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शिक्षाप्रद कथाएँ (1569)

मैं एक बड़े बादशाह का बेटा हूं| मेरा चाचा भी एक समीपवर्ती राज्य का स्वामी था| मेरे चाचा का एक बेटा मेरी उम्र का था और उसकी दूसरी संतान एक पुत्री थी|

खलीफा फारुन-अल-रशीद के शासन में बगदाद में एक मजदूर रहता था| वह बड़ा हंसमुख और बातूनी था|

फिर वह युवक बादशाह को अपनी आपबीती सुनाने लगा, “मेरे पिता का नाम महमूद शाह था| वे काले द्वीपों के बादशाह थे| वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं|

मछुवारा यह कहानी सुनाकर दैत्य से कहने लगा, “यदि गरीक बादशाह हकीम दूबां की हत्या न करता, तो भगवान उसे ऐसा दंड न देता|

मंत्री गरीक बादशाह को यह किस्सा सुनाकर कहने लगा, “जहांपनाह! आप मेरी बात को इतने हल्के तौर पर न लें और मेरा विश्वास करें|”

प्राचीन काल में एक राजा था| उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था| राजा उसे बहुत चाहता था| वह राजकुमार की किसी भी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था|

किसी गांव में एक बड़ा ही शरीफ आदमी रहता था| उसकी पत्नी बेहद सुंदर थी और वह आदमी उससे बहुत प्रेम करता था|

फारस देश में रुमा नामक एक नगर था| उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था|

किसी समय धार्मिक प्रवृत्ति का एक वृद्ध मुसलमान मछुआरा नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी में जाल फेंकता था|

“हे दैत्यराज! ये दोनों काले कुत्ते मेरे सगे भाई हैं| हमारे पिता ने मरते समय हम तीनों भाइयों को तीन हजार अशर्फियां दी थीं| हम लोग उस पैसे से व्यापार चलाने लगे|

“हे दैत्यराज! जिस हिरणी को आप मेरे साथ देख रहे हैं, यह वास्तव में मेरी पत्नी है| जब यह बारह वर्ष की थी, तभी इसके साथ मेरा निकाह हुआ था|

एक व्यापारी था| वह बहुत ही ईमानदार था| व्यापार के सिलसिले में वह अकसर दूसरे शहरों में जाता रहता था| एक बार व्यापार के सिलसिले में वह कहीं जा रहा था|

यह कहानी सुनाकर मंत्री ने शहरजाद से कहा, “अगर तुमने जिद्द न छोड़ी तो मैं तुम्हें ऐसा ही दंड दूंगा, जैसा उस व्यापारी ने अपनी स्त्री को दिया था|”

एक बड़ा व्यापारी था, गांव में जिसके पास बहुत से मकान, पालतू पशु और कारखाने थे|

बहुत समय पहले फारस में एक बादशाह था| वह बहुत ही न्यायप्रिय एवं प्रजापालक था| इसी कारण उसकी प्रजा उसे बहुत चाहती थी|

एक बाबू जी थे| अंग्रेजी पढ़े-लिखे, कोट-बूट-हैट-पतलून पहनने वाले| वे सदा अंग्रेजी ही बोलते थे|

एक किसान ने एक बिल्ली पाल रखी थी| सफेद कोमल बालों वाली बिल्ली किसान की खाटपर ही रात को उसके पैर के पास सो जाती थी|

एक बड़ा भारी जंगल था, पहाड़ था और उसमें पानी के शीतल निर्मल झरने थे| जंगल में बहुत-से पशु रहते थे|

एक लड़का बड़ा दुष्ट था| वह चाहे जिसे गाली देकर भाग खड़ा होता| एक दिन एक साधु बाबा एक बरगद के नीचे बैठे थे| लड़का आया और गाली देकर भागा|

एक बार एक देवता पर ब्रह्माजी प्रसन्न हो गये| उस देवता को महर्षि दुर्वासा ने शाप दे दिया था कि ‘तू अब देवता नहीं रहेगा|’ देवता ने कहा – ‘न सही देवता|

दक्षिण अमेरिका की बात है| उन दिनों वहाँ सोने की खान निकली थी| दूर-दूर के व्यापारी और बहुत-से मजदूर वहाँ पहुँचे|

एक पुराना मन्दिर था| दरारें पड़ी थीं| खूब जोर से वर्षा हुई और हवा चली| मन्दिर बहुत-सा भाग लड़खड़ा कर गिर पड़ा| उस दिन एक साधु वर्षा में उस मन्दिर में आकर ठहरे थे|

एक ग्राम में एक लड़का रहता था| उसके पिता ने उसे पढ़ने काशी भेज दिया| उसने पढ़ने में परिश्रम किया| ब्राह्मण का लड़का था, बुद्धि तेज थी|

विलायत में अकाल पड़ गया| लोग भूखे मरने लगे| एक छोटे नगर में एक धनी दयालु पुरुष थे| उन्होंने सब छोटे लड़कों को प्रतिदिन एक रोटी देने की घोषणा कर दी|

एक सच्ची घटना है| नाम मैं नहीं बताऊँगा| बहुत-से लड़के पाठशाला से निकले| पढ़ाई के बीच में दोपहर की छुट्टी हो गयी थी|

एक डॉक्टर साहब हैं| खूब बड़े नगर में रहते हैं| उनके यहाँ रोगियों की बड़ी भीड़ रहती है| घर बुलाने पर उनको फीस के बहुत रुपये देने पड़ते हैं|

‘यह तो बड़ा भयानक नरक है|’ महाराज युधिष्ठिर को धर्मराज के दूत नरक दिखला रहे थे|

एक राजा के चार लड़के थे| राजा ने उनको बुलाकर बताया कि ‘जो सबसे बड़े धर्मात्मा को ढूँढ़ लायेगा, वही राज्य का अधिकार पायेगा|’

एक डाकू था| डाके डालता, लोगों को मारता और उनके रुपये, बर्तन, कपड़े, गहने लेकर चम्पत हो जाता| पता नहीं, कितने लोगों को उसने मारा| पता नहीं कितने पाप किये|

जापान में एक साधारण चरवाहा था| उसका नाम था मूसाई| एक दिन गायें चरा रहा था| एक बगुला उड़ता आया और उसके पैरों के पास गिर पड़ा| मूसाई ने बगुले को उठा लिया|