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हजरत लुकमान बड़े ऊंचे दर्जे के आदमी थे| उनके दिल में न किसी के लिए ईर्ष्या थी, न किसी प्रकार का मोह| उनका मालिक उन्हें बहुत चाहता था| जब भी कोई बढ़िया चीज आती वह लुकमान के लिए भेज देता| लुकमान ने अपने प्रेम से उसे एकदम वश में कर लिया था|

एक बूढ़े व्यापारी की देखरेख में माल से लदी बैलगाडियों का काफ़िला रेगिस्तान में प्रवेश करनेवाला था| तभी एक व्यापारी दूसरे व्यापारी से बोला, ‘इस रेगिस्तान को पार करने के नाम से ही मुझे तो कपकपी छूटने लगती है|’