Home2019March (Page 6)

एक दिन बसरा की महात्मा राबिया बसरी फूट-फूट कर रो रही थी, मानो उसका हृदय फट रहा हो| उसको दुःख से व्याकुल देखकर उसके पड़ोसी उसके चारों ओर इकट्ठे हो गये|

एक बार ख़ुदा के सच्चे प्रेमी बायज़ीद बुस्तामी को आकाशवाणी हुई और उसने गै़बी (दैवी) आवाज़ यह कहती हुई सुनी, “तुझे जो माँगना है, माँग ले, तेरी इच्छा पूरी हो जायेगी|”

एक बार एक ज़िक्र है कि महान सूफ़ी दरवेश शम्स तब्रेज़ में परमात्मा के आगे सच्चे दिल से दुआ की, “हे कुल-मालिक! मुझे अपने ऐसे प्यारे का साथ दे, जिसके साथ मैं तेरे प्रेम की बातें कर सकूँ और जिसको तेरी जुदाई की असह्य पीड़ा तथा तेरे मिलाप के अकथनीय आनन्द की कथा सुना सकूँ|”

फ़रीदुद्दीन अत्तार, जो बाद में ईरान का महान सूफ़ी सन्त बना और जिसका फ़ारसी का कलाम संसार में मशहूर है, पहले इत्र बेचने की दूकान किया करता था|

कबीर साहिब कहते हैं कि मालिक के नाम का सुमिरन ऐसी एकाग्रता से करना चाहिए जैसे एक कीड़ा भृंगी की आवाज़ में अपने आप को लीन करके उसी का ही रूप धारण कर लेता है|

मनुष्य के अन्दर दो बड़े गुण हैं| एक भय और दूसरा भाव यानी डर और प्यार| जिसको परमात्मा का डर है, उसको परमात्मा से प्यार भी है| जिसको परमात्मा से प्यार है, उसको परमात्मा का डर भी है|

एक महात्मा था जिसको अहंकार हो गया कि दुनिया में उसके मुक़ाबले कोई दूसरा महात्मा नहीं| उसने ख़ुदा से कहा कि अगर कोई मुझसे बड़ा है तो मुझे बताओ|