एक जंगल में बरगद के विशाल वृक्ष पर अनेक पक्षियों का बसेरा था| वर्षा का मौसम आने से पूर्व ही सबने अपने-अपने घोंसलों की मरम्मत आदि करके दाना-पानी एकत्र कर लिया था| जंगल के अन्य जीवों ने भी अपना-अपना बंदोबस्त कर लिया था|
एक नगर में जीर्णधन नामक एक बनिया रहता था| उसकी आर्थिक दशा काफ़ी खराब चल रही थी| इसलिए उसने किसी दूसरे बड़े शहर में जाकर अपना भाग्य अजमाने की सोची|
एक बार इंद्र अपने दरबार में सभी देवताओं के साथ बैठे पृथ्वी की स्थिति पर चर्चा कर रहे थे। पृथ्वी के जीवन, वहां की समस्याओं व मांगों के विषय में सभी अपने-अपने विचार रख रहे थे। इंद्र का आग्रह था कि पृथ्वी के जीवन के विषय में उन्हें सही वस्तुस्थिति का ज्ञान हो जाए तो वे सुधार की दिशा में कुछ सकारात्मक कदम उठाएं।
बादशाह अकबर के मन में विचार आया कि आने वाली पीढ़ी को अपने बारे में जानकारी देने के लिए महाभारत की तर्ज पर शाही महाभारत लिखवाई जाए| इसके लिए उन्हें बीरबल ही उपयुक्त लगा| अत: उन्होंने अपनी इच्छा बीरबल को बता दी|
एक मेमना बहुत ही चंचल स्वभाव का था| उसकी माँ उसे अक्सर समझाया करती थी, ‘बेटा! अकेले इधर-उधर न जाया कर! ज़माना खराब है|’ लेकिन वह अपनी माँ की बात अनसुनी कर देता था|
एक पहाड़ के उन्नत शिखर पर एक बाज रहता था| उसी पहाड़ की तलहटी में बरगद के एक विशाल वृक्ष पर कौए का घोंसला था| वह कौआ बड़ा चालक और धूर्त था| उसका सदैव यही प्रयास रहता कि बिना परिश्रम किए कहीं से कुछ खाने को मिल जाए तो वह अपना पेट भर ले|
एक बार शिवजी और मां पार्वती भ्रमण पर निकले। उस काल में पृथ्वी पर घोर सूखा पड़ा था। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। पीने को पानी तक जुटाने में लोगों को कड़ी मेहनत करना पड़ रही थी। ऐसे में शिव-पार्वती भ्रमण कर रहे थे। मां पार्वती से लोगों की दयनीय स्थिति देखी नहीं गई।
बादशाह अकबर हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दलालों के माध्यम से भारी मात्रा में रुई मंगवाते थे और बहुत ही सस्ती दर पर सूत कातने वाले कारीगरों को दे देते थे, जिससे उनका गुजारा चलता रहता था|
एक बारहसिंगा सरोवर के तट पर पानी पी रहा था तो पानी में उसे अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया| वह अपने सींगों को देखकर सोचने लगा, ‘मेरे सींग कितने सुंदर है|
भगवान शंकर को पति के रूप में पाने हेतु माता-पार्वती कठोर तपस्या कर रही थी। उनकी तपस्या पूर्णता की ओर थी। एक समय वह भगवान के चिंतन में ध्यान मग्न बैठी थी। उसी समय उन्हें एक बालक के डुबने की चीख सुनाई दी। माता तुरंत उठकर वहां पहुंची। उन्होंने देखा एक मगरमच्छ बालक को पानी के भीतर खींच रहा है।
बादशाह अकबर को बर्तनों के एक व्यापारी की बहुत अधिक शिकायतें मिल रही थीं| उन्होंने बीरबल को बुलाया और उसे मामले को सुलझाने को कहा| बीरबल ने अपनी तरफ से छानबीन की तो पाया कि वाकई व्यापारी ठगी कर रहा था| बीरबल ने उसे सबक सिखाने की ठान ली|
एक धोबी के पास एक कुता और एक गधा था| धोबी सुबह-सुबह गधे पर कपड़े लादता और कुते को साथ लेकर घाट पर पहुँच जाता| जब धोबी कपड़े धोकर घाट पर सुखा कर चला जाता, तब कुता उनकी रखवाली करता|
प्रत्येक मनुष्य के विकास की असीम क्षमताएं उसके भीतर मौजूद होती हैं।
एक समय की बात है| पैगंबर मोहम्मद अपने एक साथी के साथ जंगल से जा रहे थे| उनके पीछे दुश्मन की फौज आ रही थी|
बादशाह अकबर की बेगम ने जिद पकड़ ली कि उनके भाई को दिल्ली को दीवान नियुक्त किया जाए और बीरबल की दीवान पद से छुट्टी कर दें| बादशाह अकबर ने बेगम को बहुत समझाया| उनके भाई के लिए किसी दूसरे पद की पेशकश की, किंतु बेगम न मानीं|
डॉक्टर दुर्गाचरण नाग बड़े ही सह्रदय चिकित्सक थे| वह न केवल मोहल्ले के रोगियों की चिकित्सा करते थे, अपितु यह भी देखते रहते थे कि उनका कोई पड़ोसी, मोहल्ले का कोई व्यक्ति भूखा, नंगा या रोगी तो नहीं है?
