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एक स्त्री थी| उसके रिश्तेदारों में एक अच्छा कमाई वाला महात्मा था| कुछ तो कमाई और कुछ बेफ़िक्री और बेपरवाही के फलस्वरूप उसके चेहरे पर हमेशा रौनक़ और ख़ुशी रहती थी|

राजा पीपा एक धनी राजपूत था और कुछ वर्षों से राज-गद्दी पर बैठा था| एक बार उसके दिल में परमार्थ का चाव पैदा हुआ क्योंकि उसे जीवन में ख़ालीपन-सा महसूस होने लगा था|