HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 145)

बादशाह अकबर अक्सर बीरबल की पगड़ी की तारीफ किया करते थे, क्योंकि वे पगड़ी बहुत ही बढ़िया ढंग से बांधा करता था, किंतु मुल्ला दोप्याजा को इससे जलन होती थी| मुल्लाजी ने तय कर लिया कि वह भी एक दिन इतनी अच्छी तरह से पगड़ी बांधेंगे कि उसकी तारीफ बादशाह को करनी ही पड़ेगी|

इस उत्सव उत्पत्ति की दूसरी कथा

इस त्योहार का मुख्य संबंध बालक प्रहलाद से है। प्रहलाद था तो विष्णुभक्त मगर उसने ऐसे परिवार में जन्म लिया, जिसका मुखिया क्रूर और निर्दयी था।

एक किसान के पास एक बकरी, एक घास का गट्ठर और एक शेर था| मार्ग में एक नदी पड़ती थी, जिसे पार करने के लिए नदी तट पर एक छोटी नौका थी| लेकिन उस नौका से एक बार में दो ही चीजें नदी पार कर जा सकती थी|

संपदा देवी की कथा

लोगों के मन में एक प्रश्न रहता है कि जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, उसका हजारों वर्षों से हम पूजन किसलिए करते हैं? होलिका-पूजन के पीछे एक बात है। जिस दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठने वाली थी, उस दिन नगर के सभी लोगों ने घर-घर में अग्नि प्रज्वलित कर प्रहलाद की रक्षा करने के लिए अग्निदेव से प्रार्थना की थी। लोकहृदय को प्रहलाद ने कैसे जीत लिया था, यह बात इस घटना में प्रतिबिम्बित होती है।

भगवान शंकर को पति के रूप में पाने हेतु माता-पार्वती कठोर तपस्या कर रही थी। उनकी तपस्या पूर्णता की ओर थी। एक समय वह भगवान के चिंतन में ध्यान मग्न बैठी थी। उसी समय उन्हें एक बालक के डुबने की चीख सुनाई दी। माता तुरंत उठकर वहां पहुंची। उन्होंने देखा एक मगरमच्छ बालक को पानी के भीतर खींच रहा है।

बीरबल बुद्धिमान तो थे किंतु रूपरंग में कुछ खास न थे| एक दिन दरबार में सुंदरता की बात चल पड़ी तो मुल्ला दोप्याजा ने बीरबल को नीचा दिखाने के उद्देश्य से कहा – “बीरबल जब भगवान सुंदरता बांट रहा था तो तुम कहां थे?”