Homeशिक्षाप्रद कथाएँचार गुण (बादशाह अकबर और बीरबल)

चार गुण (बादशाह अकबर और बीरबल)

बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा – “क्या किसी मनुष्य में एक साथ पीर, बावर्ची, भिश्ती और खर (मजदूरी करने वाला) के गुण हो सकते हैं? मुझे ऐसे मनुष्य से मिलने की बहुत इच्छा है|”

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“हुजूर की आज्ञा को पूरा करना मेरा फर्ज है, कल दरबार में आपके सम्मुख ऐसा व्यक्ति पेश कर दूंगा|” बीरबल ने जवाब दिया|

अगले दिन बीरबल दरबार में एक गरीब मजदूर ब्राह्मण को लेकर उपस्थित हुआ और बादशाह से कहा – “जहांपनाह, आपकी इच्छा अनुसार मैं ऐसा व्यक्ति ले आया हूं, जैसा आप चाहते हैं|”

“इसमें चारों गुण मौजूद है?” बादशाह अकबर ने पूछा|

“जी हुजूर|”

“बताओ कैसे?”

“हुजूर, जात से यह मनुष्य ब्राह्मण है और ब्राह्मण पूजनीय होते हैं, अत: यह पीर है| ब्राह्मण के हाथ का भोजन सभी खाते हैं इसलिए यह बावर्ची भी है| ब्राह्मण के हाथ का पानी पीने से भी लोग परहेज नहीं करते इसलिए यह भिश्ती भी है और यह मनुष्य पेशे से मजदूर है, अत: खर है|”

“बहुत खूब बीरबल|” बादशाह अकबर प्रसन्न हुए और उन्होंने बीरबल की प्रशंसा की तथा ब्राह्मण को पुरस्कृत कर विदा किया|

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