राजा त्रिशंकु के यज्ञ में आमंत्रण के अवसर पर वशिष्ठ पुत्र शक्ति और विश्वामित्र विवाद हो गया| विश्वामित्र ने शक्ति को शाप दे दिया और प्रेरणा से ‘रुधिर’ नामक राक्षस ने शक्ति ऋषि को खा लिया| महर्षि वशिष्ठ के दूसरे निन्यानबे पुत्रों को भी उसने खा डाला| महर्षि वशिष्ठ का एक पुत्र भी नही बचा|
एक स्त्री थी| उसकी आंखें चली गईं| पहले एक गई, फिर दूसरी| वह बहुत परेशान रहने लगी| पति अपनी अंधी पत्नी का बोझ कब तक उठाता! वह उससे अलग रहने लगा| उसकी छोटी लड़की ने भी उससे मुंह मोड़ लिया|
सऊदी अरब में बुखारी नामक एक विद्वान रहते थे। वह अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर थे। एक बार वह समुद्री जहाज से लंबी यात्रा पर निकले। उन्होंने सफर के खर्च के लिए एक हजार दीनार अपनी पोटली में बांध कर रख लिए। यात्रा के दौरान बुखारी की पहचान दूसरे यात्रियों से हुई। बुखारी उन्हें ज्ञान की बातें बताते।
माद्री जी मृत्यु के पश्चात वन के ऋषि-मुनियों ने कुंती और पांडवों को हस्तिनापुर ले जाकर भीष्म को सौंप दिया| हस्तिनापुर एक सुन्दर प्रदेश था और पांडु-पुत्र वहां जाने के लिए उत्सुक थे|
शिलाद नाम के एक महामनस्वी ब्राह्मण थे| उन्होंने सत्पुत्र की प्राप्ति के लिए इंद्र की उपासना की| उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इंद्र ने शिलाद से वर माँगने को कहा|
नौआखाली के दिनों की बात है| वहां गांधीजी की पद-यात्रा चल रही थी| एक दिन गांधीजी देवीपुर नामक ग्राम में पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया| ध्वज-तोरण, पताका आदि से सजावट की गई| गांधीजी ने वह सब देखा तो बड़े गंभीर हो गए, पर उस दिन मौनवार होने के कारण बोले कुछ नहीं| शाम को मौन समाप्त होने पर उन्होंने मुख्य कार्यकर्ता को बुलाकर पूछा – “आप ये चीजें कहां से लाए?”
यादवों के राज्य में लगभग इसी समय एक नन्हे बालक ने कारागृह में जन्म लिया| बालक के पिता वासुदेव और माता देवकी यादवों के राजा और रानी थे| कंस देवकी का भाई था| एक भविष्यवाणी के अनुसार कि देवकी की आठवी संतान कंस की मृत्यु का कारण बनेगी, कंस इससे बहुत भयभीत हो गया| और वासुदेव को कारागृह में डलवा दिया|
भगवान् शंकर की भक्ति से मनुष्य में इतनी सामर्थ्य आ जाती है कि वह देवों को भी अभिभूत कर सकता है| विप्र दधीच भगवान् शंकर के उत्तम भक्त थे| वे भस्म धारण करते थे और सदा भगवान शंकर का स्मरण किया करते थे| राजा क्षुप इनके मित्र थे| ये क्षुप कोई साधारण राजा नही थे| असुरों के युद्ध में इनसे इंद्र सहायता लेते रहते थे|
वे सवेरे-सवेरे टहल कर लौटे तो कुटिया के बाहर एक दीन-हीन व्यक्ति को पड़ा पाया| उसके शरीर से मवाद बह रहा था| वह कुष्ठ रोग से पीड़ित था|
