यह भोजन का स्वाद मुखर करती है, अग्नि को उत्तेजित करती है तथा दाहजनक होती है| स्वरभंग, अजीर्ण एवं अरुचि को दूर करने में समक्ष है| पाचक होती है और चर्म रोग में लाभ करती है, किन्तु इसका अधिक प्रयोग पेट में अल्सर पैदा कर सकता है| साथ ही अमाशय में गर्मी उत्पन्न करती है, फिर भी विभिन्न रोगों में अत्यन्त लाभकारी है|
यह पाचाकाग्नि को प्रदीप्त करने में समक्ष है तथा वायु विकार को दूर करने में हितकारी है| अत्यन्त शीतल, पाचक और लाभदायक है| इसका मुख्य प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है| इसकी सब्जी में पोटेशियम, फास्फोरस, आयोडीन आदि पाये जाते हैं| इसमें लोहा, विटामिन-बी ओर प्रोटीन भी पाये जाते हैं| पकाने पर भी इसमें विटामिन-ए नष्ट नहीं होता|
मक्खन एक दुग्ध-उत्पाद है जिसे दही, ताजा या खमीरीकृत क्रीम या दूध को मथ कर प्राप्त किया जाता है। क्या आप जानते हैं, कि मक्खन खाने के भी अपने ही कुछ फायदे हैं।
सिन्दूर एक लाल रंग का सौन्दर्य प्रसाधन होता है जिसे भारतीय महिलाए प्रयोग करती हैं। मगर इसका पार्श्व प्रभाव आपके स्वास्थ्य और सौन्दर्य के दृष्टि से कितना हानिकारक होता है इसके बारे में जानना भी ज़रूरी होता है।
तरबूज़ ग्रीष्म ऋतु का फल है। यह बाहर से हरे रंग के होते हैं, परन्तु अंदर से लाल और पानी से भरपूर व मीठे होते हैं। तरबूज तो आप खाते ही होंगे पर इसके बीज का आप क्या करते हैं? जाहिर है आप इसके बीज को फेंक ही देते होंगे। लेकिन इसके स्वास्थ लाभ ( Health Benefits) को जानने के बाद शायद आप ऐसा नहीं करेंगे? तरबूज के बीज को चबाकर खाएं या फिर इसके तेल का इस्तेमाल करें, दोनों ही रूप में यह फायदेमंद है। आयरन, पोटैशियम और विटामिन्स से भरपूर तरबूज के बीज सेहत, स्किन और बालों के लिए काफी फायदेमंद हैं।
यह नींबू जाति का ही फल है परन्तु नींबू से अनेक गुना लाभदायक है। मौसमी का जूस हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है| इसमें विटामिन सी और पोटेशियम जैसे खनिज पाए जाते हैं|
तिल का हमारे खान-पान में बहुत महत्व है। तिल का हमारे खान-पान में बहुत महत्व है। सर्दियों में तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। तिल के बीज छोटे पीले भूरे रंग के बीज हैं जो कि मुख्य रूप से अफ्रीका में पाए जाते हैं, लेकिन वे भारतीय उपमहाद्वीप पर भी कम संख्या में उगाए जाते हैं।
आंवले को धात्रीफल भी कहते हैं| यह बहुत ही पौष्टिक और गुणकारी होता है| इसमें हर्र के सारे गुण मौजूद रहते हैं| इसके स्वाद में पांचों रसों का समावेश होता है| ये रस वात, पित्त और कफ को शान्त करने वाले होते हैं|
बैंगन में विद्यमान लौह तत्व शरीर में नये रक्त की रचना करते हैं| बैंगन किसी भी आकृति का हो, सबके गुण एक समान ही हैं| इसकी तासीर गर्म होती है| यह पाचन-क्रिया को बढ़ाने में सहायक है| किसी भी प्रकार के ज्वर के समय बैंगन न खाएं| बैंगन गर्म होता है, अत: बवासीर व अनिद्रा के रोगी बैंगन का लम्बे समय तक सेवन न करें|
