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बादशाह अकबर के मन में विचार आया कि आने वाली पीढ़ी को अपने बारे में जानकारी देने के लिए महाभारत की तर्ज पर शाही महाभारत लिखवाई जाए| इसके लिए उन्हें बीरबल ही उपयुक्त लगा| अत: उन्होंने अपनी इच्छा बीरबल को बता दी|

बादशाह अकबर हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दलालों के माध्यम से भारी मात्रा में रुई मंगवाते थे और बहुत ही सस्ती दर पर सूत कातने वाले कारीगरों को दे देते थे, जिससे उनका गुजारा चलता रहता था|

बादशाह अकबर को बर्तनों के एक व्यापारी की बहुत अधिक शिकायतें मिल रही थीं| उन्होंने बीरबल को बुलाया और उसे मामले को सुलझाने को कहा| बीरबल ने अपनी तरफ से छानबीन की तो पाया कि वाकई व्यापारी ठगी कर रहा था| बीरबल ने उसे सबक सिखाने की ठान ली|

बादशाह अकबर की बेगम ने जिद पकड़ ली कि उनके भाई को दिल्ली को दीवान नियुक्त किया जाए और  बीरबल की दीवान पद से छुट्टी कर दें| बादशाह अकबर ने बेगम को बहुत समझाया| उनके भाई के लिए किसी दूसरे पद की पेशकश की, किंतु बेगम न मानीं|

बादशाह अकबर ने एक स्वप्न देखा| उस स्वप्न के बारे में उन्हें जिज्ञासा हुई| उन्होंने ज्योतिषी को बुलवाया और अपने स्वप्न के बारे में बताकर उसका फल जानना चाहा|

बीरबल दरबार में पान चबाता हुआ पाया| यह देखकर बादशाह अकबर नाराज होकर बोले – “बीरबल, यह दरबार है और तुम यहां पान चबाते हुए आ गए, अब पीक भी थूकोगे, यहां गंदा करोगे|”

बादशाह अकबर ने भरे दरबार में बीरबल से पूछा – “इस दुनिया में किस बिरादरी के लोग मुर्ख होते हैं? और किस बिरादरी के लोग समझदार?”

बादशाह अकबर बेहद खूबसूरत जूते खरीद कर लाए| सभी दरबारी जूते की तारीफ कर रहे थे| तभी दरबार में बीरबल आया तो बादशाह ने जूते की तरफ इशारा करते हुए कहा – “देखो बीरबल, मेरे नए जूते, अच्छे हैं न?”

बादशाह अकबर और बीरबल शाम को सैर कर रहे थे| मार्ग में उन्हें एक वृद्ध स्त्री मिली, जिसके हाथ में म्यान सहित एक तलवार थी| बादशाह अकबर उस वृद्ध स्त्री के पास गए और बोले – “माताजी, यह तलवार लेकर आप यहां क्यों कड़ी हैं|”

बीरबल को कहीं से एक गधा मिल गया| वह उसे बादशाह अकबर के पास लाया और बोला – “हुजूर, यह गधा काफी बुद्धिमान नजर आ रहा है| यदि इसे पढ़ना सिखाया जाए तो यह पढ़ाकू गधा बन सकता है|”