Home2011October (Page 7)

एक साधु था| चलते-चलते वह एक शहर के पास पहुँचा तो शहर का दरवाजा बन्द हो गया| रात हो गयी थी| वह साधु दरवाजे के बाहर ही सो गया| दैवयोग से उस दिन उस शहर के राजा का शरीर शान्त हो गया था|

यह शीतल प्रकृति की पत्तेदार होती है| पाचन-क्रिया को मजबूत करने व रुचि बढ़ाने में यह सहायता प्रदान करती है| यह शरीर के रोगात्मक विषों को नष्ट करने में समक्ष है| मुख्यत: इसको शाक के रूप में प्रयोग किया जाता है| पेट के रोग तथा गंजेपन की शिकायत भी इससे दूर हो जाती है| यह गठिया, ब्लडप्रेशर और हृदय रोगियों को भी लाभ पहुंचती है|