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शिक्षाप्रद कथाएँ (1569)

राजा हरिश्चंद्र के शब्द सुनकर तपस्वी उठ खड़ा हुआ और क्रोधित होता हुआ बोला, “ठहर जा दुरात्मन! अभी तुझे तेरे अहंकार का मजा चखाता हूं|”

एक बार राजा श्रोणिक शिकार करने जंगल में गए। वहां उन्हें यशोधर मुनि तपस्या करते हुए दिखे। राजा को लगा कि उनकी वजह से उन्हें शिकार करने को नहीं मिलेगा। तभी सामने एक लंबा सांप आता दिखाई दिया।

चंदन नगर का राजा चंदन सिंह बहुत ही पराक्रमी एवं शक्तिशाली था | उसका राज्य भी धन-धान्य से पूर्ण था | राजा की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी |

कुछ देर शांत रहने के बाद उन्होंने राजा हरिश्चंद्र से पूछा, “राजन! तुम पहले यह बताओ कि दान किसे देना चाहिए, रक्षा किसकी करनी चाहिए और युद्ध किससे करना चाहिए?”

एक बार युधिष्ठिर ने विधि-विधान से महायज्ञ का आयोजन किया। उसमें दूर-दूर से राजा-महाराजा और विद्वान आए। यज्ञ पूरा होने के बाद दूध और घी से आहुति दी गई, लेकिन फिर भी आकाश-घंटियों की ध्वनि सुनाई नहीं पड़ी। जब तक घंटियां नहीं बजतीं, यज्ञ अपूर्ण माना जाता। महाराज युधिष्ठिर को चिंता हुई। वह सोचने लगे कि आखिर यज्ञ में कौन सी कमी रह गई कि घंटियां सुनाई नहीं पड़ीं। उन्होंने भगवान कृष्ण से अपनी समस्या बताई।

किसी नगर में एक सुरक्षित ब्राह्मण कुसंस्कारों के कारण चोरी करने लगा था| एक बार उस नगर में व्यापार करने के लिए चार सेठ आए| चोर ब्राह्मण अपने शास्त्रज्ञान के प्रभाव से उन सेठों का विश्वास प्राप्त कर उनके साथ ही रहने लगा|

पुराण भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है| पुराणों में मानव-जीवन को ऊंचा उठाने वाली अनेक सरल, सरस, सुन्दर और विचित्र-विचित्र कथाएँ भरी पड़ी है| उन कथाओं का तात्पर्य राग-द्वेषरहित होकर अपने कर्तव्य का पालन करने और भगवान् को प्राप्त करने में ही है| पद्मपुराण के भूमिखण्ड में ऐसी ही एक कथा आती है|

हरिश्चंद्र के जाने के उपरांत विश्वामित्र ने मन ही मन सोचा, ‘देखूं तो कैसा दाता है हरिश्चंद्र| इसकी परीक्षा लेनी चाहिए|”

एक बार वायु में और सूर्य में इस बात पर विवाद हो गया कि शक्तिशाली कौन है? वायु ने कहा कि वे सर्वाधिक शक्ति-सम्पन्न है, सर्वश्रेष्ठ हैं| सूर्य हँस पड़े और कहा कि उन जैसा शक्तिशाली कोई नहीं| झगड़ा बढ़ गया|

मोहनपुर नामक गांव में एक राजा माधो सिंह राज्य करता था | उसकी एक ही बेटी थी | राजा अपनी बेटी मोहिनी को बहुत प्यार करता था |

वह भयानक सूअर गुर्राता हुआ अयोध्या पंहुचा और राजा के उपवन में घुसकर बिना भय के लता-वृक्षों  को तोड़ने-फोड़ने लगा| कुंजो को उसने नष्ट कर दिया और वृक्षों को जड़ सहित उखाड़ फेंका|

पुराने जमाने की बात है। एक सम्राट गहरी चिंता में डूबा रहता। कहने को तो वह शासक था पर वह अपने को अशक्त, परतंत्र और पराजित अनुभव करता था। एक दिन वह अपनी चिंताओं से पीछा छुड़ाने के लिए बहुत दूर एक जंगल में निकल पड़ा। उसे वहां बांसुरी के स्वर सुनाई पड़े। एक झरने के पास वृक्षों की छाया तले एक युवा चरवाहा बांसुरी बजा रहा था। उसकी भेड़ें पास में ही विश्राम कर रही थीं। सम्राट ने चरवाहे से कहा, ‘तुम तो ऐसे आनंदित हो जैसे तुम्हें कोई साम्राज्य मिल गया है।’

बहुत समय पहले नादुक नाम का एक धनी व्यापारी रहता था| कुछ समय बाद उसे व्यापार में घाटा पड़ गया और वह कर्ज में डूब गया|

राजकुमारी रोजी की खूबसूरती की हर जगह चर्चा थी | सुनहरी आंखें, तीखे नयन-नक्श, दूध-सी गोरी काया, कमर तक लहराते बाल सभी सुंदरता में चार चांद लगाते थे |

