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राजदरबार के एक सेवक से कुछ लापरवाही हो गई, जिसे देखकर बादशाह अकबर बिगड़ गए और उसे आदेश दिया-“जाओ बाजार से एक सेर चूना लेकर आओ और उसे मेरे सामने खाओ|”

अकबर के दरबार में कलाकारों, विद्वानों तथा अपने-अपने क्षेत्र में माहिर लोगों की कद्र की जाती थी| जब भी ऐसा कोई व्यक्ति दरबार में आकर अपनी कला का प्रदर्शन करता, राजा उसे भारी इनाम देकर खुश कर देते थे|

बादशाह अकबर और बीरबल यमुना नदी के किनारे सैर कर रहे थे| उस वक्त बीरबल नजरें झुकाकर चल रहा था| यह देखकर बादशाह अकबर को मजाक सूझा और उन्होंने बीरबल से पूछा – “क्या बात है बीरबल… कुछ गुम हो गया है क्या?”

बादशाह अकबर और बीरबल यमुना नदी के तट पर टहल रहे थे| वहां एक आदमी मछली पकड़ रहा था| उसे देखकर बादशाह अकबर भी उसके साथ मछली पकड़ने बैठ गए किन्तु बीरबल वापस लौट आए|

मुल्ला दोप्याजा की काफी उम्र हो गई थी किन्तु उसने विवाह नहीं किया था| एक दिन बादशाह अकबर ने मुल्ला दोप्याजा से कहा -“मुल्लाजी, अब आपको शादी कर लेनी चाहिए|”

फौजिया की काफी उम्र हो गई थी और वह इस दुनिया में अकेली थी| उम्र के इस दौर में पहुंचकर उसे हज पर जाने की इच्छा हुई| अत: उसने अपने सभी गहने हजार मोहरों के दाम बेच दिए| ढाई सौ मोहरें उसने खर्च के लिए रखकर शेष साढ़े सात सौ मोहरों को एक थैली में अच्छी तरह से बन्द कर दिया तथा उसे लाख से सील कर दिया|

बादशाह अकबर ने बीरबल से सवाल किया – “इस संसार में इंसान-इंसान में भेद क्यों है, कोई तो भूखे पेट सो जाता है और किसी के पास इतना है कि पेट भरने के बाद फेंकना पड़ता है| सभी को ऊपर वाले ने ही बनाया है तो फिर यह भेद क्यों है?”

एक बार अकबर की ओर से बीरबल किसी शाही दावत में गया हुआ था| अगले दिन जब बीरबल दरबार में लौटा तो बादशाह ने उससे शाही दावत और उसमें बने भोजन के बारे में पूछा|