HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 135)

बादशाह अकबर और बीरबल शिकार पर गए हुए थे| उनके साथ कुछ सैनिक तथा सेवक भी थे| शिकार से लौटते समय एक गांव से गुजरते हुए बादशाह अकबर को उस गांव के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई| उन्होंने इस बारे में बीरबल से कहा तो उसने जवाब दिया – “हुजूर, मैं तो इस गांव के बारे में कुछ नहीं जानता, किंतु इसी गांव के किसी बाशिन्दे से पूछकर बताता हूं|”

गांधार देश के राजा सुबल के बेटे का नाम शकुनि और बेटी का नाम गांधारी था| बेटा जैसा कुटिल, क्रूर और कपटी था, बेटी वैसी ही सती-शिरोमणि थी| गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र के साथ हुआ था| ये भारतीय पातिव्रत की सजीव मूर्ति हैं |

दरबार में बीरबल से जलने वालों की कमी न थी| बादशाह अकबर का साला तो कई बार बीरबल से मात खाने के बाद भी बाज न आता था| बेगम का भाई होने के कारण अक्सर बेगम की ओर से भी बादशाह को दबाव सहना पड़ता था|

दरबार लगा हुआ था| बादशाह अकबर राज-काज देख रहे थे| तभी दरबान ने सूचना दी कि दो व्यक्ति अपने झगड़े का निपटारा करवाने के लिए आना चाहते हैं|

एक पेड़ की शाख पर कौवों का एक जोड़ा रहता था| उसी पेड़ के नीचे एक साँप ने भी बिल बना रखा था| मादा कौआ जब अंडे देती तो वह साँप उस अण्डों को खा जाता| ऐसा कई बार हो चुका था लेकिन वे सिवाय अफ़सोस करने के कुछ नही कर पाते|

बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा – “क्या किसी मनुष्य में एक साथ पीर, बावर्ची, भिश्ती और खर (मजदूरी करने वाला) के गुण हो सकते हैं? मुझे ऐसे मनुष्य से मिलने की बहुत इच्छा है|”

किसी नगर में हरिदत नामक एक ब्राह्मण परिवार सहित निवास करता था| वह मन लगाकर अपने खेत में काम करता, परंतु फिर भी उसे पर्याप्त आय नही होती थी| उसका जीवन दुख और कठिनाइयों से भरा था| एक दिन ब्राह्मण अपना कार्य समाप्त करके थोड़ा विश्राम कर रहा था कि उसने समीप के रेत के टीले पर एक भयंकर सर्प को फन फैलाए बैठे देखा| ब्राह्मण ने सोचा कि यह मेरे क्षेत्र का देवता है|