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हिन्दुओं के शास्त्रों में पवित्र वेद व गीता विशेष हैं, उनके साथ-2 अठारह पुराणों को भी समान दृष्टी से देखा जाता है। श्रीमद् भागवत सुधासागर, रामायण, महाभारत भी विशेष प्रमाणित शास्त्रों में से हैं। विशेष विचारणीय विषय यह है कि जिन पवित्र शास्त्रों को हिन्दुओं के शास्त्र कहा जाता है, जैसे पवित्र चारों वेद व पवित्र श्रीमद् भगवत गीता जी आदि, वास्तव में ये सद् शास्त्र केवल पवित्र हिन्दु धर्म के ही नहीं हैं

शिवरात्रि के दिन, भगवान् शिव का सुहाना सुसजित एवं सुंदर चित्र देखने को मिलता है, जिसे देखने के लिए भगतों की भीड़ उमड़ पढ़ती है| इन दिनों भागात्वत्सल्ये भगवान् महा कालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया जाता है अथवा उन्हे विविध प्रकार के फूलों से सजाया जाता है| अनेकानेक प्राचीन वांग्मय महाकाल की व्यापक महिमा से आपूरित हैं क्योंकि वे कालखंड, काल सीमा, काल-विभाजन आदि के प्रथम उपदेशक व अधिष्ठाता हैं। स्कन्दपुराण के अवंती खंड में, शिव पुराण (ज्ञान संहिता अध्याय 38), वराह पुराण, रुद्रयामल तंत्र, शिव महापुराण की विद्येश्वर संहिता के तेइसवें अध्याय तथा रुद्रसंहिता के चौदहवें अध्याय में भगवान महाकाल की अर्चना, महिमा व विधान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है।

सालासर बालाजी या सालासर धाम भगवान् हनुमान जी के भक्तो के लिए धार्मिक महत्व की एक जगह है| यह चुरू जिले मे राजस्थान सालासर के शहर मे स्थित है| सालासर बाला जी का मंदिर विश्वास और चमत्कारों का एक शक्ति स्थल है| बालाजी की मूर्ति यहाँ भगवान् हनुमान के अन्य सभी मूर्तियों से अलग हैं| जब शाम चार बजे बाला जी की आरती होती है तो उपरी भुत प्रेतों की छाया वाले व्यक्ति झूम उठते हैं, उनके कार्य आम इन्सान जैसे ना होकर अपितु डरावने होते हैं| इसी कार्य के लिए लाखों लोग यहाँ एकत्र होते हैं|

भगवान राम हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से है | भगवान राम ने अयोध्या के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में अयोध्या शहर में जन्म लिया | भगवान राम को आदर्श महिला और सीता माता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है |

तुलसी को तुलसी माता के नाम से जाना जाता है| ऐसा माना जाता है की घर मे तुलसी का पोधा लगाने से पर्यावरण शुद्ध होता है अथवा सभी रोगों से रक्षा होती है| भगवान् विष्णु जी को तुलसी अति प्रिये थी| तुलसी माता की पूजा से सुख सम्पति का वास होता है तथा तुम्हारा हरी से अत्यंत प्यार होता है|

आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है।