तपस्वी जाजलि श्रद्धापूर्वक वानप्रस्थ धर्म का पालन करने के बाद खडे़ होकर कठोर तपस्या करने लगे। उन्हें गतिहीन देखकर पक्षियों ने उन्हें कोई वृक्ष समझ लिया और उनकी जटाओं में घोंसले बनाकर अंडे दे दिए। अंडे बढे़ और फूटे, उनसे बच्चे निकले। बच्चे बड़े हुए और उड़ने भी लगे। एक बार जब बच्चे उड़कर पूरे एक महीने तक अपने घोंसले में नहीं लौटे, तब जाजलि हिले। वह स्वयं अपनी तपस्या पर आश्चर्य करने लगे और अपने को सिद्ध समझने लगे।
इतिहास के महान् विजेताओं में नेपोलियन बोनपार्ट परिगणित किए जाते हैं| वह समय की कीमत को भली प्रकार जानते थे|
अंबिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य से हो गया और वे हस्तिनापुर में रहने लगीं| अंबिका के एक पुत्र हुआ, जिसका नाम था धृतराष्ट्र| और अम्बालिका के पुत्र का नाम रखा गया पांडु| दासी-उतर विदुर भी धृतराष्ट्र और पांडु के भाई थे| वे अपने चातुर्य, ज्ञान और सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध हुए|
भगवान् सूर्य उत्पत्ति के समय एक प्रकाशमय विशाल गोलाकार वृत के रुप में थे, उनका एक नाम मार्तण्ड है| देवशिल्पी विश्वकर्मा ने अपनी पुत्री संज्ञा का विवाह उनके साथ कर दिया था|
एक आदमी को यह ज्ञात हुआ कि जंगल में हीरे की खान है| हीरे की खान ढूँढ़कर वह हीरा पाने के लिए जंगल की ओर चल पड़ा| इतने में रास्ते में एक शेर मिला|
किसी कस्बे में दो आदमी रहते थे| एक का नाम था प्रेम दूसरे का नाम विनय| दोनों के घर आमने-सामने थे| एक दिन संयोग से किसी बात पर उनमें तनातनी हो गई| बात छोटी-सी थी, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ गई| दोनों ही बेहद उत्तेजित हो उठे| प्रेम आपे से बाहर हो गया| वह बोला – “शैतान के बच्चे, तेरी अकल घास चरने चली गई है|”
एक कुसुमित डाल ने अपने पड़ोस की टहनी से कहा- आज का दिन तो बिल्कुल नीरस लग रहा है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही महसूस हो रहा है? उस टहनी ने उत्तर दिया- नि:संदेह यही बात मुझे भी लग रही है। उसी समय उस टहनी पर एक चिरौटा आ बैठा और उसके निकट ही एक दूसरा चिरौटा भी आ गया।
सात वर्ष बीत गए| एक दिन राजा शांतनु नदी के तट पर घुमने निकले| उन्होंने देखा एक सुन्दर बालक छोटे से धनुष से नदी में तीर चला रहा है| शांतनु सोचने लगे, “यह बालक जल से इस भांति खेल रहा है जैसे छोटे बच्चे अपनी माता के साथ खेलते हैं|” वे बालक को स्नेह से देख रहे थे, तभी गंगा उनके सामने प्रकट हुईं|
प्राचीन काल की बात है, राजा भरत शालग्राम क्षेत्र में रहकर भगवान् वासुदेव की पूजा आदि करते हुए तपस्या कर रहे थे| उनकी एक मृग के प्रति आसक्ति हो गई थी, इसलिए अंतकाल में उसी का स्मरण करते हुए प्राण त्यागने के कारण उन्हें मृग होना पड़ा| मृगयोनि में भी वे ‘जातिस्मर’ हुए- उन्हें पूर्वजन्म की बातों का स्मरण रहा|
किसी नगर में एक सेठ रहता था, उसके पास लाखों की संपत्ति और भरा-पूरा परिवार था, उसे सब तरह की सुख सुविधाएं थीं| फिर भी उनका मन अशांत रहता था|
