अज्ञानी सूअर
एक बार उद्धव ने भगवान् कृष्ण से कहा कि इन जीवों को आप अपने देश क्यों नहीं ले चलते? आप सर्व-समर्थ हैं और जो चाहो कर सकते हैं|
एक बार उद्धव ने भगवान् कृष्ण से कहा कि इन जीवों को आप अपने देश क्यों नहीं ले चलते? आप सर्व-समर्थ हैं और जो चाहो कर सकते हैं|
‘तज़करात-उल-औलिया’ मुसलमानों की एक रूहानी पुस्तक है| उसमें एक छोटी-सी कहानी आती है कि एक बार एक फ़क़ीर जब सफ़र पर निकला तो उसने साथ में रोटी बाँध ली कि वह रास्ते में खायेगा|
राजा परीक्षित ने वेदव्यास से प्रश्न किया कि क्या मेरे बुज़ुर्ग मन के इतने ग़ुलाम थे कि इसे क़ाबू करने में असमर्थ रहे?
भाई मंझ बड़ा अमीर आदमी था, बल्कि अपने गाँव का सबसे बड़ा ज़मींदार था| वह सुलतान सखी सरवर का उपासक था|
ज़िक्र है कि बुल्लेशाह बड़ा आलिम-फ़ाज़िल था| चालीस साल खोज की, बहुत-से शास्त्र और धार्मिक किताबें पढ़ीं, अनेक महात्माओं और नेक लोगों से वार्तालाप किया लेकिन कुछ हासिल न हुआ|
ज़िक्र है कि एक मुसलमान फ़क़ीर एक दिन बाज़ार से गुज़र रहा था| रास्ते में एक हलवाई की दुकान थी|
शेख़ फ़रीद को बहुत कम आयु में ही रूहानियत की गहरी लगन थी| उन्होंने ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का नाम सुना हुआ था जो राजस्थान के एक शहर अजमेर में रहते थे|
ऋषि वेदव्यास का पुत्र शुकदेव जिसको गर्भ में ही ज्ञान था, राजा जनक को गुरु धारण करने के लिए उसके दरबार में तेरह बार गया| शुकदेव के पिता ने उसे यह बताया था कि इस समय राजा जनक ही पूर्ण गुरु हैं, इसलिए गुरु धारण करने के लिए उसके पास जाओ|
किसी महात्मा के पास दो आदमी नाम लेने आये| उनमें से एक अधिकारी था, दूसरा अनाधिकारी|
हज़रत यूसुफ़ जिसको बाइबल में जोसफ़ कहा गया है, बहुत सुन्दर और बुद्धिमान था| उसके बड़े भाई उससे ईर्ष्या करते थे|