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एकादशी माहात्म्य (35)

चैत्र कृष्णा एकादशी – चारोली का फलाहार करने से जम्बू योनि छूट जाती है|

राजा युधिष्ठिर ने पूछा – हे जनार्दन! मल मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का क्या नाम है? उसके व्रत की विधि तथा माहात्म्य विस्तार से वर्णन कीजिये| श्रीकष्ण बोले कि हे राजन्! इस एकादशी का नाम परमा है|

राजा युधिष्ठिर ने प्रश्न किया कि हे जनार्दन! अधिक (मल) मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का क्या नाम है और उसकी विधि तथा माहात्म्य क्या है सो आप कृपा करके विस्तारपूर्वक मुझसे कहिये|

ब्रह्माजी बोले – हे मुनि श्रेष्ठ! अब पापों को हरने वाली पुण्य और मुक्ति देने वाली एकादशी का माहात्म्य सुनिये| पृथ्वी पर गंगा की महत्ता और समुद्रों तथा तीर्थों का प्रभाव तभी तक है, जब तक कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी तिथि नहीं आती|

युधिष्ठिर कहने लगे – हे भगवन्! कार्तिक कृष्णा एकादशी का क्या नाम है और इसकी क्या विधि है? इसके करने से क्या फल प्राप्त होता है, सो आप कृपा करके विस्तारपूर्वक मुझसे कहिये|

युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन्! आश्विन शुक्ला एकादशी का क्या नाम है? अब आप कृपा करके इसके व्रत की विधि और उसका फल कहिए|

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि भगवन्! आश्विन कृष्णपक्ष की एकादशी का क्या नाम है, उसकी विधि और फल क्या है? सो कृपा करके कहिए|

युधिष्ठिर कहने लगे – हे भगवन्! भाद्रपद शुक्ला एकादशी का क्या नाम है, इसकी विधि और माहात्म्य क्या है? कृपा करके आप विस्तारपूर्वक कहिए|

कुंतीपुत्र युधिष्ठिर कहने लगे – हे जनार्दन! भाद्रपद कृष्णा एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी विधि और माहात्म्य क्या है?

युधिष्ठिर कहने लगे कि हे मधुसूदन! श्रावण शुक्ला एकादशी का क्या नाम है? इसके व्रत करने की विधि तथा इसका माहात्म्य कृपा करके कहिए- श्रीकृष्णजी बोले – हे राजन! इस एकादशी का नाम ‘पुत्रदा’ है|

कुन्तीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे-हे भगवन्! आषाढ़ शुक्ला देवशयनी एकादशी तथा चातुर्मास्य व्रत माहात्म्य मैंने भली प्रकार से सुना| अब कृपा करके श्रावण कृष्णा एकादशी का क्या नाम है सो आप विस्तारपूर्वक कहिये –

श्रीकृष्ण बोले कि हे राजन्! आषाढ़ शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहते हैं| चातुर्मास का व्रत इसी एकादशी से प्रारम्भ होता है|

धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा – हे केशव! आषाढ़ शुक्ला एकादशी का क्या नाम है? इस व्रत के करने की विधि क्या है और किस देवता का पूजन किया जाता है?

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि महाराज मैंने ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी के व्रत का माहात्म्य सुना| अब कृपा करके आषाढ़ कृष्णा एकादशी की कथा वर्णन कीजिये|

भीमसेन व्यासजी से कहने लगे कि हे पितामह| भ्राता युधिष्ठिर, माता कुन्ती, दद्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव आदि सब एकादशी का व्रत करने को कहते हैं, परन्तु महाराज मैं उनसे कहता हूँ कि भाई, मैं विधिवत् भगवान् की पूजा आदि तो कर सकता हूँ, दान भी दे सकता हूँ परन्तु भोजन के बिना नहीं रह सकता|

युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन्! ज्येष्ठ कृष्णा एकादशी का क्या नाम है तथा उसका माहात्म्य क्या है सो आप कृपा करके कहिए?

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे – हे कृष्ण! वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी क्या कथा है? इस व्रत की क्या विधि है, सो सब विस्तारपूर्वक कहिये|

धर्मराज युधिष्ठिर बोले – हे भगवन्! वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, उसकी विधि क्या है तथा उसके करने से क्या फल प्राप्त होता है?

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे – हे भगवन्! मैं आपको कोटि-कोटि नमस्कार करता हूँ| अब आप कृपा करके चैत्र शुक्ला एकादशी का माहात्म्य कहिए|

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि महाराज आपने फाल्गुन शुक्ला एकादशी का माहात्म्य बतलाया| अब कृपा करके यह बताइये कि चैत्र कृष्णा एकादशी का क्या नाम है, इसमें कौन से देवता की पूजा की जाती है और इसकी विधि क्या है?

