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मच्छर और रामदित्ता

मच्छर और रामदित्ता

एक दिन जब बड़े महाराज जी बाबा जी महाराज के पास आये, तो वे मंडाली गांव के दो जाट सत्संगियों – मच्छर और रामदित्ता – से मिले| वे अच्छे प्रेमी थे| जब तक सुबह उनको अन्दर गुरु के दर्शन न होते, वे काम को हाथ न लगाते| जो प्रेमी हो, गुरु भी उनकी देखभाल करता है, कभी-कभी आज़माइश भी करता है| उन्होंने अपने खेतों में मक्का बोया हुआ था| उस दिन कुएँ से खेतों को पानी देने की उनकी बारी थी| रामदित्ता ने कहा, “मच्छर! आज महाराज जी (बाबा जी महाराज) के दर्शन नहीं हुए|” मच्छर ने जवाब दिया, “मुझे भी नहीं हुए, लेकिन अगर आज पानी न दिया तो मक्का सूख जायेगा|” रामदित्ता बोला, “सूख जायेगा तो गुरु का सूख जायेगा|” और दोनों फिर भजन पर बैठ गये| एक घण्टे के बाद महाराज जी के दर्शन हो गये| तब उठकर रहट चलायी और पानी दिया| मक्का पहले से भी ढाई गुणा हुआ|

सतगुरु हमेशा शिष्य के अंग-संग होते हैं और हर बात में मदद करते हैं|

आपकी चिन्ता और परेशानी गुरु की चिन्ता और परेशानी है| इन
सब चिन्ताओं को गुरु के हवाले कर दीजिए और बेफ़िक्र होकर
गुरु के लिए प्रेम बढाइये, जो आपका फ़र्ज़ है|
(महाराज सावन सिंह)

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