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हिन्दू मान्यता के अनुसार पारवती जी ही देवी भगवती हैं| पार्वती जी को बहुत दयालु, कृपालु और करूणा मई मन जाता है| इनकी आराधना करने पर भक्तो के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं| तथा घर मई सुख शांति का वास होता है| देवी पारवती जी जैसा की सर्व विदित ही है, की शंकर भगवान् जी की अर्धांगिनी है| इनकी आरती उतार कर इन्हे प्रसन्न किया जा सकता है|

शीतला माता जी के व्रत का महा महत्व मन गया है| धार्मिक मान्येताओं के अनुसार जजों इनकी पूजा व् आरती करता है वह दैहिक और दैविक ताप से मुक्त हो जाता है| इसी व्रत से पुत्र प्राप्ति भी होती है तथा सोभाग्य प्राप्त होता है| पुत्री की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत उत्तम कहा गया है।

भगवान् शंकर के अवतारों मे भैरव जी का अपना ही एक विशिष्ट स्थान है| भ – से विशव का भरण, र – से रमेश, व् – व् से वमन , अर्थात सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और सहांर करने वाले शिव ही भैरव हैं| भैरव यंत्र की बहुत विशेषता मानी गई है, भैरव साधना अकाल मौत से बचाती है, तथा भूत प्रेत, काले जादू से भी हमारी रक्षा करता है|

श्री भागवत पूरण के दशम स्कंद के उत्तरार्ध के ५८ मे अध्याय के १७ से २३ श्लोक तक यमुना जी ने जहा श्री कृष्ण प्राप्ति को तप किया वह जगह यमुना किनारे पर स्धित है जो कभी भी प्रकाशित और प्रचारित नही हुई वो जहाँ श्री यमुना जी ने तप किया वह जगह वर्तमान मे यमुना किनारे मथुरा विश्राम घाट  से कुछ दूरी पर स्तिथ हैं| जो श्री यमुना तपोभूमि के नाम से स्थापित है| इसकी आरती इस प्रकार है|

संतोषी माता को हिन्दू धरम मे संतोष, सुख, शांति और वैभव की माता के रूप मे पूजा जाता है| ऐसा माना जाता है की माता संतोषी भगवान् श्री गणेश की पुत्री हैं| संतोषी नाम संतोष से बना है| संतोष का हमारे जीवन मे बहुत महत्व है| अगर जीवन मे संतोष न हो तो इन्सान मानसिक और शारीरिक तोर पर बेहद कमजोर हो जाता है| संतोषी मां हमें संतोष दिला हमारे जीवन में खुशियों का प्रवाह करती हैं.

पूजा के अन्त में आरती की जाती है| पूजन में जो त्रुटि रह जाती है, आरती से उसकी पूर्ति होती है| पूजन मन्त्रहीन और क्रियाहीन होने पर भी आरती कर लेने से उसमें सारी पूर्णता आ जाती है| आरती करने का ही नहीं, आरती देखने का भी बड़ा पुण्य होता है| जो धूप और आरती को देखता है और दोनों हाथों से आरती लेता है, वह समस्त पीदियों का उद्धार करता है और भगवान् विष्णु के परमपत को प्राप्त होता है|

सत्यम शिवम और सुन्दरम जो सत्य है वह ब्रह्म है जो शिव है वह परम शुभ और पवित्र आतम तत्व है| शिव से ही धर्म अर्थ काम और मोक्ष है| सभी जगत शिव की ही शरण में हैं, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुःख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण कहते हैं| जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृति कभी क्षमा नहीं करती है| शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है| शिवलिंग के विल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीम मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है|

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा जी को सबसे शक्तिशाली देवी माना गया है| देवी दुर्गा , परमेश्वर ब्रह्मा (निर्माता) , विष्णु ( रक्षक ), और शिव ( विनाशक ) के संयुक्त ऊर्जा से उभरी है, राक्षस महिषासुर से युद्ध करने के लिए , कथा के अनुसार राक्षस महिषासुर को वरदान दिया गया था की वह और इंसान और भगवान द्वारा नहीं मारा जा सकता। यहां तक कि ब्रह्मा (निर्माता) , विष्णु ( रक्षक ), और शिव ( विनाशक ) ने भी उसे रोकने में नाकाम रहे ,इसलिए एक स्त्री ऊर्जा की उपस्थिति नरसंहार करने के लिए की गयी ,जिसने तीनो लोको में तहलका मचा दिया था-अर्थ , स्वर्ग और नीचे की दुनिया। देवी दुर्गा को सभी देवताओं द्वारा विभिन्न हथियार उपहार में दिए गए थे। जिसमें से भाला और त्रिशूल सबसे आम तौर पर उसके चित्रों में दर्शाया गया है ।वह सुदर्शन चक्र, तलवार , धनुष और तीर और अन्य हथियार पकड़े देखि गयी है। शाली देवी माना जाता है| 

शिव को देवों के देव कहते हैं, इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है | हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।

काली जी का जन्म राक्षसों के विनाश के लिए हुआ था| कलि माता जी को माता जगदम्बे, अदि शक्ति का रूप माना जाता है और इनकी आराधना से सभी दुःख दूर हो जाते है| काली माता जी को बल और शक्ति की देवी माना जाता है|