HomePosts Tagged "आरती संग्रह" (Page 5)

संतोषी माता हिन्दूओं की एक अहम देवी मानी जाती हैं। मान्यता है कि संतोषी माता की उपासना से जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। संतोषी माता को प्रसन्न करने के लिए निम्न आरती का पाठ किया जाता है।

जब मनुष्य चौतरफा संकटों से घिर जाता है, उनसे निकलने का रास्ता तलाशने में वह विफल हो जाता है तब हनुमान जी की उपासना से बहुत लाभ मिलता है। विशेष रूप से उस समय संकट मोचक हनुमान अष्टक का पाठ बहुत उपयोगी व सहायक सिद्ध होता है।

संत रविदास का नाम शिरोमणि भगतों मे अंकित है| बचपन से ही समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए यह सदा तत्पर रहे| इनके जीवन की छोटी छोटी घटनाओ से इनके जीवन का पता चलता है| समाज मे फैली छुआ-छूत, ऊँच-नीच दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| बचपन से ही रविदास का झुकाव संत मत की तरफ रहा। वे सन्त कबीर के गुरूभाई थे। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ यह उनकी पंक्तियाँ मनुष्य को बहुत कुछ सीखने का अवसर प्रदान करती है। ‘रविदास के पद’, ‘नारद भक्ति सूत्र’ और ‘रविदास की बानी’ उनके प्रमुख संग्रहों में से हैं। 

आत्म शुधि और आत्म समर्पण के लिए सत्यनारायण कथा सबसे आसान तरीका है| भगवान् सत्येनारायण जी सभी मनोकामना पूर्ण कर दुखों का नाश करते हैं| सत्यनारायण कथा हर प्रकार से हमे पवित्र कर वासना,क्रोध, लोभ, मोह,और अहंकार से हमे बचाती  है|

ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतध्र्यान हुए, तो उनके धड से ऊपर का हिस्सा काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथमें, नाभि मदमदेश्वरमें और जटा कल्पेश्वरमें प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है। यहां शिवजी के भव्य मंदिर बने हुए हैं।

माता गायत्री शक्ति, ज्ञान, पवित्रता तथा सदाचार का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि गायत्री मां की आराधना करने से जीवन में सूख-समृद्धि, दया-भाव, आदर-भाव आदि की विभूति होती हैं। माता गायत्री की पूजा में निम्न आरती का भी विशेष प्रयोग किया जाता है।

मर्यादा पुरुषोतम श्री राम जी के नाम को ही मन्त्र मन गया है| राम से बड़ा, राम का नाम| राम नाम का जाप करने मात्र से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं|  श्री राम चन्द्र जी को स्मरण करने के लिए आरती का भी पाठ किया जाता है|

आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है।

कृष्ण और राधा जी का प्रेम कोए साधारण प्रेम नहीं , अपितु एक अनोखा प्रेम माना गया है| यह प्रेम रहस्य कोई प्रभु का भगत ही समझ सकता है| इतना अटूट प्यार और दुलार शायद ही इतिहास मे देखने को मिले| जितने भी गुरु पीर पैगम्बर हुए, उनमे श्री कृष्ण जी को १६ गुण संपन्न मन गया है| इस के अलावा, इनकी रास लीला भी अपरम्पार है| राधा जी का नाम ,क्रिशन जी के नाम से पहले अत है, जो की अटूट प्यार की निशानी है|

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री जगदम्बा जी को सबसे शक्तिशाली देवी माना गया है| श्री जगदम्बा जी, परमेश्वर ब्रह्मा (निर्माता) , विष्णु ( रक्षक ), और शिव ( विनाशक ) के संयुक्त ऊर्जा से उभरी है, राक्षस महिषासुर से युद्ध करने के लिए , कथा के अनुसार राक्षस महिषासुर को वरदान दिया गया था की वह और इंसान और भगवान द्वारा नहीं मारा जा सकता। यहां तक कि ब्रह्मा (निर्माता) , विष्णु ( रक्षक ), और शिव ( विनाशक ) ने भी उसे रोकने में नाकाम रहे ,इसलिए एक स्त्री ऊर्जा की उपस्थिति नरसंहार करने के लिए की गयी ,जिसने तीनो लोको में तहलका मचा दिया था-अर्थ , स्वर्ग और नीचे की दुनिया। श्री जगदम्बा जी को सभी देवताओं द्वारा विभिन्न हथियार उपहार में दिए गए थे। जिसमें से भाला और त्रिशूल सबसे आम तौर पर उसके चित्रों में दर्शाया गया है । वह सुदर्शन चक्र, तलवार , धनुष और तीर और अन्य हथियार पकड़े देखि गयी है। शाली देवी माना जाता है|