सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 1 शलोक 1 से 47 in Sanskrit, Hindi & English.
दामोदर को सांप के काटने और साईं बाबा द्वारा बिना किसी मंत्र-तंत्र अथवा दवा-दारू के उसके शरीर से जहर का बूंद-बूंद करके टपक जाना, सारे गांव में इसी की ही सब जगह पर चर्चा हो रही थी|
बाबा को द्वारिकामाई मस्जिद में आए अभी दूसरा ही दिन था कि अचानक मस्जिद के दूसरे छोर पर शोर मच गया – “काट लिया! काट लिया! काले नाग ने काट लिया|”
|| चौपाई ||
पहले साई के चरणों में, अपना शीश नमाऊं मैं।
कैसे शिरडी साई आए, सारा हाल सुनाऊं मैं॥
श्री साईं बाबा व्रत के फलस्वरूप निम्नलिखित लाभ व फल प्राप्त हो सकते है: पुत्र की प्राप्ति, कार्य सिद्धि, वर प्राप्ति, वधु प्राप्ति, खोया धन मिले, जमीन जायदात मिले, धन मिले, साईं दर्शन, मन की शान्ति, शत्रु शांत होना, व्यापार में वृद्धि, बांझ को भी बच्चे की प्राप्ति हो, इच्छित वास्तु की प्राप्ति, पति का खोया प्रेम मिले, परीक्षा में सफलता, यात्रा का योग, रोग निवारण, कार्य सिद्धि, सर्व मनोकामना पूर्ती, इत्यादि|
“एक-दो-तीन-चार…….।” जयंतीलाल पाँच-पाँच सौ के नोटों की गिनती कर रहा था। तीस की संख्या पर वह रुक गया।
बहुत पुराने समय की बात है! मगध देश की राजधानी पाटलिपुत्र में एक बहुत ही धनवान सेठ धनीराम रहता था! धनीराम के दो बेटे थे!
लालाराम एक कंजूस-मक्खीचूस सुनार था! हमेशा सोने चांदी के जेवरों में डण्डी जरूर मारता था!
करीमगंज में लड्डन शाह नाम का एक बड़ा ही तेज तर्रार और अपने फन में माहिर दर्जी रहता था, जिसे करीमगंज के लोग प्यार से लड्डू मास्टर कहते थे!
अंगूरी चाची जहाँ बहुत ही खूबसूरत हट्टी-कट्टी थीं, वहीं उनके पति परमेश्वर विभूति नारायण मिश्रा जी दुबले पतले सींकिया पहलवान थे!
एक बूढा व्यक्ति था। उसकी दो बेटियां थीं। उनमें से एक का विवाह एक कुम्हार से हुआ और दूसरी का एक किसान के साथ।
जीवन दर्शन एक वर्ष भीषण बारिश हुई। मध्यप्रदेश की एक नदी में बाढ़ आ गई। वहां के सारे गांव और बस्ती खाली हो गए, लेकिन एक स्थान ऐसा था जहां कुछ लोग बाढ़ से तो बच गए, किंतु पानी से घिर गए। उनके चारों ओर पानी ही पानी था। खाने-पीने का कोई सामान नहीं और सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी।
विश्वामित्र के जाने के उपरांत राजा हरिश्चंद्र सोच में डूब गए कि ‘अब मै क्या करूं? इस अनजान नगर में कोई मुझे ॠण भ नहीं दे सकता| अब तो एक ही उपाय है की मै स्वयं को बेच दूं|’
महाराष्ट्र में समर्थ गुरु रामदास बाबा एक बहुत विचित्र संत हुए हैं| इस्म्के समंध में एक कथा प्रसिद्ध है| ये हनुमानजी के भक्त थे और इनको हनुमानजी के दर्शन हुआ करते थे| एक बार बाबा जी ने हनुमान जी से कहा कि ‘महाराज! आप एक दिन सब लोगों को दर्शन दें|’ हनुमान जी से कहा कि ‘तुम लोगों को इकट्ठा करो तो मैं दर्शन दूंगा|’ बाबा जी बोले कि ‘लोगों को तो मैं हरिकथा से इकट्ठा कर लूँगा|’
सुन्दर वन नामक जंगल में एक शेर रहता था| एक दिन उसे बहुत भूख लगी तो वह आसपास किसी जानवर की तलाश करने लगा|