Homeआध्यात्मिक न्यूज़प्रार्थना से अंतःकरण शुद्ध एवं पवित्र होता है

प्रार्थना से अंतःकरण शुद्ध एवं पवित्र होता है

प्रार्थना से अंतःकरण शुद्ध एवं पवित्र होता है

लखनऊ, 23 जून। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर ऑडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व-एकता सत्संग’ में बोलते हुए प्रख्यात शिक्षाविद्, सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका एवं बहाई अनुयायी डा. भारती गाँधी ने प्रार्थना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रार्थना से मधुर जीवन में कुछ नहीं होता क्योंकि यह ईश्वर से वार्तालाप है।इससे आध्यात्मिकता का सृजन होता है और आत्मा प्रकाशित होती है। गाकर प्रार्थना करने तथा इसमें लीन हो जाने से ईश्वर के नजदीक पहुँचा जा सकता है। डा. गाँधी ने जोर देते हुए कहा कि प्रार्थना वह पवित्रतम स्थिति है जो ईश्वर का सानिध्य कराने में सहायक होती है। सच्चे हृदय से प्रार्थना करने से हमारी आत्मा परमात्मा के दिव्य प्रकाश से प्रकाशित हो उठती है और हमारा मन मानवता के कल्याण हेतु अग्रसर हो उठता है।

इससे पहले, सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत सुमधुर भजनों से विश्व एकता सत्संग का शुभारम्भ हुआ जिसने सम्पूर्ण वातावरण को ईश्वरीय प्रकाश से आलोकित कर दिया तथापि सुन्दर भजनों से उपस्थित सत्संग प्रेमी गद्गद् हो उठे। इस अवसर पर कई विद्वानों ने अपने सारगर्भित संबोधन से जन-मानस का ज्ञानवर्धन किया। सत्संग का समापन संयोजिका श्रीमती वन्दना गौड़ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

 

(हरि ओम शर्मा)
मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

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