात्मा के पास दो आदमी नाम लेने आये| उनमें से एक अधिकारी था, दूसरा अनाधिकारी| महात्मा कमाईवाले थे| उन्होंने दोनों को एक-एक बटेर दे दिया और कहा कि जाओ, इनको उस जगह जाकर मार लाओ, जहाँ कोई और न देखे| उनमें से एक तो झट से पेड़ की ओत में जाकर बटेर को मारकर ले आया| जो दूसरा था वह उजाड़ में चला गया|

अब सोचता है कि जब मैं इसे मारता हूँ तो यह मुझे देखता है और मैं इसे देखता हूँ| तब तो हम दो हो गये, तीसरा परमेश्वर देखता है, मगर महात्मा का हुक्म था इसे वहाँ मारो जहाँ कोई न देखे| आख़िर सोच-सोच कर बटेर को महात्मा के पास ले आया और बोला कि महात्मा जी! मुझे तो ऐसी कोई जगह नहीं मिली जहाँ कोई न देखता हो क्योंकि मालिक हर जगह मौजूद है| महात्मा ने कहा, मैं तुझे नाम दूँगा और दूसरे ने कहा, जाओ, अपने घर!

इसलिए अगर मालिक को हर जगह हाज़िर-नाज़िर समझें, तो हम कोई ऐब, पाप या बुरा काम न करें|

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