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मुसीबत का छूटकारा

एक गांव में दो दोस्त रहते थे | एक का नाम था मार्युश्का और दूसरे का इल्यानोव | दोनों एक दूसरे पर जान छिड़कते थे |

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जब वे बड़े हुए तो इल्यानोव बड़ा व्यापारी बनकर बहुत अमीर हो गया | वह शहर चला गया जबकि मार्युश्का गांव में ही रहकर खेती करने लगा | वह इतना गरीब था कि मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाता था | मार्युश्का सुबह से शाम तक खेतों पर काम करता परंतु कुछ न कुछ ऐसा हो जाता कि फसल बेचते वक्त उसे नुकसान हो जाता |

एक दिन मार्युश्का की पत्नी बोली – “तुम अपने मित्र इल्यानोव के पास क्यों नहीं चले जाते, वह तुम्हारा पुराना मित्र है, अवश्य कुछ सहायता करेगा या कहीं काम दिलवा देगा |”

मार्युश्का को मित्र के पास काम मांगने के लिए जाने में शर्म आती थी, परंतु पत्नी के आग्रह करने पर वह शहर चला गया |

इल्यानोव के शानदार मकान के बाहर चौकीदार तैनात था | मार्युश्का ने भीतर खबर भिजवाई | कुछ देर इंतजार के बाद मित्र ने मार्युश्का को भीतर बुलवाया और ठीक से बात की | थोड़ी देर बाद जब मार्युश्का ने अपने आने का आशय बताया तो इल्यानोव घमंड और रुखाई से बोला – “तुम चाहो तो यहां काम कर सकते हो |”

मार्युश्का राजी हो गया और दिन भर काम करने लगा | वह सुबह से शाम तक मजदूरों की तरह लगा रहता | शाम को उसे खाना और थोड़ा-सा धन मिल जाता |

इतना धन तो वह गांव में भी कमाता था, जिससे उसका गुजारा नहीं चल पाता था |

वह दो दिन में ही परेशान हो गया और गांव की ओर वापस चल दिया | थोड़ी दूर पर उसे एक स्त्री मिली जो जल्दी ही उसकी मित्र बन गई | वह बोली – “चलो, आज मेरे साथ चलो |”

मार्युश्का ने उस स्त्री से उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम ‘मुसीबत’ बताया | मार्युश्का उसके साथ चल दिया | वह आगे-आगे चलती गई और जुआघर ले गई | वहां बैठकर वह जुआ खेलने लगा | कुछ ही देर में वह सारा पैसा हार गया और उठकर वापस आ गया |

वह फिर गांव की ओर चल दिया | रास्ते में फिर वही स्त्री मिली और प्यार से उसे वापस ले गई | स्त्री मार्युश्का को लेकर शराबखाने चली गई | वहां वह शराब पीता रहा | उसके पास पैसे न थे, इस कारण उसके बैल गिरवी रख लिए गए |

मुसीबत मार्युश्का के पीछे पड़ी रही | धीरे-धीरे उसके हल, खेत सब बिक गए | वह कंगाल हो गया | फिर मुसीबत उसके पास आई और साथ चलने की जिद करने लगी | मार्युश्का ने कहा – “अब मेरे पास बचा ही क्या है ?”

मुसीबत बोली – “पत्नी है, बच्चे हैं |”

मार्युश्का ने चाहते हुए भी मुसीबत के साथ चल दिया | रास्ते में एक बड़ा पत्थर पड़ा था, उसके पास ही एक बड़ा गड्ढा था | मार्युश्का की गाड़ी पत्थर से टकरा गई तो मुसीबत लुढ़ककर गड्ढे में गिर गई |

इवानुश्का मुसीबत को गड्ढे से निकालने गया तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं, क्योंकि वहां सोना, चांदी, हीरे भरे पड़े थे | मार्युश्का ने ढेर-सा खजाना अपने साथ बांध लिया, फिर स्त्री से बोला – “जरा सहारा दो, “मैं पहले ऊपर पहुंचता हूं |” मुसीबत ने सोचा कि मार्युश्का ऊपर पहुंचकर उसे भी ऊपर खींच लेगा | अत: मार्युश्का को ऊपर चढ़ा दिया |

मार्युश्का ने धन की पोटली एक तरफ रखकर जल्दी से पत्थर को गड्ढे के ऊपर गिरा दिया | गड्ढा ढक गया और मुसीबत वहां बंद हो गई | मार्युश्का सारा धन लेकर गांव पहुंचा और अपनी पत्नी व बच्चों के साथ आराम से रहने लगा | उसने वहीं एक सुंदर मकान बनवा लिया |

कुछ दिन बाड़ मार्युश्का का जन्मदिन आया तो उसने अपने मित्र इल्यानोव को भी आमंत्रित किया | इल्यानोव घमंड से बोला – “क्या बेवकूफ हो गए हो ? जानते हो जन्मदिन की पार्टी पर कितना खर्च आता है ? यह तो सिर्फ अमीर मना सकते हैं, तुम जैसे गरीब नहीं |”

मार्युश्का ने जिद की तो इल्यानोव आने को राजी हो गया | इल्यानोव गांव पहुंचकर दंग रह गया | मार्युश्का का मकान इतना बड़ा और सुंदर था, जितनी उसने कल्पना भी न की थी | मकान एक महल जैसा प्रतीत होता था | वह रोशनियों से जगमगा रहा था |

बहुत बड़ी दावत हुई, जिसमें बड़े-बड़े रईस आए थे | इल्यानोव ने चुपके से इस धन-दौलत व आराम का रहस्य मार्युश्का से पूछा तो उसने सब कुछ बता दिया | साथ ही यह भी बता दिया कि उसने मुसीबत को कहां व किस गड्ढे में बंद किया है |

इल्यानोव वहां से चलकर सीधा वहीं पहुंचा, जहां मुसीबत गड्ढे में बंद थी | इल्यानोव ने सोचा कि पत्थर हटाकर मैं भी धन-दौलत बाहर ले आऊंगा और जल्दी से पत्थर हटाकर भीतर घुसने लगा | ज्यों ही उसने पत्थर हटाया, मुसीबत जल्दी से बाहर आ गई |

इल्यानोव जब तक कुछ सोचता, मुसीबत ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपने साथ लेकर चल दी | कुछ ही दिन में इल्यानोव का सब कुछ बिक गया और वह गरीब हो गया | अब वह कुछ नहीं कर सकता था, क्योंकि उसके पास सब कुछ होते हुए भी उसने धन का लालच किया था | साथ ही घमंड के कारण अपने मित्र से भी दुर्व्यवहार किया था |

अब वह हरदम सोचता कि मुसीबत से छुटकारा कैसे पाएगा ?

सेवक का