एक भिखारी भीख मांगने निकला। उसका सोचना था कि जो कुछ भी मिल जाए, उस पर अधिकार कर लेना चाहिए। एक दिन वह राजपथ पर बढ़ा जा रहा था। एक घर से उसे कुछ अनाज मिला। वह आगे बढ़ा और मुख्य मार्ग पर आ गया। अचानक उसने देखा कि नगर का राजा रथ पर सवार होकर उस ओर आ रहा है। वह सवारी देखने के लिए खड़ा हो गया, लेकिन यह क्या? राजा की सवारी उसके पास आकर रुक गई।
बहुत पुरानी बात है| शांतनु नाम के एक राजा हस्तिनापुर में राज्य करते थे| उन्हें शिकार खेलना अति प्रिय था| एक दिन राजा शांतनु ने नदी के तट पर एक बहुत सुन्दर स्त्री को देखा| वह कोई साधरण नारी नहीं बल्कि देवी गंगा थी| परन्तु राजा शांतनु इस बात से अनभिज्ञ थे|
प्रथम चरित्र
दूसरे मनु के राज्याधिकार में ‘सुरथ’ नामक चैत्रवंशोदभव राजा क्षिति मंडल का अधिपति हुआ| शत्रुओं तथा दुष्ट मंत्रियों के कारण उसका राज्य, कोषादी उसके हाथ से निकल गया|
जापान में एक बहुत बड़े आदमी हुए हैं| उनका नाम था कागावा| लोग उन्हें ‘जापान का गांधी’ कहा करते थे| वास्तव में वे थे भी गांधीजी की ही तरह| वह शिकावा की मामूली-सी बस्ती में बड़ी सादगी से रहते थे और सबको प्यार करते थे|
एक समय की बात है। एक शहर में एक धनी आदमी रहता था। उसकी लंबी-चौड़ी खेती-बाड़ी थी और वह कई तरह के व्यापार करता था। बड़े विशाल क्षेत्र में उसके बगीचे फैले हुए थे, जहां पर भांति-भांति के फल लगते थे।
प्राचीन काल की बात है| व्यास नाम के एक वृद्ध पुरुष भारत भूमि पर रहते थे| व्यास बहुत ही बुद्धिमान और विद्वान थे| वे सदा चिंतन-मनन में लगे रहते थे| ऋषिवर व्यास भिन्न-भिन्न विषयों पर गहराई से सोच-विचार किया करते थे|
भगवती भागीरथी गंगा का इस पृथ्वी पर प्रादुर्भाव पापियों की सद्गति एवं पृथ्वी को पवित्र करने के लिए हुआ है|
किसी नगर में एक सेठ रहता था| उसके पास अपार धन था, उसका व्यापार दूर-दूर तक फैला हुआ था| एक दिन एक साधु उसके दरवाजे पर भिक्षा मांगने के लिए आया| सेठ ने उसे भिक्षा दी| भिक्षा लेकर जब साधु जाने लगा तो सेठ ने उसे रोककर कहा – “महाराज, मुझे कुछ उपदेश तो देते जाइए|”
पुराने समय में एक राजा था। राजा के पास सभी सुख-सुविधाएं और असंख्य सेवक-सेविकाएं हर समय उनकी सेवा उपलब्ध रहते थे। उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी। फिर भी राजा उसके जीवन के सुखी नहीं था। क्योंकि वह अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी परेशान रहता था।
उम्र के एक पड़ाव पर पहुंचकर अकबर के बाल भी सफेद हो गए थे| वह बालों को काला करने के लिए खिजाब लगाने लगे थे| एक दिन खिजाब लगाते हुए उन्होंने बीरबल से यूं ही पूछ लिया – “बीरबल, खिजाब लगाने से दिमाग पर कोई असर तो नहीं होता है न?”
सच है, कोई पुरुष अत्यंत धैर्यवान, दयालु, सद्गुणी, सदाचारी, नीतिज्ञ, कर्तव्यनिष्ठ और गुरु का भक्त अथवा विधा-विवेक सम्पन्न भी क्यों न हो, यदि वह निरंतर अत्यंत पापबुद्धि दुष्ट पुरुषों का संग करेगा तो अवश्य ही क्रमशः उन्हीं की बुद्धि से प्रभावित होकर उन्हीं के समान हो जाएगा| इसलिए सदा ही दुष्ट पुरुषों का संग त्याग देना चाहिए|