जीत किसकी? (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर जंग में जाने की तैयारी कर रहे थे| फौज पूरी तरह तैयार थी| बादशाह भी अपने घोड़े पर सवार होकर आ गए| साथ में बीरबल भी था| बादशाह ने फौज को जंग के मैदान में कूच करने का निर्देश दिया|
बादशाह अकबर जंग में जाने की तैयारी कर रहे थे| फौज पूरी तरह तैयार थी| बादशाह भी अपने घोड़े पर सवार होकर आ गए| साथ में बीरबल भी था| बादशाह ने फौज को जंग के मैदान में कूच करने का निर्देश दिया|
बादशाह अकबर और बीरबल बातें कर रहे थे| बात मियां-बीवी के रिश्ते पर चल निकली तो बीरबल ने कहा – “अधिकतर मर्द जोरू के गुलाम होते हैं और अपनी बीवी से डरते हैं|”
बादशाह अकबर और बीरबल शिकार पर गए हुए थे| उनके साथ कुछ सैनिक तथा सेवक भी थे| शिकार से लौटते समय एक गांव से गुजरते हुए बादशाह अकबर को उस गांव के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई| उन्होंने इस बारे में बीरबल से कहा तो उसने जवाब दिया – “हुजूर, मैं तो इस गांव के बारे में कुछ नहीं जानता, किंतु इसी गांव के किसी बाशिन्दे से पूछकर बताता हूं|”
दरबार में बीरबल से जलने वालों की कमी न थी| बादशाह अकबर का साला तो कई बार बीरबल से मात खाने के बाद भी बाज न आता था| बेगम का भाई होने के कारण अक्सर बेगम की ओर से भी बादशाह को दबाव सहना पड़ता था|
दरबार लगा हुआ था| बादशाह अकबर राज-काज देख रहे थे| तभी दरबान ने सूचना दी कि दो व्यक्ति अपने झगड़े का निपटारा करवाने के लिए आना चाहते हैं|
बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा – “क्या किसी मनुष्य में एक साथ पीर, बावर्ची, भिश्ती और खर (मजदूरी करने वाला) के गुण हो सकते हैं? मुझे ऐसे मनुष्य से मिलने की बहुत इच्छा है|”
बादशाह अकबर दरबार में बैठे थे| तभी दरबान ने सूचना दी कि पक्षियों का एक सौदागर बादशाह से मिलना चाहता है| बादशाह ने आज्ञा दे दी|
रोशन एक वृद्ध व्यक्ति था| जीवन के अन्तिम पड़ाव पर उसकी इच्छा हुई कि वह तीर्थयात्रा पर जाए|
बादशाह अकबर का मुंहलगा हिजड़ा था खोजा| हालाकि खोजा काफी बुद्धिमान था किंतु वह स्वयं को बीरबल से भी ऊंचा समझने लगा था| एक दिन उसने दरबार में घोषणा कर दी कि यदि बीरबल उसके तीन सवालों का जवाब दे देगा तो वह जिंदगी भर बीरबल की गुलामी करेगा अन्यथा बीरबल को उसकी गुलामी करनी पड़ेगी|
सर्दी का मौसम था| बादशाह अकबर महल के ऊपरी हिस्से में बैठे हुए सूरज की गरमी ले रहे थे| बीरबल और दूसरे दरबारी विचार-विमर्श कर रहे थे|