त्रेतायुग में एक बार बारिश के अभाव से अकाल पड़ा। तब कौशिक मुनि परिवार के लालन-पालन के लिए अपना गृहस्थान छोड़कर अन्यत्र जाने के लिए अपनी पत्नी और पुत्रों के साथ चल दिए। फिर भी परिवार का भरण-पोषण कठिन होने पर दु:खी होकर उन्होनें अपने एक पुत्र को बीच राह में ही छोड़ दिया।
बादशाह अकबर ने एक स्वप्न देखा| उस स्वप्न के बारे में उन्हें जिज्ञासा हुई| उन्होंने ज्योतिषी को बुलवाया और अपने स्वप्न के बारे में बताकर उसका फल जानना चाहा|
चौदह वर्ष के वनवास के दौरान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी में एक पर्णकुटी बनाकर रह रहे थे। एक दिन रावण की बहन राक्षसी शुर्पणखा आकाश मार्ग से उस ओर से गुजर रही थी तभी वह श्रीराम और लक्ष्मण के सुंदर और मोहक रूप को देखकर मोहित हो गई। वह तुरंत ही जमीन पर उतर आई और अतिसुंदर स्त्री का रूप बना लिया।
बीरबल दरबार में पान चबाता हुआ पाया| यह देखकर बादशाह अकबर नाराज होकर बोले – “बीरबल, यह दरबार है और तुम यहां पान चबाते हुए आ गए, अब पीक भी थूकोगे, यहां गंदा करोगे|”
चंद्रिका नगर के निवासी लालाराम नामक बनिये का लड़का सौ रूपये मूल्य की एक पुस्तक खरीद लाया| उस पुस्तक में एक स्थान पर लिखा था कि मनुष्य अपने भाग्य का लिखा तो बड़ी ही आसानी से पा लेता है, लेकिन जो भाग्य में नही लिखा होता उसे जी-तोड़ परिश्रम करने के उपरांत भी पाने में असमर्थ रहता है|
आप किसी भी क्षेत्र में हों, योग्यता के तीन प्रमाण माने जाते हैं। निरंतरता, विश्वसनीयता और समर्पण। कार्य के प्रति प्रयासों में जो निरंतरता होती है, उससे आलस्य दूर होता है। हमारी कार्यशैली से बासी और उबाऊपन चला जाता है।
बादशाह अकबर ने भरे दरबार में बीरबल से पूछा – “इस दुनिया में किस बिरादरी के लोग मुर्ख होते हैं? और किस बिरादरी के लोग समझदार?”
एक राजा हमेशा अपनी मौत के डर से बहुत भयभीत रहा करता था| वह प्रायः ज्योतिषियों से इस बारे में पूछता रहता था| ज्योतिषी उसे एक ही उत्तर देते कि महाराज आप तो दीर्घायु है|
अच्छे अच्छों को पता नहीं चल पाता जीवन कब बिखर जाता है, उलझ जाता है। कइयों की पूरी जिंदगी बीत जाती है समेटते, सुलझाते हुए। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि हमारे पास कई ऐसे शास्त्र हैं जिनके माध्यम से हम बिखरी जिंदगी समेट सकते हैं।
बादशाह अकबर बेहद खूबसूरत जूते खरीद कर लाए| सभी दरबारी जूते की तारीफ कर रहे थे| तभी दरबार में बीरबल आया तो बादशाह ने जूते की तरफ इशारा करते हुए कहा – “देखो बीरबल, मेरे नए जूते, अच्छे हैं न?”
एक कौआ नीम के पेड़ की शाखा पर बैठा था| उसकी चोंच में रोटी का एक टुकड़ा था| एक लोमड़ी उधर से गुजरी तो कौए की चोंच में रोटी का टुकड़ा देखकर उसके मुहँ में पानी भर आया| उसने सोचा कि किसी तरह कौए की रोटी हथियानी चाहिए|
एक बार भगवान महावीर जंगल में तपस्या कर रहे थे। वे एकाग्रचित्त हो प्रभु के ध्यान में रमे थे। उस जंगल में चरवाहे भी गाय, भेड़, बकरियां चराने आते थे। चूंकि चरवाहे अशिक्षित व अज्ञानी थे इसलिए वे तपस्या के महत्व को नहीं जानते थे।
बादशाह अकबर और बीरबल शाम को सैर कर रहे थे| मार्ग में उन्हें एक वृद्ध स्त्री मिली, जिसके हाथ में म्यान सहित एक तलवार थी| बादशाह अकबर उस वृद्ध स्त्री के पास गए और बोले – “माताजी, यह तलवार लेकर आप यहां क्यों कड़ी हैं|”
एक बार एक भेड़िए को कही से भेड़ की खाल मिल गई तो वह फूला नही समाया| वह सोचने लगा, ‘सूर्यास्त के बाद जब गड़रिया भेड़ों को बाड़े में बंद कर देगा, तब मैं भी भेड़ों के बीच बाड़े में घुस जाऊँगा और रात को मोटी-सी भेड़ उठाकर भाग जाऊँगा| फिर उसे चटकारे लेकर खाऊँगा और इस खाल के कारण वह मुझे पहचान भी नही पाएगा|’