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शिक्षाप्रद कथाएँ (1569)

एक कौआ कहीं से उड़ता हुआ आया और मैदान में चरती हुई एक बकरी की पीठ पर बैठ गया| बकरी ने कौए की अनदेखी कर दी और उससे अपनी पीठ पर से हट जाने के लिए नहीं कहा| अब तो कौए की हिम्मत बढ़ गई| उसने बकरी की पीठ पर चोंच मारनी आरम्भ कर दी|

किसी पेड़ पर एक तोता और उसकी मां रहते थे| उसी पेड़ पर एक गौरेया आती-जाती थी| उसने तोते से मित्रता भी कर ली थी| तोता गौरेया की चहचहाहट सुनकर बहुत प्रसन्न होता| एक दिन वह अपनी मां से बोला – “यह गौरेया कितनी अच्छी है|

एक बार एक बकरा-बकरी जब चरने के लिए जाने लगे तो बकरे ने अपने बच्चों से कहा कि जब वह शाम को वापस आएं और जब मैं ऐसे कहूं – “बोनी, टोनी, पिंकी, मिंकी! दरवाजा खोलो| मैं तुम्हारे लिए भोजन लाया हूं| तभी दरवाजा खोलना|” यह कहकर वह किसी हरे-भरे जंगल में चले गए|

एक घोड़ा पानी पीने के लिए नदी पर गया| उस समय नदी में एक जंगली सुअर स्नान कर रहा था| घोड़ा पानी पीने ही वाला था कि सुअर जोर से चिल्लाया – “अरे ओ मुर्ख! तुम इस नदी से पानी नहीं पी सकते| यह नदी मेरी है|”

एक पेड़ के नीचे एक सुअरी बैठी थी| सुअरी के साथ उसके छोटे-छोटे बच्चे भी थे| वह अपने बच्चों को दूध पिला रही थी|

एक बार एक गधा और बंदर किसी वृक्ष की छांव में बैठे हुए थे| वे आपस में विभिन्न विषयों पर बात कर रहे थे| वे आपस में विभिन्न विषयों पर बात कर रहे थे| अचानक बातचीत का रुख व्यक्तिगत शारीरिक संरचना ने ले लिया| विषय उठा कि दूसरे जानवर किस प्रकार उनके अनाकर्षक शरीर को देखकर हंसते हैं|

एक समय की बात है, किसी व्यक्ति के पास एक गधा था| गधा बहुत परिश्रमी था| मगर मालिक इतना कठोर हृदय था कि गधे से दिन-रात कड़ी मेहनत करवाने के बाद भी उसे भर पेट भोजन नहीं देता था| परिणाम यह हुआ कि गधा धीरे-धीरे दुर्बल हो गया|

एक बार एक सिंह और एक भालू जंगल में अपने शिकार की तलाश में घूम रहे थे| दोनों ही भूख से व्याकुल थे| अचानक उन्हें एक हिरन का बच्चा दिखाई दिया| दोनों ने एक ही बार आक्रमण कर उस हिरण के बच्चे को मार दिया| परंतु बच्चा इतना छोटा था कि वह उन दोनों में से किसी के लिए भी पर्याप्त भोजन नहीं था|

एक समय की घटना है, एक बूढ़े आदमी ने अपनी बहुत सी सम्पत्ति अपने पुत्र के नाम कर दी| उसने अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी सारी सम्पत्ति उसके मरने के बाद उसके पुत्र की हो जाएगी| और वसीयत करने के कुछ दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई|

एक बार एक भेड़िया किसी जंगली कुत्ते से युद्ध करते समय बुरी तरह घायल हो गया| वह इतना घायल था कि उसके लिए चलना-फिरना भी दूभर था| वह एक झरने से कुछ दूरी पर लेटा दर्द से कराह रहा था|

एक बार एक किसान ने पक्षियों को पकड़ने के लिए अपने खेत में जाल बिछाया| जाल में बहुत से पक्षी फंसे| फंसे हुए पक्षियों में जंगली कौए तो थे ही, बेचारा एक कबूतर भी फंसा पड़ा था|

एक मोर और सारस में बहुत गहरी मित्रता थी| वे हमेशा साथ-साथ घूमते थे|

एक बार एक भेड़िया किसी पहाड़ी नदी में एक ऊंचे स्थान पर पानी पी रहा था| अचानक उसकी नजर नीचे एक भोले-भाले मेमने पर पड़ी, जो पानी पी रहा था| भेड़िया मेमने को देखकर अति प्रसन्न हुआ और सोचने लगा – ‘वर्षों बीत गए, मैंने किसी मेमने का मांस नहीं खाया| यह तो छोटी उम्र का है|

किसी जंगल में एक कौआ रहता था| पूरा जंगल तरह-तरह के रंगीन पक्षियों से भरा पड़ा था| मगर पूरे जंगल में एक यही कौआ था – बिल्कुल काला भुजंग| कौआ भी अपने काले रंग के प्रति बहुत सचेत रहता था| अपने काले रंग के कारण वह हीनभावना से ग्रस्त रहता था|

एक भेड़िया जब अपने शिकार को खा रहा था तो मांस की एक हड्डी उसके गले में फंस गई| भेड़िया दर्द से चिल्लाने लगा| गले का दर्द धीरे-धीरे बढ़ता गया और जब असहनीय हो गया तो भेड़िये को लगा कि वह मर जाएगा| उसे सांस लेने में भी कठिनाई हो रही थी|

किसी कमरे में एक कोने में बने बिल के सामने दो चूहे बैठे थे| अचानक उनकी नजर कमरे के दूसरे कोने पर गई|

