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एक राजा बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का था| धर्म के प्रचार के लिए उसने एक नियम बना रखा था| उसके महल के सामने उपवन में हर रोज शाम को धर्मसभाओं का आयोजन होता था|

एक वैद्य था| वह अपने साथ एक आदमी को रखता था| एक दिन वे एक गाँव से रवाना हुए तो किसी बात को लेकर वैद्य ने उस आदमी की ताड़ना की-‘अरे, तू जानता नहीं, पहले तू कैसा था? तू तो गधा था|