Homeशिक्षाप्रद कथाएँशूरता और कायरता (बादशाह अकबर और बीरबल)

शूरता और कायरता (बादशाह अकबर और बीरबल)

बादशाह अकबर ने बीरबल को हुक्म दिया – “नगर के सबसे शूरवीर और सबसे कायर को दरबार में पेश करो?”

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“हुजूर के हुक्म की तामील होगी|” कहकर बीरबल चला गया| कुछ देर बाद उसने एक स्त्री को कुछ समझा-बुझाकर और चुप रहने की सलाह देकर दरबार में पेश कर दिया| एक स्त्री को देखकर बादशाह अकबर बोले – “बीरबल, मैंने तुम्हें दो लोगों को दरबार में पेश करने को कहा था|”

“हुजूर, मैं जानता हूं कि आपने दो लोगों को दरबार में पेश करने को कहा था| किंतु यदि एक ही व्यक्ति में दोनों गुण मौजूद हों तो दो लोगों की क्या जरूरत है, यह स्त्री शूरवीर भी है और कायर भी|”

“वह कैसे?” बादशाह ने पूछा|

“जहांपनाह, घनघोर अंधेरी रात हो, बरसात हो रही हो, बिजली चमक रही हो, तब भी यह स्त्री निडरता अपने प्रेमी से मिलने चली जाती है; और घर में रात को अपने पति के साथ होते हुए भी चूहे, बिल्ली और छिपकली आदि से डर जाती है| अब आप ही बताइए… यह स्त्री शूरता और कायरता दोनों गुणों सहित है या नहीं|”

जवाब सुन बादशाह अकबर लाजवाब हो गए|