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साईं बाबा जब से शिरडी में आये थे| वे रोजाना शाम होते ही एक छोटा-सा बर्तन लेकर किसी भी तेल बेचने वाले दुकानदार की दुकान पर चले जाते और रात को मस्जिद में चिराग जलाने के लिए थोडा-सा तेल मांग लाया करते थे|

शिरडी आने वाले लोगों में कई लोग किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते थे| या तो मस्जिद में बैठकर बाबा के सामने पढ़ते या अपने ठहरने की जगह पर बैठकर| कई लोगों का ऐसा रिवाज भी था कि वह अपनी पसंद का ग्रंथ खरीदकर शामा के द्वारा साईं बाबा के कर-कमलों में दे देते| बाबा उस ग्रंथ को उल्टा-पुल्टाकर फिर उसे वापस कर देते थे| भक्तों की ऐसी आस्था थी कि ऐसा प्रसाद ग्रंथ पढ़ने से उनका कल्याण हो जायेगा|