मान्धाता बोले कि हे वशिष्ठजी! यदि आपकी मुझ पर कृपा है तो किसी ऐसे व्रत की कथा कहिये जिससे मेरा कल्याण हो|

धर्मराज युधिष्ठिर बोले-हे जनार्दन! फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी विधि क्या है? सो सब कृपापूर्वक कहिये – श्री भगवान् बोले कि हे राजन्! फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम विजया एकादशी है|

धर्मराज युधिष्ठिर बोले – हे भगवन्! आपने माघ के कृष्णपक्ष की षट्तिला एकादशी का अत्यन्त सुन्दर वर्णन किया| आप स्वेदज, अंडज, उद्भिज और जरायुज चारों प्रकार के जीवों के उत्पन्न, पालन तथा नाश करने वाले हैं|

एक समय दालभ्य ऋषि ने पुलस्त्य ऋषि से पूछा – हे महाराज! पृथ्वी लोक के मनुष्य ब्रह्मइत्यादि महान पाप करते हैं, पराये धन की चोरी तथा दूसरे की उन्नति को देखकर ईर्ष्या करते हैं, साथ ही अनेक प्रकार के व्यसनों में फँसे रहते हैं फिर भी उनको नर्क प्राप्त नहीं होता, इसका क्या कारण है?

युधिष्ठिर ने कहा – हे भगवन्! आपने सफला एकादशी का माहात्म्य विधिवत् बताकर बड़ी कृपा की| अब कृपा करके यह बतलाइये कि पौष शुक्ला एकादशी का क्या नाम है?

युधिष्ठिर ने प्रश्न किया – हे जनार्दन! पौष कृष्णा एकादशी का क्या नाम है और उस दिन किस देवता की पूजा की जाती है? भगवान् कहने लगे – हे धर्मराज! मैं तुम्हारे स्नेह के कारण तुमसे कहता हूँ कि एकादशी व्रत के अतिरिक्त मैं अधिक से अधिक दक्षिणा पाने वाले यज्ञ से भी प्रसन्न नहीं होता|

श्री युधिष्ठिर ने कहा कि भगवन्! आप तीनों लोकों के स्वामी, सबको सुख देने वाले और जगत् के पति हैं| मैं आपको नमस्कार करता हूँ|

सूतजी बोले – हे ऋषियों! इस व्रत का वृत्तान्त और उत्पत्ति प्राचीन काल में भगवान् कृष्ण ने अपने परम भक्त युधिष्ठिर से कही थी, वही सब मैं तुमसे कहता हूँ|

एकादशी व्रत का उद्यापन तब किया जाता है, जब व्रत रखने वाले श्रद्धालु, स्त्री-पुरुष कुछ समय तक नियमित या वर्षों तक निश्चित संख्या में नियमित व्रत करते हैं|

पूजन करने वाले स्त्री-पुरुष स्नान करके स्वच्छ पीले या सफेद रंग की धोती-दुपट्टा-यज्ञोपवीत धारण करें| पूजन प्रारम्भ करने से पहले अपना मुख पूर्व दिशा की ओर करके बैठना चाहिए|

द्वादशी के दिन ब्राह्मण को पहले भोजन कराना चाहिये| यदि ऐसा करने में असमर्थ हों, तो ब्राह्मण भोजन के निमित कच्चा सामान (सीधा) मन्दिर में या सुपात्र ब्राह्मण को थाली सजाकर देना चाहिए| हरिवासर में भी पारण करना निषेध है|

एकादशी को प्रातःकाल पवित्रता के लिये स्नान करें| फिर संकल्प विधि के अनुसार कार्य करें| दोपहर को संकल्पानुसार स्नान करने से पहले बदन पर मिट्टी का लेप करें और मन्त्र का यह भावार्थ पढ़ें –

भगवान् विष्णु की कृपा और पुण्य संचय करने के लिये ही व्रती एकादशी का व्रत करते हैं| व्रत और उपवास में अन्तर होता है| किसी भी व्रत में प्रचलित परम्परा के अनुसार सागार-फलाहार आदि लिये जा सकते हैं, परन्तु उपवास अधिकतर निराहार किया जाता है|

श्री सूतजी बोले-हे ऋषि-मुनियो! द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्री कृष्ण से कहा-हे सर्वेश्वर| एकादशी के व्रत की विधि, माहात्म्य एवं उनसे प्राप्त होने वाले पुण्यलाभ, मनवांछित फल आदि के बारे में सविस्तार बताने की कृपा करें|

प्राचीन काल में नैमिषारण्य उपवन में महर्षि श्री शौनक तथा अन्य ऋषियों ने भी सूतजी से आग्रह किया कि वे के सभी एकादशियों की उत्पत्ति और माहात्म्य सविस्तार बताने की कृपा करें|