सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 11 शलोक 1 से 55
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 11 शलोक 1 से 55
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 11 शलोक 1 से 55
देव पितर पूजे बिधि नीकी। पूजीं सकल बासना जी की॥
सबहिं बंदि मागहिं बरदाना। भाइन्ह सहित राम कल्याना॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 12 शलोक 1 से 20
गरजहिं गज घंटा धुनि घोरा। रथ रव बाजि हिंस चहु ओरा॥
निदरि घनहि घुर्म्मरहिं निसाना। निज पराइ कछु सुनिअ न काना॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 13 शलोक 1 से 34
भूप सहस दस एकहि बारा। लगे उठावन टरइ न टारा॥
डगइ न संभु सरासन कैसें। कामी बचन सती मनु जैसें॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 14 शलोक 1 से 27
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 शलोक 1 से 20
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 शलोक 1 से 24
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 शलोक 1 से 28