किसी जंगल में एक सिंह, एक गधा और एक लोमड़ी रहते थे| तीनों में गहरी मित्रता थी| तीनों मिलकर जंगल में घूमते और शिकार करते| एक दिन वे तीनों शिकार पर निकले| उन तीनों में पहले से ही यह समझौता था कि मारे गए शिकार के तीन बराबर भाग किए जाएंगे|

एक बार एक उकाब किसी जंगल की ओर से उड़ता हुआ आया| उसक पंजों में एक काला सांप दबा हुआ था| उकाब एक बड़ी-सी चट्टान के ऊपर अपने पंख फड़फड़ा कर उड़ने लगा| कुछ देर बाद वह उसी चट्टान पर उतर गया ताकि वह सांप को एकान्त में निश्चिन्त होकर खा सके|

एक बार एक शहरी चूहा अपने गांव में रहने वाले अपने मित्र चूहे से भेंट करने गया| गांव का चूहा एक गरीब किसान के घर में रहता था| चूंकि शहर का चूहा गांव के चूहे का अतिथि था, इसलिए गांव के चूहे ने अपने मेहमान को स्वादिष्ट भोजन परोसने में कोई कसर न छोड़ी|

एक गांव था, जहां के निवासियों ने कभी ऊंट नहीं देखा था| एक बार किस्मत का मारा एक एक ऊंट रास्ता भटक गया और गांव के बीच खेतों में जाकर चरने लगा| गांव वालों ने कभी ऐसा अजीबोगरीब प्राणी नहीं देखा था, इसलिए वे सब भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे|

किसी जंगल के किनारे पानी से भरी एक बड़ी सी झील थी| इसमें कुछ मेंढ़क खूब मजे का जीवन व्यतीत कर रहे थे| एक बार ऐसा हुआ कि वर्षा ऋतू में पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी| भीषण गरमी से झील सूख गई थी|

एक बार एक मुर्गा भोजन की तलाश कर रहा था| भोजन तलाश करने के दौरान ही एक कूड़े के ढेर में उसे एक बड़ा-सा हीरा मिला| उस हीरे को देखकर वह आश्चर्य में पड़ गया| फिर उसने उसे चोंच में भर कर तोड़ना चाहा, परंतु भला हीरा कैसे टूटता| तभी उसके इर्द-गिर्द मुर्गे भी जमा हो गए और कौतूहलवश उस हीरे के टुकड़े को देखने लगे|

एक बड़े मकान में सैकड़ों चूहे रहते थे| उसी मकान में एक बिल्ली भी रहती थी| जब भी उस बिल्ली को भूख लगती, वह किसी अंधेरे स्थान पर छुप कर बैठ जाती और जैसे ही कोई चूहा भोजन की तलाश में उधर आता, वह उस पर झपट पड़ती और उसे मार कर चट कर जाती|

एक बार एक भालू बहुत प्रसन्न मुद्रा में जंगल में घूम रहा था| उसे जिस भोजन की तलाश थी, वह था शहद| भालू को यह भी मालूम था कि उसे शहद कहां मिलेगा| उसने अपना थूथन उठाया, कुछ सूंघा और फिर एक ओर चल पड़ा|

एक बार एक विषैला सांप नदी के किनारे लेटा धूप का आनन्द ले रहा था कि तभी न जाने कहां से एक काला कौआ उसके ऊपर झपटा और अपने पंजों में दबाकर आकाश में उड़ गया| सांप बुरी तरह ऐंठ कर खुद को कौए के पंजों से छुड़ाने का प्रयत्न करने लगा, मगर लाख प्रयास करने पर भी सफल नहीं हुआ|

एक सिंह और एक गधे में आपस में बहुत गहरी मित्रता थी| यद्यपि उनका स्वभाव भिन्न था, परंतु वे हमेशा साथ-साथ ही घूमते थे| गधा और सिंह जहां भी जाते, वहीं वन्य प्राणियों में भगदड़ मच जाती| दरअसल, यह होता तो शेर की वजह से था, मगर गधे को बड़ी भरी गलतफहमी हो गई थी कि सभी जीव-जन्तु उससे भी दहशत खाते हैं और वह भी एक बलशाली जीव हैं|

किसी गांव में कुछ शरारती लड़के रहते थे| एक दिन वे गांव के एक तालाब में मेंढकों पर पत्थर फेंक कर खेल का आनन्द ले रहे थे| जैसे ही मेंढ़क पानी की सतह पर आते, लकड़े उनको पत्थरों से मारते| मेंढकों को घायल होकर मरता देखकर उन्हें बहुत प्रसन्नता होती और वे तालियां बजाते|

एक बार जंगल में एक पेड़ पर एक कौआ बैठा था| सामने ही हरी-भरी चरागाह में कुछ भेड़ें और मेमने चर रहे थे| तभी उड़ता हुआ एक उकाब आया| थोड़ी देर तक वह पंख फैलाए आकाश में मंडराता रहा| फिर नीचे की ओर आकर मेमनों के झुण्ड पर झपट्टा मारा और एक मोटे ताजे मेमने को उठाकर ले गया|

एक कंजूस महिला की यह आदत थी कि जैसे ही मुर्गे ने भोर में बांग लगाई – ‘कुंकडू-कूं’ और उसने अपनी नौकरानियों को उनके बिस्तरों से उठाना शुरू कर दिया|

एक बार एक घुड़सवार किसी कस्बे से होकर गुजर रहा था| उसने हैट पहन रखा था और हैट में लगे बालों की विग उसके गंजे गंजे सिर की शोभा बढ़ा रही थी|