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बादशाह अकबर को किस्से-कहानियां सुनने का भी शौक था और वे अक्सर किसी-न-किसी दरबारी को कहानी सुनाने को कह देते थे| एक दिन दरबारियों ने बादशाह अकबर के कान भरे कि बीरबल को भी कई कहानियां आती हैं|

एक औरत एक आदमी को साथ लेकर बादशाह अकबर के दरबार में उपस्थित हुई और अपना दुखड़ा रोने लगी – “हुजूर, मैं लुट गई, इस आदमी ने मेरे सारे गहने लूट लिए हैं, अब आप ही इंसाफ करें|”

अकबर और बीरबल शाम के समय घोड़े पर बैठे नगर की सैर कर रहे थे| तभी बादशाह अकबर को मजाक सूझा और उन्होंने बीरबल से कहा – “भई अस्य पिदर सुमास्त|”

दरबार में किसी बात पर बहस हो रही थी| बहस के दौरान बीरबल कुछ ऊंची आवाज में बोल गया, जो बादशाह अकबर को अच्छा नहीं लगा| उन्होंने बीरबल से कहा – “बीरबल, यह अच्छी बात नहीं है, तुम्हारा व्यवहार दिन-ब-दिन बिगड़ता ही जा रहा है पहले तो तुम ऐसे न थे, तुम्हें अब क्या हो गया है?”

अकबर का एक दूध भाई था| अकबर ने जिस आया का दूध पिया था उसके पुत्र को अकबर दूध भाई कहते थे| एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल को चिढ़ाने के उद्देश्य से पूछा – “बीरबल, मेरा तो एक दूध भाई है, क्या तुम्हारा भी कोई दूध भाई है?”