Homeशिक्षाप्रद कथाएँबिल्ली के गले में घंटी – शिक्षाप्रद कथा

बिल्ली के गले में घंटी – शिक्षाप्रद कथा

बिल्ली के गले में घंटी - शिक्षाप्रद कथा

एक बड़े मकान में सैकड़ों चूहे रहते थे| उसी मकान में एक बिल्ली भी रहती थी| जब भी उस बिल्ली को भूख लगती, वह किसी अंधेरे स्थान पर छुप कर बैठ जाती और जैसे ही कोई चूहा भोजन की तलाश में उधर आता, वह उस पर झपट पड़ती और उसे मार कर चट कर जाती|
बिल्ली के इस छद्मयुद्ध से चूहे बड़े दुखी थे| जिस प्रकार उनकी संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही थी, उससे उनमें आतंक फैल गया था| एक दिन घबरा कर चूहों ने एक सभा का आयोजन किया, ताकि इस आतंक से बचने का कोई उपाय खोजा जा सके| बैठक में प्रत्येक चूहा अपने-अपने सुझाव देकर अपने उत्साह का पदर्शन कर रहा था| परन्तु दुर्भाग्यवश कोई भी सुझाव ऐसा नहीं था, जो पूरी तरह कारगर साबित हो|

अचानक एक चूहा अपने स्थान पर उठ कर खड़ा हुआ और कहने लगा – “सुनो भाइयो! मैं एक सुझाव दे रहा हूं| मुझे पूरा विश्वास है कि इस पर अमल करने से हमारी समस्या का पूरी तरह अंत हो जाएगा| बस, हमें कहीं से एक घंटी और धागे का प्रबंध करना होगा और उस घंटी को उस बिल्ली के गले में बांधना होगा| इसके बाद वह बिल्ली जब भी कहीं इधर-उधर जाएगी, उसके गले में बंधी घंटी जोर-जोर से बजने लगेगी| बजती घंटी हमारे लिए खतरे की सूचना होगी और हम सब चौकन्ने हो जाएंगे|”

उसका यह सुझाव सभी चूहों ने पसंद किया| उसके सुझाव को सुन कर वे प्रसन्नता से झूम उठे| वे उठकर नाचने-गाने लगे|

तभी एक बूढ़ा और अनुभवी चूहा उठ खड़ा हुआ और उन सबको डांटते हुए बोला – “चुप रहो, मूर्खो! तुम सब तो ऐसे नाच-गा रहे हो, जैसे कोई युद्ध जीत लिया हो| पहले यह बताओ यह घंटी बिल्ली के गले में बांधेगा कौन?”

किसी चूहे के पास इस प्रश्न का उत्तर नहीं था| सभी चूहे मुंह लटकाए खड़े थे| अचानक उन्हें मोटी बिल्ली के आने की आहट मिली| सभी चूहे गिरते-पड़ते अपने-अपने बिलों में घुस गए|

शिक्षा: केवल योजनाएं बनाना बेकार है, जब तक उस योजना को लागू न किया जा सकता हो|

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