सिर के बाल मुंडवा दूंगा (बादशाह अकबर और बीरबल)
दिल्ली में एक विद्वान पंडित रहते थे| उनका दरबार में बहुत सम्मान था| पंडितजी बिना सोचे-समझे किसी काम में हाथ नहीं डालते थे और जो वह कह देते उसका पालन करते|
दिल्ली में एक विद्वान पंडित रहते थे| उनका दरबार में बहुत सम्मान था| पंडितजी बिना सोचे-समझे किसी काम में हाथ नहीं डालते थे और जो वह कह देते उसका पालन करते|
एक महाजन ने चित्रकार से अपना चित्र बनवाया| बड़ी मेहनत के बाद जब चित्र तैयार हुआ तो महाजन ने चित्रकार से कहा कि ठीक से नहीं बना है, दुबारा बनाकर लाए| चित्रकार दुबारा चित्र बनाकर लाया किंतु इस बार फिर महाजन ने पहले वाली हरकत की और चित्रकार को फिर से चित्र बनाने को कहा|
अकबर बादशाह अपने घोड़े पर सवार होकर बाग की सैर कर रहे थे, बीरबल भी उनके साथ था| बाग में हरे-भरे पेड़ थे और हरी घास की ही चादर-सी बिछी थी|
एक पंडित बादशाह अकबर के दरबार में आया और चुनौतीपूर्ण स्वर में दरबारियों से बोला – “मैं आप लोगों को चुनौती देता हूं कि मेरी मातृभाषा के बारे में बताएं में बताएं या हार स्वीकार करें|”
एक बार अकबर बादशाह युद्ध के बाद दिल्ली की तरफ वापस आ रहे थे| रास्ते में उन्हें इलाहाबाद में गंगा किनारे पर पड़ाव डालना पड़ा|
एक फूल को मे प्रेम करता हूँ, इतना प्रेम करता हूँ की मुझे डर लगता है कि कही सूरज की रोशनी मे कुम्हला न जाए, मुझे डर लगता है की कही जोर की हवा आए तो इसकी पंखुडिया गिर न जाए | मुझे डर लगता है की कोई जानवर आकर इसे चर न जाए| मुझे डर लगता है की पडोसी के बच्चे इसको उखाड़ न ले, अतः मे फूलो के पोधे को मय गमले के तिजोरी मे बंद करके ताला लगा देता हूँ | प्रेम तो मेरा बहुत है, लेकिन करुणा मेरे पास नही हैं|
बीरबल से जलने वाले बहुत थे| एक बार किसी ईर्ष्यालु ने चौराहे पर एक कागज चिपका दिया| उसमें शुरू से आखिर तक बीरबल कोसा गया था| उस पर हर आने-जाने वाले की नजर पड़ती थी|
बादशाह अकबर के पुत्र शहजादा सलीम तथा दिल्ली के एक व्यापारी के पुत्र की आपस में गहरी मित्रता हो गई थी| वे दोनों अक्सर सारा-सारा दिन साथ ही बिताते थे| जिस कारण दोनों के ही पिता परेशान थे| व्यापारी के पुत्र ने मित्रता के कारण व्यापार में ध्यान देना छोड़ दिया था तथा शहजादा सलीम भी राज-काज की तरफ ध्यान नहीं देता था|
दरबार में एक दिन बीरबल उपस्थित नहीं था, इसलिए कई दरबारी बीरबल की बुराइयां करने लगे| उनमें से चार दरबारी जो बीरबल के खिलाफ कुछ अधिक ही जहर उगल रहे थे, उनसे बादशाह अकबर ने एक सवाल पूछा-“इस संसार में सबसे बड़ी चीज क्या है?”
बीरबल दोपहर को खाना खाने के बाद कुछ देर लेटकर आराम करता था| यह उसकी आदत में शुमार था और बादशाह अकबर भी इस बात को जानते थे| एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से खाने के बाद लेटने का कारण भी पूछा था|