Homeआरती संग्रहशिवरात्रि की आरती – Shivratri Ki Aarti

शिवरात्रि की आरती – Shivratri Ki Aarti

शिवरात्रि की आरती - Shivratri Ki Aarti

शिवरात्रि के दिन, भगवान् शिव का सुहाना सुसजित एवं सुंदर चित्र देखने को मिलता है, जिसे देखने के लिए भगतों की भीड़ उमड़ पढ़ती है| इन दिनों भागात्वत्सल्ये भगवान् महा कालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया जाता है अथवा उन्हे विविध प्रकार के फूलों से सजाया जाता है| अनेकानेक प्राचीन वांग्मय महाकाल की व्यापक महिमा से आपूरित हैं क्योंकि वे कालखंड, काल सीमा, काल-विभाजन आदि के प्रथम उपदेशक व अधिष्ठाता हैं। स्कन्दपुराण के अवंती खंड में, शिव पुराण (ज्ञान संहिता अध्याय 38), वराह पुराण, रुद्रयामल तंत्र, शिव महापुराण की विद्येश्वर संहिता के तेइसवें अध्याय तथा रुद्रसंहिता के चौदहवें अध्याय में भगवान महाकाल की अर्चना, महिमा व विधान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है।

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शिवरात्रि की आरती इस प्रकार है:

आ गई महाशिवरात्रि पधारो शंकर जी |
हो पधारो शंकर जी ||

आरती उतारें पार उतारो शंकर जी |
हो उतारो शंकर जी ||

तुम नयन नयन में हो मन मन में धाम तेरा
हे नीलकंठ है कंठ कंठ में नाम तेरा

हो देवो के देव जगत के प्यारे शंकर जी
तुम राज महल में तुम्ही भिखारी के घर में

धरती पर तेरा चरन मुकुट है अम्बर में
संसार तुम्हारा एक हमारे शंकर जी

तुम दुनिया बसाकर भस्म रमाने वाले हो
पापी के भी रखवाले भोले भाले हो

दुनिया में भी दो दिन तो गुजरो शंकर जी
क्या भेंट चढ़ाये तन मैला घर सूना है

ले लो आंसू के गंगा जल का नमूना है
आ करके नयन में चरण पखारो शंकर जी |

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