लखनऊ, 25 जून। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) के तीन छात्र अपनी शिक्षिका के नेतृत्व में एक माह के अन्तर्राष्ट्रीय बाल शिविर में प्रतिभाग करेंगे। यह अन्तर्राष्ट्रीय बाल शिविर 5 जूलाई से 1 अगस्त तक नार्वे के होर्डेलैण्ड शहर में आयोजित किया जा रहा है।
आज समाज में चारों तरफ शैतानी सभ्यता बढ़ती ही जा रही है। चारित्रिकता, नैतिकता, कानून का सम्मान व जीवन मूल्यों की शिक्षा के अभाव में कुछ लोग आज राह भटक गये हैं, यही कारण है कि समाज में आये दिन महिलाओं के प्रति बढ़ते वीभत्स अपराध, चोरी, हत्या, बलात्कार, भ्रष्टाचार आदि जैसी घटनाएं पढ़ने-सुनने को मिल रही है। आज की इस विषम सामाजिक परिस्थितियों में हमारी बाल एवं युवा पीढ़ियां, विशेषकर लड़कियों का भविष्य असुरक्षित होता चला जा रहा है। यह अत्यन्त ही दुःखदायी एवं सोचनीय विषय बन गया है। वास्तव में हम जो कुछ भी हैं सदाचारी-दुराचारी, हिंसक-अहिंसक, सुखी-दुःखी, सफल-असफल, शांत-अशांत, आस्तिक-नास्तिक, अच्छे-बुरे आदि सब कुछ हमारे विचारों के कारण से हैं। हमारे जीवन में ‘मन’ एक खेत की तरह है तथा ‘विचार’ बीज की तरह हैं। जीवन व चित्त रूपी भूमि में हम परिवार, विद्यालय तथा समाज के वातावरण के द्वारा बालक के मन में जैसे विचारों का बीजारोपण करते हैं वैसे ही विचारों, चरित्र और आचरण का बालक बन जाता है। हमारा मानना है कि बच्चों में बाल्यावस्था से ही चारित्रिक गुणों को विकसित करने के लिए नव शैक्षिक सत्र को चरित्र निर्माण के वर्ष के रूप में मनाना चाहिए।
लखनऊ, 24 जून। सिटी मोन्टेसरी स्कूल की मेजबानी में आयोजित 8-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सी.आई.एस.वी. यूथ मीटिंग में प्रतिभाग हेतु लखनऊ पधारे ब्राजील, चेक रिपब्लिक, इण्डोनेशिया, स्पेन एवं भारत के छात्र दलों का सी.एम.एस. छात्रों व शिक्षकों ने फूल-मालाएं पहनाकर भव्य स्वागत किया। लखनऊ पधारने पर ये बच्चे खुशी से फूले नहीं समा रहे थे।
लखनऊ, 23 जून। सिटी मोन्टेसरी स्कूल का 66-सदस्यीय छात्र दल अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के अवसर पर न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय में योग प्रदर्शन कर आज स्वदेश लौट आया।
लखनऊ, 23 जून। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर ऑडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व-एकता सत्संग’ में बोलते हुए प्रख्यात शिक्षाविद्, सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका एवं बहाई अनुयायी डा. भारती गाँधी ने प्रार्थना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रार्थना से मधुर जीवन में कुछ नहीं होता क्योंकि यह ईश्वर से वार्तालाप है।