HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 142)

त्रेतायुग में एक बार बारिश के अभाव से अकाल पड़ा। तब कौशिक मुनि परिवार के लालन-पालन के लिए अपना गृहस्थान छोड़कर अन्यत्र जाने के लिए अपनी पत्नी और पुत्रों के साथ चल दिए। फिर भी परिवार का भरण-पोषण कठिन होने पर दु:खी होकर उन्होनें अपने एक पुत्र को बीच राह में ही छोड़ दिया।

बादशाह अकबर ने एक स्वप्न देखा| उस स्वप्न के बारे में उन्हें जिज्ञासा हुई| उन्होंने ज्योतिषी को बुलवाया और अपने स्वप्न के बारे में बताकर उसका फल जानना चाहा|

चौदह वर्ष के वनवास के दौरान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी में एक पर्णकुटी बनाकर रह रहे थे। एक दिन रावण की बहन राक्षसी शुर्पणखा आकाश मार्ग से उस ओर से गुजर रही थी तभी वह श्रीराम और लक्ष्मण के सुंदर और मोहक रूप को देखकर मोहित हो गई। वह तुरंत ही जमीन पर उतर आई और अतिसुंदर स्त्री का रूप बना लिया।

बीरबल दरबार में पान चबाता हुआ पाया| यह देखकर बादशाह अकबर नाराज होकर बोले – “बीरबल, यह दरबार है और तुम यहां पान चबाते हुए आ गए, अब पीक भी थूकोगे, यहां गंदा करोगे|”

चंद्रिका नगर के निवासी लालाराम नामक बनिये का लड़का सौ रूपये मूल्य की एक पुस्तक खरीद लाया| उस पुस्तक में एक स्थान पर लिखा था कि मनुष्य अपने भाग्य का लिखा तो बड़ी ही आसानी से पा लेता है, लेकिन जो भाग्य में नही लिखा होता उसे जी-तोड़ परिश्रम करने के उपरांत भी पाने में असमर्थ रहता है|

आप किसी भी क्षेत्र में हों, योग्यता के तीन प्रमाण माने जाते हैं। निरंतरता, विश्वसनीयता और समर्पण। कार्य के प्रति प्रयासों में जो निरंतरता होती है, उससे आलस्य दूर होता है। हमारी कार्यशैली से बासी और उबाऊपन चला जाता है।

बादशाह अकबर ने भरे दरबार में बीरबल से पूछा – “इस दुनिया में किस बिरादरी के लोग मुर्ख होते हैं? और किस बिरादरी के लोग समझदार?”

एक राजा हमेशा अपनी मौत के डर से बहुत भयभीत रहा करता था| वह प्रायः ज्योतिषियों से इस बारे में पूछता रहता था| ज्योतिषी उसे एक ही उत्तर देते कि महाराज आप तो दीर्घायु है|

अच्छे अच्छों को पता नहीं चल पाता जीवन कब बिखर जाता है, उलझ जाता है। कइयों की पूरी जिंदगी बीत जाती है समेटते, सुलझाते हुए। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि हमारे पास कई ऐसे शास्त्र हैं जिनके माध्यम से हम बिखरी जिंदगी समेट सकते हैं।

बादशाह अकबर बेहद खूबसूरत जूते खरीद कर लाए| सभी दरबारी जूते की तारीफ कर रहे थे| तभी दरबार में बीरबल आया तो बादशाह ने जूते की तरफ इशारा करते हुए कहा – “देखो बीरबल, मेरे नए जूते, अच्छे हैं न?”