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शिक्षाप्रद कथाएँ (1569)

एक बूढ़े आदमी थे| गंगा-किनारे रहते थे| उन्होंने एक झोपड़ी बना ली थी| झोपड़ी में एक तख्ता था, जल से भरा मिट्टी का एक घड़ा रहता था और उन्होंने एक कछुआ पाल रखा था|

एक मन्दिर था आसाम में| खूब बड़ा मन्दिर था| उसमें हजारों यात्री दर्शन करने आते थे| सहसा उसका प्रबन्धक प्रधान पुजारी मर गया|

एक बाबा जी एक दिन अपने आश्रम से चले गंगा जी नहाने| बाबा जी धोखे से आधी रात को ही निकल पड़े थे| रास्ते में उनको चोरों का एक दल मिला|

एक सियार था| एक दिन उसे जंगल में कुछ खाने को न मिला| बड़ी भूख लगी थी| अन्त में वह बस्ती में कुछ खाने की खोज में आया|

अफ्रीका बड़ा भारी देश है| उस देश में बहुत घने वन हैं और उन वनों में सिंह, भालू, गैंडा आदि भयानक पशु बहुत होते हैं| बहुत-से लोग सिंह का चमड़ा पाने के लिये उसे मारते हैं|

शेरकी गुफा थी| खूब गहरी, खूब अँधेरी| उसी में बिल बनाकर एक छोटी चुहिया भी रहती थी| शेर जो शिकार लाता, उसकी बची हड्डियों में लगा मांस चुहिया के लिये बहुत था|

हुए न सांगची लाऊ, यही नाम था उसका| पिता उसे सांग कहते थे| जी चाहे तो आप भी इसी नामसे पुकारिये| उसका पिता शिकारी था|

वह शिकार खेलने गया था| लम्बी मारकी बंदूक थी और कन्धे पर कारतूसों की पेटी पड़ी थी| सामने ऊँचा पर्वत दूर तक चला गया था|

एक बाजार में एक तोता बेचनेवाला आया| उसके पास दो पिंजड़े थे| दोनों में एक-एक तोता था| उसने एक तोते का मूल्य रखा था-पाँच सौ रुपये और एक का रखा था पाँच आने पैसे|

अपने देश में ऐसे बहुत-से नगर और गाँव हैं, जहाँ बहुत थोड़े पेड़ हैं| यदि वहाँ गाय-बैल भी कम हों और गोबर थोड़ा हो तो रसोई बनाने के लिये लकड़ी या उपले बड़ी कठिनाई से मिलते हैं|

रात में वर्षा हुई थी| सबेरे रोज से अधिक चमकीली धूप निकली|

एक ब्राह्मण देवता थे| बड़े गरीब और सीधे थे| देश में अकाल पड़ा| अब भला ब्राह्मण को कौन सीधा दे और कौन उनसे पूजा-पाठ करावे|

एक बहेलिया था| चिड़ियों को जाल में या गोंद लगे बड़े भारी बाँस में फँसा लेना और उन्हें बेच डालना ही उसका काम था|

एक दिन एक ऊँट किसी प्रकार अपने मालिक से नकेल छुड़ाकर भाग खड़ा हुआ| वह भागा, भागा और सीधे पश्चिम भागता गया, वहाँ तक जहाँ रास्ते में एक नदी आ गयी|

भैंस और घोड़े में लड़ाई हो गयी| दोनों एक ही जंगल में रहते थे| पास-पास चरते थे और एक ही रास्ते से जाकर एक ही झरने का पानी पीते थे|

वर्षा के दिन थे| तालाब लबालब भरा हुआ था| मेढक किनारे पर बैठे एक स्वरसे टर्र-टर्र कर रहे थे| कुछ लड़के स्नान करने लगे|

जाड़े का दिन था और शाम हो गयी थी| आसमान में बादल छाये थे| एक नीम के पेड़ पर बहुत-से कौए बैठे थे|

एक घने जंगल में मदोत्कट नामक एक शेर रहता था| उसके तीन कृतघ्न मित्र थे – गीदड़, कौआ और भेड़िया| वे शेर के मित्र मात्र इसलिए थे क्योंकि वह जंगल का राजा था|

एक समय किसी जंगल में गोमय नामक एक गीदड़ रहता था| एक दिन भूख से व्याकुल वह भोजन की तलाश में यहां-वहां भटक रहा था|

एक गहरे कुएं में मेंढकों का राजा गंगादत्त रहता था| उसके साथी व परिवारजन भी उसी कुएं में रहते थे|

एक राजा के शयनकक्ष में मंदरीसर्पिणी नाम की जूं ने डेरा डाल रखा था| वह राजा के भव्य पलंग पर बिछने वाली चादर के एक कोने में छिपी रहती थी|

बात काफी पुरानी है, एक राजा को बंदरों से बहुत लगाव था| एक बड़ा बंदर तो उसके निजी सेवक के रूप में काम किया करता था|

एक घने जंगल में एक बड़ा-सा नाग रहता था| चिड़ियों के अंडे, मेंढक तथा छिपकलियों जैसे छोटे जीव-जंतुओं को खाकर वह अपना पेट भरता था|

एक बूढ़ा शेर जंगल में मारा-मारा फिर रहा था| कई दिनों से उसे खाना नसीब नहीं हुआ था| दरअसल बुढ़ापे के कारण अब वह शिकार नहीं कर पाता था|

एक गांव में एक धोबी के पास एक गधा और एक कुत्ता था| कुत्ता घर की रखवाली करता और गधे का काम धोबी के कपड़ों का गट्ठर अपनी पीठ पर लादकर लाना ले जाना था|

बहुत पुरानी बात है, वर्धमानक नामक एक ग्रामीण व्यापारी अपनी बैलगाड़ी में बैठकर मथुरा की ओर जा रहा था|

गोलू और मोलू पक्के दोस्त थे| गोलू जहां दुबला पतला था, वहीं मोलू मोटा और गोल मटोल| दोनों एक-दूसरे पर जान देने का दम भरते थे|

एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था| पहाड़ की तराई में बदगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घौंसला बनाकर रहता था|

एक बार राजा कृष्णदेव राय अपने दरबारियों के साथ अपने दरबार में किसी विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे कि सहसा उनके पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा कि मैं घोड़ों का व्यापारी हूं|

राजा कृष्णदेव राय का दरबार हमेशा की तरह दरबारियों से सजा हुआ था|