सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 13 शलोक 1 से 34
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 13 शलोक 1 से 34
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 13 शलोक 1 से 34
भूप सहस दस एकहि बारा। लगे उठावन टरइ न टारा॥
डगइ न संभु सरासन कैसें। कामी बचन सती मनु जैसें॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 14 शलोक 1 से 27
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 शलोक 1 से 20
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 शलोक 1 से 24
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 शलोक 1 से 28
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 शलोक 1 से 78
श्लोक-
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥१॥