सुपारी भोजन के बाद मुख-शुद्धि के रूप में ली जाती है| यह मुख-शुद्धि के अतिरिक्त मसूड़ों को भी दृढ़ करती है, ओत दांतों के मल को दूर करती है| सुपारी का सेवन करने से वातवाहिनियां सबल बनती हैं|
आंतरिक क्षमताओं की तुलना में यह बादाम के समकक्ष होता है, तथा मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने वाला है| यह हृदय और आमाशय को बलिष्ठ बनाता है| रक्त=विकार में अमृत-तुल्य है| भारी, गर्म बल और वीर्य को बढ़ाता है एवं स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं सुगंधित होता है|
अल्फा-अल्फा को रिजका भी कहते हैं। अल्फा-अल्फा का इस्तेमाल कई स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। अल्फा-अल्फा की जड़ें जमीन से लगभग बीस से तीस फीट नीचे होती हैं। यहां उन्हें वे खनिज लवण मिलते हैं।
मोठ एक प्रकार का दलहन होता है। इससे दाल मिलती है। इसकी फलियों में जो दाने निकलते हैं, उनकी दाल बनती है। इसकी जड़ मादक और विषैली होती है।
मेथी की तासीर गरम होती है| गंगाफल (कद्दू) का बघार मेथी से किया जाता है| बहुत से अचारों में भी मसाले के साथ मेथी पीसकर मिलाई जाती है| गांव तथा शहर सभी जगह जाड़े के मौसम में मेथी का साग बड़े स्वाद से खाया जाता है|
पत्ता गोभी अन्य सब्जियों की तरह न्यूट्रिशन और प्रोटीन से भरपूर होती है। पत्ता गोभी खाने के बहुत फायदे होते हैं। पत्ता गोभी कई रंगो और कई किस्मों में आती है। आज हम आपको पत्ता गोभी में मौजूद गुणों के बारे में बता रहे हैं।
उरद या उड़द एक दलहन होता है। उड़द की दाल एक अत्यंत बलवर्द्धक, पौष्टिक व सभी दालों में पोषक होती है। जिन लोगों की पाचन शक्ति प्रबल होती है, वे यदि इसका सेवन करें। उड़द का प्रयोग तमाम व्यंजन बनाने के काम आता है जैसे, डोसा, पापड़, वड़ा, लड्डू और दाल आदि।
नाशपाती अथवा नाशपाती का रस शीतलता प्रदान करता है| कुछ लोगों ने इसे ‘अमृत फल’ का नाम भी दिया हुआ है| छिलके सहित खाने पर नाशपाती अधिक लाभ करती है| इसका रस शरीर की धातुओं में वृद्धि करता है| यह जलोदर और अतिसार में भी लाभदायक है, तथा खाने में अत्यंत स्वादिष्ट भी होती हैं|
यह हमारे दैनिक आहार के प्रयोग में आने वाला सबसे पहला और अत्यंत आवश्यक धान्य है| इसमें शरीर का शोधन करने और उसे स्वस्थ रखने की अद्भुत शक्ति है| गेहूं के छोटे-छोटे पौधों में एक प्रकार का रस होता है, जो असाध्य और कैंसर जैसे भयंकर रोगों को भी दूर कर सकता है| भगंदर, बवासीर, मधुमेह, गठियावाय, पीलिया, ज्वर, दमा और खांसी जैसे रोग भी इस रस से दूर किए जा सकते हैं|
पीपल का वृक्ष पवित्र, अश्वत्थ, ज्ञान देने वाला, शुद्ध वायु प्रदाता तथा गुणों की खान माना गया है| कहते हैं कि एक गमले में पीपल का छोटा पौधा (वृक्ष) लगाकर बैठक में रखने से ऑक्सीजन के सिलेण्डर की जरूरत नहीं पड़ती|
