HomePosts Tagged "आरती संग्रह" (Page 7)

शनि देव के पिता, सुर्येदेव अत्यन्त तीव्र प्रकाश और आभा के सवरूप माने जाते हैं, इसके अलावा भगवान् सुर्येदेव ही एकमात्र ऐसे देव हैं, जो की साक्षात दिखाई पढ़ते हैं| प्रतिदिन उठ कर इनकी आराधना सबसे पहले की जाती है, अथवा इन्हे जल चढ़ाना बहुत शुभ कारी मना गया है| सूर्य देव के प्रातः दर्शन कर जल चढ़ाने से सफलता, शांति और शक्ति की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव जी की प्रसन्न करने के लिए रोज प्रातः उनकी आरती करनी चाहिए।  

तिरुमला स्थित भगवान वेकटेश्वर के मंदिर की आरती भी आध्यात्मिक होती है। यह तिरुपति बालाजी के मंदिर के नाम से विश्व में विख्यात है। भगवान वेंकटेश्वर को बालाजी अथवा गोविन्दा के नाम से भी जानते हैं।

गुरूवार या वीरवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है. बृहस्पति देवता को बुद्धि और शिक्षा का देवता माना जाता है. गुरूवार को बृहस्पति देव की पूजा करने से धन, विद्या, पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. परिवार में सुख तथा शांति रहती है. गुरूवार का व्रत जल्दी विवाह करने के लिये भी किया जाता है|

हिंदू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। भगवान श्री राम के परम भक्त माने जाने वाले हनुमान जी का स्मरण करने से सभी डर दूर हो जाते हैं। हनुमान जी की पूजा-अर्चना में हनुमान चालीसा, मंत्र और आरती का पाठ किया जाता है।

माता सरस्वती जी को ज्ञान और बुद्धि की माता माना जाता है| मनुष्य को कोई भी ज्ञान इनकी पूजा के बिना संभव नहीं है| देवी सरस्वती वेदों की जननी है| कोई भी बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं पा सकता। लोग पूजा के बाद देवी सरस्वती जी की आरती सम्पूर्ण ज्ञान और बुद्धि के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिये करते है।

प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दंड देने वाले देवता के रूप मे पूजा जाता है| अत्यंत भक्ति भाव से उनकी आरती , कीर्तन एवं भजन किये जाते हैं| प्रेतराज सरकार की बाला बाला जी के सहायक देवता के रूप मे आराधना की जाती है| खासतोर पर चावलों का भोग लगवाया जाता है| यहाँ पर बूंदी के लड्डूओं का भोग भी लगाया जाता है|

यह उपवास सप्ताह के प्रथम दिवस इतवार व्रत कथा को रखा जाता है। रविवार सूर्य देवता की पूजा का वार है। जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ है। रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य मिलता है। कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

दुर्गा माता जी को आदि शक्ति के नाम से भी जाना जाता है| हिंदू धर्म में माता दुर्गा जी को सर्वोपरि माना गया है| ऐसा माना जाता है कि दुर्गा जी भौतिक संसार में सभी सुखों की दात्री हैं| उनकी भक्ति करने तथा आरती गाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं| माता दुर्गा की आरती का अत्यंत विशेष महत्व है|

जब भगवान विष्णु योगध्यान मुद्रा में तपस्या में लीन थे तो बहुत अधिक हिमपात होने लगा। भगवान विष्णु हिम में पूरी तरह डूब चुके थे। उनकी इस दशा को देख कर माता लक्ष्मी का हृदय द्रवित हो उठा और उन्होंने स्वयं भगवान विष्णु के समीप खड़े हो कर एक बेर (बदरी) के वृक्ष का रूप ले लिया और समस्त हिम को अपने ऊपर सहने लगीं। माता लक्ष्मीजी भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और हिम से बचाने की कठोर तपस्या में जुट गयीं । कई वर्षों बाद जब भगवान विष्णु ने अपना तप पूर्ण किया तो देखा कि लक्ष्मीजी हिम से ढकी पड़ी हैं। तो उन्होंने माता लक्ष्मी के तप को देख कर कहा कि हे देवी! तुमने भी मेरे ही बराबर तप किया है सो आज से इस धाम पर मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जायेगा और क्योंकि तुमने मेरी रक्षा बदरी वृक्ष के रूप में की है सो आज से मुझे बदरी के नाथ-बदरीनाथ के नाम से जाना जायेगा। इस तरह से भगवान विष्णु का नाम बदरीनाथ पड़ा।