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लुधियाना का एक स्कूल-मास्टर था| उसे नाम अभ्यास का बहुत शौक़ था| एक दिन वह प्यार के साथ दीवाने-हाफ़िज़ पढ़ता-पढ़ता बाहर सैर को चल पड़ा और गुरु के प्यार में इतना मस्त हो गया कि तेरह मील दूर एक गाँव में पहुँच गया|

जब बड़े महाराज जी डेरे में बाबा जैमल सिंह जी के पास आये तो वहाँ कोई मकान नहीं था, सिर्फ़ एक छोटी-सी कोठरी थी, जिसके आस-पास बाड़ लगी थी| पानी का कोई इंतज़ाम नहीं था| पानी दरिया से वड़ाइच गाँव के कुएँ से लाना पड़ता था|