अनानास का फल बहुत स्वादिष्ट होता है | इसके कच्चे फल का स्वाद खट्टा तथा पके फल का स्वाद मीठा होता है । इसके फल में थाइमिन,राइबोफ्लेविन,सुक्रोस,ग्लूकोस,कैफीक अम्ल,सिट्रिक अम्ल,कार्बोहाईड्रेट तथा प्रोटीन पाया जाता है| गर्मी के मौसम में जूस पीने के अपने फायदे हैं। अगर आप भी जूस पीना पसंद करते हैं, तो इस बार पाइनेपल यानि अनानास का जूस लीजिए। अनानास का जूस पीने के यह कीमती फायदे जानकर आप इसे पिए बगैर नहीं रह सकेंगे।
अमरूद हमारे देश का एक प्रमुख फल है| इसके अंदर सौकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे बीज होते हैं| अमरूद मीठा और स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से भरा हुआ है। सर्दियों में अमरूद खाने के फायदे ही फायदे हैं। दंत रोगों के लिए अमरूद रामबाण साबित होता है। अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों के कीड़ा और दांतों से सम्बंधित रोग भी दूर हो जाते हैं। इसके अलावा भी ये कई औषधीय गुणो के लिए जाना जाता है।
शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के लिए मखानों का प्रयोग विशेष रूप-से किया जाता है| यह अत्यंत बलवर्धक और स्वादिष्ट होते हैं| ये मधुर, कटु, वातपित्त एवं दाहनाशक हैं| यह वीर्य-स्तंभक और धातुवर्धक हैं| अत: शुक्र के दौर्बल्य को दूर करने के लिए हितकारी हैं| स्त्रियों के लिए विशेष लाभकारी है|
प्रत्येक घर में धनिया को मसाले के एक अंग के रूप में प्रयोग किया जाता है|इसकी तासीर ठंडी होती है| लेकिन इसमें इतने गुण हैं कि यह शरीर के अंग-प्रत्यंग को शक्ति प्रदान करता है|
ईसबगोल की भूसी में थोड़ा-सा लुवाब होता है| यह पेट के सभी रोगों में काम आती है| इसका लुवाब अंतड़ियों में पहुंचकर उनकी क्रिया को तीव्र कर देता है|
इसकी प्रकृति गर्म व शीतल है तथा इसका स्वाद कसैलापन लिए होता है| यह पाचाकाग्नि को प्रदीप्त करता है| शरीर के अनेक विकारों को दूर करने के लिए एक औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है|
खाने पीने से होने वाला पेट दर्द, अफीम खाने से हुई तेज अपच, भोजन न पचना, पेट-दर्द होना, ऐसी स्थिति में कॉफी पीने से स्फूर्ति आती है| अनिद्रा से उत्पन्न थकान भी कॉफी पीने से दूर होती है| कॉफी पीने से मस्ती प्रतीत होती है|
स्वाद में खट्टा-मीठा आलूबुखारा गर्मियों में आने वाला मौसमी फल है. इसमें बॉडी के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं| इसके फल को भी अलूचा या प्लम कहते हैं। फल, लीची के बराबर या कुछ बड़ा होता है और छिलका नरम तथा साधरणत: गाढ़े बैंगनी रंग का होता है। गूदा पीला और खटमिट्ठे स्वाद का होता है।
इसका प्रयोग साबुत और धुली हुई दाल के रूप में किया जाता है| यह पचने में हल्की तथा मल को बांधने वाली होती है| यह गर्म, शुष्क, रक्त को बढ़ाने वाली तथा रक्त को गाढ़ा करने वाली होती है| वातकारक होने के कारण शरीर में रूक्षता की वृद्धि करती है| इसके नियमित सेवन से कफ की विभिन्न बीमारियां तथा पित्त आदि विकार नष्ट होते हैं|