उपनायक जब राजा के पास दरबार में पंहुचा तो राजा हरिश्चन्द्र दरबार लगाये बैठे थे| उपनायक ने वंहा पहुंचकर फरियाद की, “महाराज की जय हो| महाराज! एक भयानक सूअर राजकीय उपवन में घुस आया है और भारीउत्पात मचा रहा है| सशस्त्र रक्षक भी उस सूअर से बाग की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं|

प्रसिद्ध विद्वान वाचस्पति मिश्र का विवाह कम आयु में ही हो गया था। जब वह विद्या अर्जित करके घर लौटे तो उन्होंने अपनी मां से वेदांत दर्शन पर ग्रंथ लिखने की आज्ञा मांगी। उन्होंने कहा कि जब तक उनका ग्रंथ पूरा न हो, तब तक उनका ध्यान भंग न किया जाए।

एक बार एक गधे और लोमड़ी में मित्रता हो गयी| वे बराबर साथ देखे जाते| गधे उसे कभी चूजे दिखा देता और लोमड़ी उसे हरा-भरा खेत दिखाती| एक दिन उन्होंने एक शेर को देख लिया| गधे ने पहले देखा और भय से कांपने लगा| लोमड़ी ने उसे सुरक्षा का आश्वासन दिया|

एक बूढ़ी औरत के दो बेटे थे | उनका नाम इवान और तात्या था | वह दोनों को बहुत प्यार करती थी | एक बार एक दुर्घटना में बुढ़िया का बेटा तात्या मारा गया |

उपवन की दशा देखकर राजा हरिश्चंद्र को क्रोध आ गया| उन्होंने सूअर को ललकारा तो सूअर छोड़कर भाग खड़ा हुआ|

पुराने जमाने की बात है। एक शहर में दो व्यापारी आए। इनमें से एक घी का कारोबार करता था, तो दूसरा चमड़े का व्यापार करता था। संयोग से दोनों एक ही मकान में पहुंचे और शरण मांगी। मकान मालिक ने रात होने पर घी वाले व्यापारी को भीतर सुलाया और चमड़े वाले को बाहर बरामदे में।

एक बार एक भेड़िया कुछ भेड़ों को खाना चाहता था, जिनकी रखवाली एक सतर्क गड़ेरिया करता था| भेड़िये ने योजना बनायी| वह उस मैदान के निकट थोड़ी दूर पर जाकर बैठने लगा| गड़ेरिये ने देखा, किन्तु भेड़िया दूर था|

एक गांव में एक नाई रहता था | उसका काम था लोगों की इजामत बनाना | उसकी एक बुरी आदत थी कि उसके पेट में कोई बात पचती नहीं थी | अत: इधर की बातें उधर बताने का उसे शौक था |

हरिश्चंद्र ने पीछे मुड़कर देखा तो वंहा अपने स्वामी चाण्डाल को खड़ा पाया, जो मुस्कुराते हुए कह रहा था, “हरिश्चंद्र! तुम अपनी परीक्षा में सफल रहे|”

मेवाड़ के महाराणा अपने एक नौकर को हमेशा अपने साथ रखते थे, चाहे युद्ध का मैदान हो, मंदिर हो या शिकार पर जाना हो। एक बार वह अपने इष्टदेव एकलिंग जी के दर्शन करने गए। उन्होंने हमेशा की तरह उस नौकर को भी साथ ले लिया।

एक गांव में दो दोस्त रहते थे | एक का नाम था मार्युश्का और दूसरे का इल्यानोव | दोनों एक दूसरे पर जान छिड़कते थे |

सूअर के अन्तर्धान होते ही राजा हरिश्चंद्र सोच में पड़ गए, ‘यह कैसी माया है? मनुष्य की बोली बोलने वाला वह सूअर कौन था?’

एक संत किसी गांव में पहुंचे। गांव के लोगों के आग्रह पर वह वहीं एक कुटिया बनाकर रहने लगे। उनका खाना जमींदार के घर से आता था। एक दिन जमींदार की पत्नी ने उन्हें अपने घर ठहरने को कहा।

एक औरत थी डल्ला |वह बहुत बड़ी ठग थी | अपनी चालाकी से लोगों को ठगना उसके लिए बाएं हाथ का खेल था | वह चुटकियों में लोगों को बेवकूफ बना देती थी |

ब्राम्हण के वेश में विश्वामित्र राजा हरिश्चंद्र को लेकर अपने आश्रम पर पहुंच| वंहा वास्तव में एक विवाह का आयोजन किया जा रहा था| वेदी के पास दूल्हा-दुल्हन और आश्रमवासी विवाह संपन्न कराने की तैयारी कर रहे थे|

एक बार यूनान के थ्रेस प्रांत में एक निर्धन बालक लकड़ियां बेच रहा था। उसने जंगल से लकड़ियां काटी थीं और उन्हें गट्ठरों में बांधकर बाजार में लाया था।