सदाचार से कल्याण
दर्शाण देश में एक राजा रहता था वज्रबाहु| वज्रबाहू की पत्नी सुमति अपने नवजात शिशु के साथ किसी असाध्य रोग से ग्रस्त हो गयी| यह देख दृष्टिबुद्धि राजा ने उसे वन में त्याग दिया| अनेक प्रकार के कष्ट भोगती हुई वह आगे बढ़ी|
दर्शाण देश में एक राजा रहता था वज्रबाहु| वज्रबाहू की पत्नी सुमति अपने नवजात शिशु के साथ किसी असाध्य रोग से ग्रस्त हो गयी| यह देख दृष्टिबुद्धि राजा ने उसे वन में त्याग दिया| अनेक प्रकार के कष्ट भोगती हुई वह आगे बढ़ी|
“Sakuni said.–‘O Duryodhana, thou shouldst not be jealous ofYudhishthira. The sons of Pandu are enjoying what they deserve inconsequence of their own good fortune.
1 [दुर]
अयं ते कर्ण सारथ्यं मद्रराजः करिष्यति
कृष्णाद अभ्यधिकॊ यन्ता देवेन्द्रस्येव मातलिः
“Sanjaya said, ‘Meanwhile the son of Drona (Ashvatthama), beholdingYudhishthira protected by the grandson of Sini (Satyaki) and by theheroic sons of
एक दिन दस लड़के यात्रा पर रवाना हुए| उन्होंने तय कर लिया कि अमुक स्थान पर उन्हें पहुंचना है| सब अपने-अपने हिसाब से चलने लगे| कोई तेज चलता तो कोई धीरे| सब अलग-अलग हो गए|
“Yudhishthira said, ‘Tell me why had that lady no fear of Ashtavakra’scurse although Ashtavakra was endued with great energy? How also didAshtavakra succeed in coming back from that place?'”