ज्वार एक प्रमुख फसल है। ज्वार ठंडा होता है जिसके कारण हम इसे गर्मियों के दिनों में अधिक प्रयोग में लाते हैं और इससे हमारा शरीर स्वास्थ्य रहता है। ज्वार खाने के फायदे जानकर आप भी ज्वार के दानो को खाना पसंद करने लगेंगे. तो जानते हैं ज्वार खाने से सेहत को क्या लाभ होते हैं।
यह बहुत चिपचिपा, कुछ पारदर्शक तथा भूरे रंग का गाढ़ा होता है| साथ ही यह अत्यंत सुगंधित, मधुर, सघन पानी में सहज ही घुल जाने वाला होता है| यह कई प्रकार का होता है, किन्तु सबकी अपनी गंध, वर्ण और स्वाद होता है| मधुमक्खी सर्व प्रकार के फूलों से, उनका रस खींचकर शहद का निर्माण करती है|
इसकी प्रकृति गर्म है, संभवतया इसी कारण यह शरीर में पित्त को बढ़ाता है| यह रक्त के बहाव में भी तेजी लाता है| यह पेट के कीड़े नष्ट करने में समक्ष है| इसके साथ ही यह निम्न रोगों में भी अत्यन्त लाभकारी है|
आक को मदार और अकौआ भी कहते हैं| इसका पेड़ छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके पत्ते बरगद के पत्तों की तरह होते हैं| इसका फूल सफेद, छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके फलों में कपास होती है|
जायफल को औषधियों की पिटारी कहा जाता है| इसमें अफीम की तरह तत्त्व होता है| इसका स्वाद कसैला होता है| इसको गुड़ के साथ खाने पर ऐंठन, मरोड़, पेट दर्द आदि से छुटकारा मिलता है|
मुलहठी के पत्ते गोल और छोटे होते हैं| इसकी लकड़ी तथा जड़ काम में लाई जाती है| यह मीठी, कुछ कड़वी, शीतल, भारी एवं चिकनी होती है| इसमें इतने गुण हैं जिनका वर्णन करना सरल नहीं है|
हींग का प्रयोग दाल, साग-सब्जी में डालने तथा उदर रोग नाशक चूर्ण बनाने में किया जाता है| हींग-जीरा से सब्जी छौंकने तथा दाल बघारने की क्रिया बहुत ही लाभदायक है| छौंक से निकलने वाली वायु जितनी दूर तक जाती है, उतनी दूर का वातावरण सुगंधित हो जाता है| इससे सूक्ष्म जीवाणु, जो स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं, नष्ट हो जाते हैं| असल में हींग एक पेड़ की गोंद है जो पर्वतों पर होता है| गोंद को पकाकर हींग बनाई जाती है|
कालीमिर्च चरपरी, तीक्ष्ण, रूखी, कुछ गरम, पाक में मधुर, हल्की, शोषक और अग्निवर्द्धक होती है| यह कफ-वात नाशक लेकिन पित्तजनक है| इसके सेवन से श्वास, पेट दर्द, कृमि, हृदय रोग, प्रमेह, बवासीर तथा सिर के रोग नष्ट होते हैं|
राई दो रंगों में मिलती है – लाल और सफेद| दोनों बहुत गुणकारी एवं अग्नि प्रदीप्तकारी हैं| राई के सेवन से पेट की अग्नि तीव्र होती है जो भोजन पचाने में सहायता करती है| यह पेट के कीड़े मारती है और खाज-खुजली को नष्ट करती है| यह खाने में कुछ तेज तथा चरपरी-सी होती है|
हमारे देश में लौंग को मसालों का राजा माना जाता है| मसाले को स्थायी तथा खुशबूदार बनाने के लिए लौंग का प्रयोग किया जाता है| पान में भी लौंग डालकर खाया जाता है| इसके सेवन से गला खुल जाता है और छाती में जमा कफ बाहर निकल जाता है|