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शिक्षाप्रद कथाएँ (1569)

प्राचीन काल की बात है| एक गांव में दो भाई रहते थे| बड़े भाई के पास बहुत सा धन था, परन्तु छोटा भाई गरीब था|

एक शहर में एक व्यापारी रहता था| उसका व्यापार काफी दूर-दूर तक फैला हुआ था| उसके काफिले तिब्बत, आसाम, बंगाल और कश्मीर तक जाते थे| व्यापारी धन-धान्य से परिपूर्ण था| लक्ष्मी की उस पर असीम कृपा थी|

एक बार एक व्यापारी समुद्री यात्रा कर रहा था| एक दिन उसने जहाज के कप्तान से पूछा कि उसके पिता की मृत्यु किस कारण हुई थी| कप्तान ने उत्तर दिया – “श्रीमान जी! मेरे पिता जी, मेरे दादा जी और मेरे परदादा जी तीनों की मृत्यु समुद्र में डूबने से हुई|”

एक बार कुछ शिकारियों ने जब एक बकरे का पीछा किया तो वह दौड़ कर अंगूर के बाग में घुस गया और वहां एक घनी बेल के पीछे छिप गया| चूंकि शिकारी उसे खोज नहीं पाए, इसलिए वे वापस लौट गए| बकरे ने जब देखा कि शिकारी वापस चले गए हैं तो वह वृक्ष के नीचे से निकल आया और पेड़ की पत्तियां खाने लगा| कुछ ही देर में हरा-भरा पेड़ बरबाद हो गया|

एक बार कड़ाके की ठंड से एक निर्धन व्यक्ति नंगे पैर शरीर पर कपड़े लगभग न के बराबर पहने हुए, किसी राजमार्ग पर खुशी से गाता हुआ चला जा रहा था| रास्ते में उसकी भेंट एक अन्य धनी व्यक्ति से हुई| वह घोड़े पर बैठा हुआ था| उसके शरीर पर कोट, लबादा और टोपी थी| पैरों में उसने मजबूत चमड़े के जूते पहन रखे थे|

बहुत दिनों पहले की बात है कि पक्षियों ने सभा बुलाकर अपना राजा चुनने का निश्चय किया| जंगल में एक खुले मैदान में शिकारी पक्षियों को छोड़कर अन्य सभी पक्षी सभा के लिए जमा हुए|

एक बारहसिंगा था| उसकी केवल एक ही आंख थी| एक आंख होने के कारण उसके साथ समस्या यह थी कि दूसरी ओर क्या हो रहा है, इसका उसे पता नहीं चलता था|

एक बार एक उकाब ने एक खरगोश का पीछा किया| खरगोश आड़ा-तिरछा दौड़ता हुआ किसी प्रकार घनी झाड़ियों में पहुंच कर दुबक गया| उसकी जान बच गई| उसका दिल अभी तक धड़क रहा था| वह अभी संभल ही रहा था कि तभी उसने एक गौरेया को कहते सुना – “हे खरगोश! इतना भयभीत क्यों होते हो?

एक किसान था| उसके पास एक बकरा और दो बैल थे| बैलों से वह खेत जोतने का काम लेता| दोनों बैल दिन भर कड़ी मेहनत करके खेतों की जुताई करते थे|

एक बार एक बाज एक कबूतर का पीछा करते हुए एक बहेलिए के जाल में फंस गया| बाज ने फड़फड़ाकर जल काटने की कोशिश की, मगर नाकाम रहा| तभी उसने बहेलिए को आते देखा| वह भय से कांप गया|

एक बार एक बाज कहीं से उड़ता हुआ आया और पेड़ की एक डाल पर बैठ गया| उस डाल पर एक तोता पहले से ही बैठा फल खा रहा था| बाज ने कभी किसी को फल खाते नहीं देखा था| उसने कहा – “ओ तोते, मुझे तुम्हें फल खाते देख कर आश्चर्य हो रहा है|

एक बार एक किसान को पास के एक दूसरे गांव में जाना पड़ा| गांव पहुंचने के लिए एक नदी पर करना आवश्यक था| समस्या तब उत्पन्न हुई, जब वह नदी के किनारे पहुंचा| किसान को तैरना नहीं आता था| वहां नावें भी नहीं थीं| सो उसके पास एक ही रास्ता था कि वह नदी उन्हीं स्थानों से पैदल पार करे, जहां पानी की गहराई बहुत कम थी|

एक दिन एक हिरन का बच्चा तथा एक बारहसिंगा दोनों किसी जंगल में एक साथ चर रहे थे| अचानक शिकारी कुत्तों का एक झुंड उनसे कुछ दूरी पर गुजरा|

एक बार एक बगुले ने अपने बच्चों को गिद्धों से बचाने के लिए अपना घोंसला बदल दिया| उसने अपना नया घोंसला नदी के किनारे बनाया| अब वह स्वयं को सुरक्षित समझ रहा था, क्योंकि उसके नए घोंसले का पता गिद्धों या बहेलियों को नहीं था|

एक चरवाहा था| एक दिन वह हरे-भरे मैदान में अपनी भेड़ें में अपनी भेड़ें चरा रहा था| तभी उसकी नजर एक भेड़िए के बच्चे पर पड़ी| उसे उस भेड़िए के बच्चे पर दया आ गई| यह उसे उठा कर अपने घर ले आया और उसे किसी बच्चे की तरह पालने-पोसने लगा|

