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उष्ण प्रकृति वालों को एवं पित्तजन्य व्याधियों में तोरई का सेवन विशेष हितकर है| यह मधुर, पित्तनाशक, कफ-वात वर्धक, मृदु-रेचक, कृमि-नाशक, मूत्रल ज्वर, रक्त पित्त तथा कुष्ठादि विकारों में पथ्यकर व लाभप्रद है|

(1) पितृतीर्थ-नरोत्तम नाम का एक तपस्वी ब्राह्मण था| वह माता-पिता की सेवा छोड़कर तीर्थयात्रा के लिये निकल पड़ा| तीर्थ-सेवन की महिमा से उसके गीले कपड़े आकाश में सूखते थे|