सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - Sanskrit, Hindi & English with Video

सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता अध्याय 1 से 18

श्री साईं बाबा जी

साईं बाबा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए अनेक शिक्षाएं अपने श्रीमुख से उच्चारित कीं, बाबा की इन सिक्षाओं में समस्त ग्रंथो का सार है| जो भी व्यक्ति बाबा की इन सिक्षाओं को अपनी जिन्दगी में उतार लेगा, वह इस भवसागर से पार उतर जाएगा|

साईं रहम नजर करना, बच्चों का पालन करना||

जाना तुमने जगत्पसरा, सब ही झूठ जमाना|| साईं…

शिर्डी के साईं बाबा न हिन्दू हैं, न मुसलमान, वे अपने भगतों के दुःख दर्द दूर करने मे पूर्ण रुपेन सक्षम माने जाते हैं| अपने जीवन काल मे इन्होंने बहुत से चमत्कार दिखाए| साईं जी के ११ वचनों के अनुसार आज भी वे अपने भक्तों की सेवा के लिए तुरंत ही उपलब्ध हो जाते हैं| साईं बाबा जी के चमत्कार विचित्र माने जाते हैं| भक्तजन बाबा की आरती द्वारा उन्हें स्मरण करते हैं।

श्री साईं बाबा जी की लीलाएं

परमार्थी साखियाँ

श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ

TOP 10 SPIRITUAL STORIES

पहले महायुद्ध के दिनों की बात है| सन् 1918 के प्रारंभिक दिनों में उत्तराखंड-गढ़वाल में भयंकर दुर्भिक्ष पड़ा| कुछ समाचार पत्रों में उत्तराखंड-गढ़वाल में दुर्भिक्ष फैलने के समाचार प्रकाशित हुए|

यह उन दिनों की बात है, जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका में थे। वहां कई महत्वपूर्ण जगहों पर उन्होंने व्याख्यान दिए। उनके व्याख्यानों का वहां जबर्दस्त असर हुआ। लोग स्वामी जी को सुनने और उनसे धर्म के विषय में अधिक अधिक से जानने को उत्सुक हो उठे। उनके धर्म संबंधी विचारों से प्रभावित होकर एक दिन एक अमेरिकी प्रोफेसर उनके पास पहुंचे। उन्होंने स्वामी जी को प्रणाम कर कहा, ‘स्वामी जी, आप मुझे अपने हिंदू धर्म में दीक्षित करने की कृपा करें।’

एक बार एक शिकारी ने एक चमगादड़ को पकड़ लिया| वह उसे मारकर खाने ही चला था कि चमगादड़ चिंचिया कर बोला – “कृपया मेरी जान बख्श दो! मेरे छोटे-छोटे बच्चे घर पर मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे| मुझ पर दया करो|”

पांडवों ने अब पांचाल का रास्ता पकड़ा| वहां के राजा द्रुपद (जिन्हें अर्जुन, द्रोण के सामने बंदी बनाकर लाये थे) की कन्या, राजकुमारी द्रौपदी का स्वयंवर होने वाला था|

काशी में एक कर्मकांडी पंडित का आश्रम था, जिसके सामने एक जूते गांठने वाला बैठता था। वह जूतों की मरम्मत करते समय कोई न कोई भजन जरूर गाता था। लेकिन पंडित जी का ध्यान कभी उसके भजन की तरफ नहीं गया था। एक बार पंडित जी बीमार पड़ गए और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया।

पूर्व समय की बात है, संपूर्ण देवता और तपोधन ऋषिगण जब कार्य आरंभ करते तो उसमें उन्हें निश्चय ही सिद्धि प्राप्त हो जाती थी| कालांतर में ऐसी स्थिति आ गई कि अच्छे मार्ग पर चलने वाले लोग विघ्न का सामना करते हुए किसी प्रकार कार्य में सफलता पाने लगे और निकृष्ट कार्यशील व्यक्ति की कार्य-सिद्धि में कोई विघ्न नही आता था|

एक बाबा जी कहीं जा रहें थे| रास्ते में एक खेत आया| बाबा जी वहाँ लघुशंका के लिये (पेशाब करने) बैठ गये| पीछे से खेत के मालिक ने उनको देखा तो समझा कि हमारे खेत में से मतीरा चुराकर ले जाने वाला यही है; क्योंकि खेत में से मतीरों की चोरी हुआ करती थी| उसने पीछे से आकर बाबा जी के सिर पर लाठी मारी और बोला-‘हमारे खेतो में मतीरा चुराता है?’

एक गाँव में एक फकीर आए। वे किसी की भी समस्या दूर कर सकते हैं। सभी लोग जल्दी से जल्दी अपनी समस्या फकीर को बताकर उपाय जानना चाहते थे। नतीजा यह हुआ कि हर कोई बोलने लगा और किसी को कुछ समझ में नहीं आया। अचानक फकीर चिल्लाए. ‘खामोश’। सब चुप हो गए। फकीर ने कहा, “मैं सबकी समस्या दूर कर दूंगा। एक साथ बोलने के बजाय सब लोग एक-एक कागज पर अपनी समस्या लिख लाएं और मुझे दें।

एक बूढा व्यक्ति था। उसकी दो बेटियां थीं। उनमें से एक का विवाह एक कुम्हार से हुआ और दूसरी का एक किसान के साथ।

विश्वामित्र की बात सुनकर राजा हरिश्चंद्र ने कहा, “भगवन! मुझसे अपराध हो गया| इस राज्य की प्रत्येक वस्तु पर अब आपका अधिकार है|