एक बार एक कोयल और कबूतर आपस में बातें कर रहे थे| बहेलिए ने उन दोनों को एक ही पिंजरे में बंद कर रखा था|

एक बार एक सिंह गंभीर रूप से बीमार हो गया| चूंकि वह जंगल के सभी जानवरों का राजा था, अत: जंगल के सभी जानवर झुंड बना कर उसका हालचाल पूछने आए| केवल एक लोमड़ी नहीं आई| सिंह ने तो इस बात पर ध्यान नहीं दिया, परंतु भेड़िए से यह बात छिपी नहीं रह सकी, जो उसका पुश्तैनी शत्रु था|

एक बार एक बहेलिए ने एक गाने वाली चिड़िया पकड़ी| उसको उसने एक पिंजरे में रख दिया| बहुत दिनों तक तो चिड़िया बड़ी डरी-डरी और उदास रही, मगर शीघ्र ही उसने परिस्थितियों से समझौता कर लिया|

एक मुर्गा और एक कुत्ता एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र थे| एक दिन वे दोनों किसी जंगल से होकर यात्रा कर रहे थे| चलते-चलते अंधेरा छाने लगा| एक बड़ा सा पेड़ देखकर दोनों मित्रों ने आराम से रात काटने की सोची|

एक बार एक बूढ़ी औरत, जिसकी नजर कमजोर हो चुकी थी, एक नेत्र चिकित्सक के पास गई| नेत्र चिकित्सक ने महिला की जांच की और उसके नेत्रों का ऑपरेशन कर उसे उसके घर भेज दिया| महिला बहुत प्रसन्न थी कि डॉक्टर कितना भला है कि उसने उसके घर आकर मरहम-पट्टी करने का वादा किया है|

एक बार एक फाख्ता किसी बहेलिए के जाल में फंस गई| वह फड़फड़ाई और जाल से निकलने की भरसक कोशिश की, परंतु फसल नहीं हो सकी|

एक बार एक चालाक आदमी भूख से बेहाल इधर-उधर भोजन की तलाश में घूम रहा था| अंत में जब उसे भोजन प्राप्त नहीं हुआ तो निराश होकर ईश्वर के सामने घुटने टेक दिए – “हे ईश्वर, मुझ पर दया करो| अगर तुम मुझे एक सौ खजूर दोगे तो मैं आधे तुम्हारी सेवा में अर्पित कर दूंगा|”

एक बार एक मधुमक्खी ने एक बरतन में शहद इकट्ठा किया और ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए उनके समक्ष प्रस्तुत किया| ईश्वर उस भेंट से बहुत प्रसन्न हुए और मधुमक्खी से बोले कि वह जो चाहे इच्छा करे, उसे पूरा किया जाएगा|

एक बहेलिया था| एक बार जंगल में उसने चिड़िया फंसाने के लिए अपना जाल फैलाया| थोड़ी देर बाद ही एक उकाब उसके जाल में फंस गया|

एक बार एक बहेलिए ने एक फाख्ता अपने जाल में फंसाई| वह उसे अपने घर लाया और उसे अपनी मुर्गियों के साथ रख दिया| अपने बीच एक अजनबी और नई चिड़िया देखकर सभी मुर्गियां फाख्ता को परेशान करने लगीं और उसे चोंचें मारने लगीं|

किसी गांव में एक व्यक्ति रहता था| वह शिकार खेलने का बेहद शौकीन था| इसके लिए उसने दो कुत्ते पाल रखे थे| एक कुत्ते को उसने बाकायदा शिकार करने का प्रशिक्षण भी दिलवाया था| दूसरे कुत्ते को वह घर की रखवाली के लिए रखे हुए थे|

किसी गांव में एक धनी व्यक्ति रहता था| उसके पास अनगिनत भेड़ें थीं| उसने अपनी भेड़ें चराने के लिए एक व्यक्ति को नौकर रखा हुआ था| एक बार उस धनी व्यक्ति को ऐसे स्थान पर जाना पड़ा, जहां समुद्र था| वह समुद्र के किनारे तट पर बैठ गया| सुबह का समय था और समुद्र भी शांत था|

एक बार दो पालतू मुर्गे आपस में लड़ने लगे| दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों पर राजा के समान अपना अधिकार जमाना चाहते थे| झगड़ा इतना बढ़ा कि दोनों बहुत बुरी तरह आपस में गुंथ गए| दोनों ही अपने नुकीले पंजों से एक-दूसरे का पेट फाड़ देना चाहते थे|

एक बार एक शिकारी किसी घने जंगल से होकर गुजर रहा था| उसके पास बंदूक भी थी| जब वह जंगल के भीतर गया तो उसने पेड़ की एक डाल पर एक कबूतर बैठा देखा|

किसी किसान के बाग में शरीफे का एक पेड़ था| उस पेड़ पर अत्यन्त स्वादिष्ट फल लगते थे| एक दिन वह जमींदार के पास उसे खुश करने के लिए कुछ शरीफे ले गया| जमींदार ने शरीफे खाए तो बहुत प्रसन्न हुआ| फल उसे इतने पसन्द आए कि उसने निश्चय कर लिया कि वह उस पेड़ को हथिया लेगा|