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गुरु गोबिन्द सिंह जी का दरबार लगा हुआ था| सिक्खी का मज़मून चल रहा था| गुरु साहिब ने कहा कि गुरु का शिष्य कोई-कोई है, बाक़ी सब अपने मन के ग़ुलाम हैं या स्त्री और बच्चों के ग़ुलाम हैं|