Home2011May (Page 64)

गुरु जी को संस्कृत विद्या हासिल करने के लिए पंडित बृज लाल की पाठशाला में भेज दिया गया|

एक बहुत धनी सेठ था| वह सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करके घर आकर नित्य-नियम करता था| ऐसे वह रोजाना नहाने नदी पर आता था| एक बार एक अच्छे संत विचरते हुए वहाँ घाट पर आ गये| उन्होंने कहा-‘सेठ! राम-राम!’ वह बोला नहीं तो बोले-‘सेठ! राम-राम!’ ऐसे दो-तीन बार बोलने पर भी सेठ ‘राम-राम’ नहीं बोला| सेठ ने समझा कि कोई मांगता है|

राय बुलार ने श्री गुरु नानक देव जी से ऐसे उपदेश कि मांग की जिससे उनका जन्म-मरण मिट जाए| 

श्री गुरु नानक देव जी माता-पिता व राए बुलार आदि को मिलकर कुछ दिनों पश्चात् बोले-मरदाने को साथ लेकर मुलतान की ओर चल दिए|

सज्जन ठग को सच्चा ठग बनाकर गुरु जी पाकपटन शेख ब्रह्म के साथ ज्ञान चर्चा करके कुरुक्षेत्र पहुंच गए| उस समय लोग सूर्यग्रहण के मेले के लिए दूर-दूर से आए थे|

गुरु जी जब मथुरा और वृंदावन पहुंचे तो आपने देखा कि लोग राजे रानियों और कृष्ण गोपियों के सांग बनाकर रास लीला करते, नाचते व कूदते है| उनकी यह दशा देखकर गुरु जी ने शब्द का उच्चारण किया|

दिल्ली का बादशाह सिकंदर लोधी बहुत अत्याचारी था| उसने भक्त कबीर, सधना व नामदेव आदि भक्तों को कष्ट दिए व अनेक ही फकीरों को करामात दिखाने के लिए कैद किया हुआ था|

श्री गुरु नानक देव जी मरदाने के साथ बनारस की तरफ जा रहे थे तो मरदाने को भूख लगी| गुरु जी से कहने लगे महाराज! जंगलों और पहाड़ों में घूम रहे हो मुझे बहुत भूख लगी है|

श्री गुरु नानक देव जी योगियों के प्रसिद्ध स्थान गोरखमते पहुंचे| वहां उन्होंने उनके डेरे से कुछ दूर बैठकर कीर्तन आरम्भ कर दिया|

गुरु जी कटक शहर में पहुंच कर भैरों मन्दिर के पास आकर बैठ गए| आप अडोल रहे तो पुजारी ने आपको शक्तिशाली मानकर भूल की क्षमा मांगी|