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आक को मदार और अकौआ भी कहते हैं| इसका पेड़ छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके पत्ते बरगद के पत्तों की तरह होते हैं| इसका फूल सफेद, छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके फलों में कपास होती है|

श्री गुरुनानक देव जी के बढ़े बेटे और उदासी संप्रदाय के संस्थापक थे| इन्होंने बहुत कम उम्र मे भी योग तकनीक मे महारत हांसिल कर ली और अपने पिता बाबा नानक के लिए समर्पित रहे| इन्होंने ही उदासी के आदेश की स्थापना की|

एक समय दासगणु महाराज हरिकथा कीर्तन के लिए शिरडी आये थे| उनका कीर्तन होना भक्तों को बहुत आनंद देता था| सफेद धोती, कमीज, ऊपरी जरी का गमछा और सिर पर शानदार पगड़ी पहने और ऊपर से मधुर आवाज दासगणु का यह अंदाज श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था| उनका कीर्तन सुनने के लिए दूर-दूर से श्रोताओं की भारी भीड़ एकत्रित हुआ करती थी|

आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है। 

जायफल को औषधियों की पिटारी कहा जाता है| इसमें अफीम की तरह तत्त्व होता है| इसका स्वाद कसैला होता है| इसको गुड़ के साथ खाने पर ऐंठन, मरोड़, पेट दर्द आदि से छुटकारा मिलता है|

मुलहठी के पत्ते गोल और छोटे होते हैं| इसकी लकड़ी तथा जड़ काम में लाई जाती है| यह मीठी, कुछ कड़वी, शीतल, भारी एवं चिकनी होती है| इसमें इतने गुण हैं जिनका वर्णन करना सरल नहीं है|