ध्यान-मग्न
लुधियाना का एक स्कूल-मास्टर था| उसे नाम अभ्यास का बहुत शौक़ था| एक दिन वह प्यार के साथ दीवाने-हाफ़िज़ पढ़ता-पढ़ता बाहर सैर को चल पड़ा और गुरु के प्यार में इतना मस्त हो गया कि तेरह मील दूर एक गाँव में पहुँच गया|
लुधियाना का एक स्कूल-मास्टर था| उसे नाम अभ्यास का बहुत शौक़ था| एक दिन वह प्यार के साथ दीवाने-हाफ़िज़ पढ़ता-पढ़ता बाहर सैर को चल पड़ा और गुरु के प्यार में इतना मस्त हो गया कि तेरह मील दूर एक गाँव में पहुँच गया|
बड़े महाराज जी ने अपना देखा हुआ एक वाक़या बयान किया| तब आप मरी पहाड़ पर बतौर सब-डिवीज़नल अफ़सर काम करते थे|
जब बड़े महाराज जी डेरे में बाबा जैमल सिंह जी के पास आये तो वहाँ कोई मकान नहीं था, सिर्फ़ एक छोटी-सी कोठरी थी, जिसके आस-पास बाड़ लगी थी| पानी का कोई इंतज़ाम नहीं था| पानी दरिया से वड़ाइच गाँव के कुएँ से लाना पड़ता था|
जब बड़े महाराज जी फ़ौज में इंजीनियर थे तो एक बार उनका तबादला रावलपिण्डी हो गया| वहाँ का इंचार्ज एक एस. डी. ओ. था|
एक पादरी हमेशा बड़े महाराज जी के साथ बहस करता रहता था| एक बार जब आप व्यास स्टेशन पर उतरे, तो वह बोला कि एक सवाल का जवाब दो|
डेरे में ठाकुर सिंह नाम का एक सत्संगी रहता था| उसको लोगों के घर में खाने की आदत थी| जीवन के आख़िरी दिनों में उसे प्लेग की बीमारी हो गयी|
बडे महाराज जी ने एक बार बताया कि लड़ाई के समय उनके साथ एक सेना-अधिकारी था जिसने जानवरों के राशन में से क़रीब एक लाख रुपया चुरा लिया था|
जब बड़े महाराज जी एस. डी. ओ. थे, तो एक बार आप पहाड़ी इलाके में जा रहे थे कि एकाएक आपके दिल में ख़ुशी छा गयी| आप समझ न सके कि वह ख़ुशी किस बात की थी|
हजर स्वामी जी महाराज के वक़्त दो-चार प्रेमी बीबियाँ थीं: उनमें एक बीबी शिब्बो थी| एक बार वह स्नान करने लगी तो एक योगी उसके घर के पास से गुज़रा|
स्वामी जी महाराज को तुलसी साहिब से परमार्थ की रोशनी मिली थी| तुलसी साहिब स्वामी जी महाराज के घर आया करते थे|