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भजन संग्रह

तेरे कदमों की आहट का मुझे इन्तजार है – 2
कैसे कहूँ बाबा तुमसे कितना प्यार है – 2

तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं .

तेरो कोई नहिं रोकणहार मगन हो मीरा चली॥

तोरा मन दर्पण कहलाये –  २
भले बुरे सारे कर्मों को, देखे और दिखाये
तोरा मन दर्पण कहलाये –  २

तौलगि जिनि मारै तूँ मोहिं ।
जौलगि मैं देखौं नहिं तोहिं ॥टेक॥

दया करो साँई दया करो अब तो हम पर दया करो – 2
देर भई बड़ी देर भई अब न देर लगाया करो

दया की चादर तन पे डाले,
सांई तुम भगवान हो,

दरशन दीजो आय प्यारे तुम बिनो रह्यो ना जाय ..

दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी
ओ जी अन्तरजामी ओ राम  खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी

दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ..

दर्शन दो घन्श्याम
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ..

दाता राम दिये ही जाता ।
भिक्षुक मन पर नहीं अघाता।

दाती दे दरबार कंजकां खेडदियां
मैय्या दे दरबार कंजकां खेडदियां

दु:ख को बोझ समझने वाले कौन तुझे समझाए
साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पर कितना बोझ उठाए कितना बोझ उठाए

तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी |
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||

दुर्गा है मेरी माँ अम्बे है मेरी माँ
दुर्गा है मेरी माँ अम्बे है मेरी माँ

धूल तेरे चरणों की बाबा चन्दन और अबीर बनी
जिसने लगाई निज मस्तक पर उसकी तो तकदीर बनी

न मैं धन चाहूँ, न रतन चाहूँ
तेरे चरणों की धूल मिल जाये

नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया .
कन्हैया कन्हैया रे ..

नाच्यो बहुत गोपाल अब मैं
नाच्यो बहुत गोपाल ,

नारायण जिनके हिरदय
नारायण जिनके हिरदय में सो कछु करम करे न करे रे ..

निस दिन पूजा करे पल चिन प्राण धरे
सास जब तक चले तेरा गुणगान हो

नेक कोई एक तो करम करले, नेक कोई एक तो करम करले
रोज़ थोड़ा-थोड़ा साँई का भजन कर ले – 2

नैन हीन को राह दिखा प्रभु .
पग पग ठोकर खाऊँ मैं ..

नैना नीर बहाएं साईं नैना नीर बहाएं हैं .
नैना नीर बहाएं साईं नैना नीर बहाएं हैं .

नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ..

नैया पड़ी मंझधार्
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार्॥

नैया पड़ी मंझधार सांई बिन कैसे लागे पार…

पढ़ो पोथी में राम लिखो तख्ती पे राम ।
देखो खम्बे में राम हरे राम राम राम ॥

पढ़ो पोथी में सांई लिखो तख्ती पे सांई ,
देखो खम्बे में सांई श्री सांई सांई सांई ..

पपैया रे पिवकी बाणि न बोल।
सुणि पावेली बिरहणी रे थारी रालेली पांख मरोड़॥

पाई न केहिं गति पतित पावन राम भजि सुनु सठ मना।
गनिका अजामिल ब्याध गीध गजादि खल तारे घना।।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ..
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु किरपा करि अपनायो .

पायो जी म्हे तो राम रतन धन पायो॥ टेक॥

पावन तेरा नाम है पावन तेरा धाम .
अतिशय पावन रूप तू पावन तेरा काम ..

पूजां कंजकां मैं लौंकड़ा मनावां
माई मैंनूं लाल बख्स दे

प्यारे दरसन दीज्यो आय तुम बिन रह्यो न जाय॥

प्रबल प्रेम के पाले
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा .
अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..

प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े॥टेक॥

प्रभु हम पे कृपा करना प्रभु हम पे दया करना .
वैकुण्ठ तो यहीं है इसमें ही रहा करना ..

प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय।
छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेम की बाती बलाय॥

प्रभुजी मैं अरज करुं छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार॥

बँगलिया मेरी एसी बनवइयौ सांई नाथ-2
जिसमें सारी उमर कटजाय जिसमें सारा बुढ़ापा कटजाय

बनवारी रे
जीने का सहारा तेरा नाम रे
मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे

बरसै बदरिया सावन की
सावन की मनभावन की।

बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया
अपनी निगाहें-नाज़ से……..२ मस्ताना कर दिया .

बंसीवारा आज्यो म्हारे देस। सांवरी सुरत वारी बेस॥

बहुरि नहिं आवना या देस॥

जो जो ग बहुरि नहि आ  पठवत नाहिं सॅंस॥ १॥

बादल देख डरी हो स्याम मैं बादल देख डरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।

बिरहणिकौं सिंगार न भावै ।

है कोइ ऐसा राम मिलावै ॥टेक॥

बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे  भजन बिना रे॥

बोले बोले रे राम चिरैया रे ।
बोले रे राम चिरैया ॥

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||

भज मन मेरे राम नाम तू
गुरु आज्ञा सिर धार रे।

भजो रे भैया राम गोविंद हरी।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी॥

भिक्षा देदे माई भिक्षा देदे माई,
तेरे द्वार पे चलके आया शिरडी वाला साँई,

भोला भंडारी, सांई भोला भंडारी.
भोला भंडारी, सांई भोला भंडारी.

भोला भंडारी, सांई भोला भंडारी.
भोला भंडारी, सांई भोला भंडारी.

मत्थे रोलियां, गला दे विच अट्टे
मारे मेहर दे जिनां नूं माई छिट्टे

मन उपवन के फूल माँ तुमको चढ़ाऊँ कैसे
मन उपवन के फूल माँ तुमको चढ़ाऊँ कैसे

मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत…

मन लाग्यो मेरो यार
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥

मनवा मेरा कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम,
तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धाम…………..
जय-जय राम सीताराम,  जय-जय राम सीताराम………२

महियारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया..

माँ है ममता तेरी माँ है ममता तेरी
जो कुछ है सबकुछ तेरा ही दिया है

माखन चोर , नन्द किशोर, मन मोहन, घनश्याम रे
कितने तेरे रूप रे कितने तेरे नाम रे

नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
श्याम सुन्दर मुख चन्दा भजो रे मन गोविन्दा।

अब तो निभायां सरेगी बांह गहे की लाज।
समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज॥

मुकुन्द माधव गोविन्द
मुकुन्द माधव गोविन्द बोल
केशव माधव हरि हरि बोल ..

मेरे बाबा सुन लो, मन की पुकार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।

मेरे बाबाजी बनालीजिये अपना मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना
बना लीजिये अपना बना लीजिये अपना

मेरे मन भैया राम कहौ रे ॥टेक॥

मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे। ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥ अधिष्ठान मेरा मन होवे। जिसमे राम नाम छवि सोहे । आँख मूंदते दर्शन होवे ऐसी जुगति करो हे स्वामी ॥ मेरे मन

मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम
मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम ।
मेरे नैनों की नगरिया में राम ही राम ॥

मेरे मालिक मेरे मौला ऐ मेरे साई खुदा

हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।

घायल की गति घायल जाणै जो कोई घायल होय।

मैं गिरधर के घर जाऊं।
गिरधर म्हांरो सांचो प्रीतम देखत रूप लुभाऊं॥

मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे !
तेरे बिन कोई नहीं मेरा रे ; हे श्याम मेरे !!

मैं तो सांवरे के रंग राची।
साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू लोक-लाज तजि नाची॥